शिवराज भाजपा की हेड लाइन से गायब …!

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राघवेंद्र सिंह

लाख कोशिश के बाबजूद मध्यप्रदेश भाजपा गलाकाट गुटबाजी से निजात नही पा रही है। आने वाले दिनों में शायद इसके आंखें खोलने वाले उदाहरण देखने को मिले। हमने पिछले अंक में लिखा था कि भाजपा में चल रहे प्रपंच पर विस्तार से बताएंगे। ताजा घटनाक्रमों में चौकाने वाली बात यह है कि प्रदेश भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भाषणों को प्रमुखता से देने के बजाए मामूली उल्लेख किया गया। एक तरह से बायकाट करना शुरू कर दिया है। अर्थात अनुमान लगाने वाले लगा सकते हैं कि संगठन ने सीएम के खिलाफ अघोषित ही सही फ्रंट खोल दिया है। इसे समझने के लिए दो घटनाओं का जिक्र करना मुनासिब होगा।

पिछले दिनों भोपाल में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस से जुड़े कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा के साथ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी थे। इस दौरान भाषण भी हुए और टीवी चैनल के लिए नेताओं ने बाइट भी दी। लेकिन भाजपा के प्रेस नोट में केवल वीडी शर्मा के भाषण ही उल्लेख था और मुख्यमंत्री के विचार नदारद थे। मात्र सीएम के नाम का मौजूद नेताओं में उल्लेख था। पार्टी के संवाद प्रमुख लोकेंद्र पराशर के नाम से जारी होने वाली विज्ञप्ति में सम्भवतः यह पहला अवसर होगा जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री के भाषण का एक शब्द भी नही लिखा। हालांकि वे पहले भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अमित शाह के एक कार्यक्रम का प्रेस नोट जारी नही करने के मामले में वैसे विवादों के कारण समझाइश (डांट डपट) का सामना कर चुके हैं। दूसरा गम्भीर मामला प्रदेश पदाधिकारियों की इंदौर बैठक का है। इसमें प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश अध्यक्ष के भाषणों का प्रेसनोट जारी हुआ मगर मुख्यमंत्री के भाषण का बहुत मामूली सा बीच में उल्लेख किया गया। जाहिर है कि मुख्यमंत्री के भाषणों की अनदेखी या बायकाट करना संवाद प्रमुख के बूते का निर्णय नही है। लेकिन पार्टी और सरकार में संगठन के इस चकित करने वाले रवैये को लेकर उथल पुथल सी शुरू हो गई है।

शिवराजसिंह चौहान चौथी बार के मुख्यमंत्री हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि मध्यप्रदेश में आज की तिथि में उनसे बड़ा नेता नही है। पहले कभी कैलाश जोशी, सुंदरलाल पटवा हुआ करते थे उस कदकाठी के नेताओं में भले ही कोई न माने लेकिन चार बार के सीएम की अनदेखी हैरत में डालने वाली है। यह सब भाजपा नेताओं की एकता पर भी सवाल खड़े करती है। इस सम्बंध में संवाद प्रमुख से बात हुई तो उनका कहना है कि सीएम के भाषण का प्रेसनोट के बीच में उल्लेख किया है। वे कहते हैं कि वैसे भी सीएम ने छोटा भाषण दिया था। देखते है आने वाले दिनों में भाजपा के भीतर की खदबदाहट क्या रंग लाती है। अभी तो भाजपा के सामने पृथक विंध्य और नगर निगम- नगर पंचायत व ग्राम पंचायतों के चुनाव में जीत हासिल करना बड़ी और कड़ी परीक्षा होगी।

भाजपा में हाथ कटे जिला अध्यक्ष…
प्रदेश भाजपा में जनसंघ से लेकर अब तक संगठन के नेताओं में लाचारी की जो हालत वह पहले कभी नही रही। भाजपा के जिला अध्यक्ष अपनी टीम का ही गठन नही कर पाए। उनकी असहायता यह है कि प्रदेश भाजपा ने जिला कार्यकारणी गठन के लिए पर्यवेक्षक भेजे जो रायशुमारी कर नाम ले कर भोपाल आ गए। उन्होंने नाम प्रदेश नेतृत्व को सौंप दिए अब उनमे से छटनी कर नामों की घोषणा की जाएगी। मतलब प्रदेश की पसंद के जिला पदाधिकारी और उनसे काम लेंगे जिला अध्यक्ष। उनसे कैसे काम ले पाएंगे जिला अध्यक्ष। पहले यह होता था कि जिला अध्यक्ष अपनी पसंद के नाम पदाधिकारियों के लिए प्रस्तावित करते थे और प्रदेश नेतृत्व से अनुमोदन कर उनका ऐलान कर दिया जाता था। पार्टी में इस तरह की प्रक्रिया को लेकर मशहूर फिल्म शोले में कटे हाथ वाले ‘ठाकुर’ संजीव कुमार से की जा रही है।