मातृभाषा_दिवस जियें मुहिंजी मीठी सिन्धी बोली

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•शशी कुमार केसवानी


आज “मातृभाषा दिवस” है। सिंधी बोली भाषा के लिये स्वर्गीय दादा लक्ष्मण दास केसवानी के साथ कीरत बाबाणी ,गोविंद माली,भगवती नावानी,कलां हजारी,कमला केसवानी, दिपक कोड़नानी बुल्लू सीराणी व कई अन्य साथियो ने बहुत लडाईयां लड़ी थीं तब कहीं यह मुकाम हासिल हुआ, हमारी जिम्मेदारी है की अपनी मातृभाषा सिंधी को जिवीत रखें।300 के लगभग भारतीय भाषाएँ ख़त्म हो गयी हैं व अन्य कई भाषाएँ संवाद के अभाव में ख़त्म होने कि कगार पर हैं!!
इसलिये अपनी भाषा मे संवाद करें। कई भाषाएं अपने को बचाने का आज भी संघर्ष कर रही हैं।