मध्य प्रदेश के कई इलाकों में भी चक्का जाम का असर देखने को मिल रहा

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TIO NEW DELHI

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान आज देश भर में चक्का जाम करने जा रहे हैं। मध्य प्रदेश के कई इलाकों में भी इसका असर देखने को मिल रहा है, लेकिन राजधानी भोपाल में पुलिस की दबाव बनाने की रणनीति कामयाब होती दिख रही है, क्योंकि अब तक यहां पर कोई भी संगठन खुलकर चक्का जाम करने की बात लेकर सामने नहीं आया है।

किसान नेताओं का भी कहना है कि सभी प्रमुख और बड़े किसान नेता शहर से बाहर हैं। वे खातेगांव में महापंचायत कर रहे हैं। ऐसे में राजधानी में प्रदर्शन का नेतृत्व करने के लिए कोई बड़ा नेता नहीं है। इसलिए यहां पर चक्का जाम या बड़ा प्रदर्शन किए जाने की संभावना काफी कम है। हालांकि कुछ लोग चक्का जाम किए जाने के पक्ष में है और वह इसको लेकर रणनीति भी बना रहे हैं, लेकिन अंतिम निर्णय बड़े नेताओं के संदेश आने के बाद लिए जाने की बात सामने आई है।

अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा मध्य प्रदेश के संयोजक विजय कुमार ने बताया कि फिलहाल भोपाल में चक्का जाम किए जाने की संभावना कम है। हम ऊपर से मैसेज आने का इंतजार रहे हैं। हालांकि ग्वालियर, इंदौर, दतिया, डबरा, सागर, रीवा और होशंगाबाद समेत कई शहरों में चक्का जाम किया जाएगा।

खातेगांव में इसके लिए महापंचायत भी रखी गई है, जिसमें सभी बड़े नेता और खासकर मेधा पाटकर भी शामिल हो रही हैं। जहां तक भोपाल की बात है तो पिछले 3 प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने बलपूर्वक आंदोलन को खत्म किया। मंडी में जब अंतिम बार प्रदर्शन के लिए बैठे थे तो पुलिस ने रात को जबरन उठा दिया था।

इसके बाद टैक्टर रैली भी सांकेतिक हो पाई थी। पुलिस और प्रशासन काफी दबाव बना रही है हमारे आंदोलन को खत्म करने के लिए। हालांकि बड़े नेताओं के खातेगांव में होने के कारण यहां अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया।

पहले यह थी रणनीति

शहर की सीमाओं में खजूरी सड़क, बैरसिया थाना, सुखी सेवनिया और मिसरोद थाना क्षेत्र आते हैं। पुलिस इन चारों थाना क्षेत्रों पर खास तौर से नजर रख रही है। कुछ नेताओं ने शनिवार को चक्का जाम को देखते हुए बैरसिया के लामा खेड़ा से इसकी शुरुआत करने की योजना बनाई थी। जिसमें चक्का जाम का प्लान था। हालांकि योजना यह भी थी कि अगर पुलिस उन्हें जबरन हटाती है, तो फिर धरना भी दिया जाएगा। हालांकि फिलहाल राजधानी में इस तरह की कोई स्थिति बनती नजर नहीं आ रही है।

पुलिस को किसी ने सूचना नहीं दी

एएसपी ट्रैफिक संदीप दीक्षित ने बताया कि अब तक चक्का जाम किए जाने की किसी तरह की कोई सूचना नहीं है। भोपाल में आम दिनों की तरह ट्रैफिक के सामान्य पॉइंट लगाए गए हैं। अगर कोई लॉ एंड ऑर्डर की समस्या आती है, तो डीआईजी के निर्देश के अनुसार ही ट्रैफिक के पॉइंट बदले जाएंगे। इधर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब तक किसी भी किसान नेता या संगठन ने चक्का जाम किए जाने या करने की कोई भी पूर्व सूचना नहीं दी है और ना ही अनुमति ली है।

कृषि कानूनों का विरोध कर रहे 40 किसान संगठनों ने आज दोपहर 12 से 3 बजे तक देशभर में चक्काजाम का ऐलान किया है। उनका दावा है कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा। जरूरी सेवाओं जैसे एंबुलेंस, स्कूल बस को नहीं रोका जाएगा। दिल्ली-NCR, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को इस जाम से अलग रखा गया है। इस बीच, दिल्ली में एहतियातन चार मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं। पुलिस ने यहां 12 मेट्रो स्टेशन को अलर्ट जारी किया है। दिल्ली में कुल 285 मेट्रो स्टेशन हैं।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली में तो हर दिन जाम जैसे हालात रहते हैं, ऐसे में यहां जाम की क्या जरूरत है। हालांकि, उन्होंने यूपी और उत्तराखंड को इससे अलग रखने की वजह नहीं बताई। यह जरूर कहा कि इन दोनों राज्यों से किसानों को स्टैंडबाई पर रखा गया है और उन्हें किसी भी वक्त बुलाया जा सकता है।

गलती से सबक लिया और सुरक्षा ज्यादा कड़ी कर दी गई
26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा की वजह से प्रशासन ज्यादा अलर्ट है। दिल्ली-NCR में पुलिस, पैरामिलिट्री और रिजर्व फोर्स के 50 हजार जवानों को तैनात किया गया है। दिल्ली में तैनात CRPF की सभी यूनिट्स से कहा गया है कि वे अपनी बसों पर लोहे की जाली लगा लें, ताकि पथराव की स्थिति में बचा जा सके।

चक्काजाम का ऐलान क्यों किया गया?
एक फरवरी को पेश किए बजट में किसानों की मांग की अनदेखी करने और दिल्ली की सीमा पर हो रहे आंदोलन की जगहों पर इंटरनेट बंद किए जाने के खिलाफ ये चक्काजाम हो रहा है। किसान संगठनों का कहना है कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के बाद से कई किसानों के ट्रैक्टर जब्त कर लिए गए हैं। दिल्‍ली बॉर्डर के आसपास की जगहों को पूरी तरह ब्लॉक किया जा रहा है। इन सबके खिलाफ ये जाम होगा।