WOMEN DAY SPECIAL

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अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष, 8 मार्च को मनाया जाता है। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में, यह दिवस अपना राजनीतिक मूलस्वरूप खो चूका है, और अब यह मात्र महिलाओं के प्रति अपने प्यार को अभिव्यक्त करने हेतु एक तरह से मातृ दिवस और वेलेंटाइन डे की ही तरह बस एक अवसर बन कर रह गया हैं।

समाजसेवा का लिया संकल्प


इंदौर की भारती मंडोले ने अपने दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व्यंक टराव रणधीर से प्रेणित होकर व्यवसाय छोड़कर समाजसेवा का संकल्प लिया। उन्होंने इंदौर में इला वेयर फेयर आॅर्गेनाइेजशन का गठन किया जिसमें महिलाओं की सशक्तिकरण का कार्य शुरू किया। उन्होंने कई महिलाओं को अपनी संस्था की तरफ से सिलाई, कढ़ाई व कई तरह का हुनर सिखाया है। खास तौर पर कोरोना के समय उन्होंने जो जन सेवा की है न केवल इंदौर के लोग बल्कि देशभर के लोगों ने उनके इस कार्य के लिए हमेशा याद रखेंगे। भारती की आज भी सोच है कि हर महिला के पास अपना एक काम होना चाहिए जिससे अपने व अपने परिवार व बच्चों का अच्छी तरह से पालन, पोषण कर सके व साथ ही साथ बच्चों को अच्छी शिक्षा भी दे सके। इनके इस जज्बे के लिए आॅबर्जवर इन्हें सलाम करता है।
भारती मांडोले, फाउंडर ईवा वेलफेयर आर्गेनाइेजशन इंदौर

“I feel each woman is full of her natural glair,its just that we have no time to stand and stare.”This Woman’s Day,Date with the woman within You’Embrace the woman in you. – Dr.Nancy Juneja’s journey is not just the journey of another entrepreneur hemmed by the advice of Do’s & Don’t s or following an instruction manual for Startups. Its however, a story of patience perseverance, foresight, dedication,talent and energy, continuous learning, evolving, exploring and quest for excellence in herlife!She was born in an affluent business family of Educators who run Shanti Gyan Niketan and Shanti Gyan Vidyapeeth Schools in Delhi for more than 3decades. It was then inevitable that she would foray into the Education field with her innovation and creativity.Today,She is a multifaceted Entrepreneur .Her ventures ‘REVUP LIFE SKILLS” and MENTORx are up and running globally in 65 countries.: An Educator. She is Internationally acclaimed peak performance mentor,seasoned educationist, corporate trainer, blogger, author,news panelist,policy maker,Social Activist .She believes in, “Be the inspiration to yourself & to the world.”

जनसेवा कर लोगों का जीत लिया दिल

नीना छाबड़ा, मिसेस दिल्ली एनसीआर

उम्र कोई पैमाना नहीं होता है अगर जीवन में हौंसला है तो 4 दशक पूरे करने के बाद फिर से एक नई उड़ान भरने का शायद ही कोई हौंसला कर पाए। पर यह साबित करके दिखाया हे मिसेस दिल्ली एनसीआर व चेन्नई में मिस इंडिया मोस्ट टैलेंटेंड का खिताब जीतने वाली मिसेस नीना छाबड़ा ने। जिन्होंने कोरोना के दौरान जो दिल्ली में बुरी तरह कोरोना फैला हुआ था उस समय अपने परिवार के साथ-साथ जन सेवा करके लोगों का दिल जीत लिया था लोगों के लिए प्रेरणा रही। आबर्जवर उनके इस जज्बे को सलाम करता है।

कोरोना के दौरान बिना प्रचार किए करती रही लोगों की सेवा

कहते हैं अगर काम करने का जज्बा है तो दुनिया में तूफानों में भी दिये जलाए जा सकते हैं। यह कहावत डॉ. मोनिका मलिक पर एक दम सटीक बेढ़ती है। मध्यप्रदेश राज्य उपभोक्ता विभाग प्रतितोषण आयोग की सदस्य के तौर पर लंबे समय से कार्य कर रहीं हैं। वहां वे उपभोक्ता विभाग के प्रर्कणों का निराकरण करती हैं। इसके पूर्व वे जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य के रूप में कार्यरत है। कोरोना के दौरान लोगों की सेवा करके जिसका बिना प्रचार किए कार्य करती रही साथ ही साथ अपने व अपने परिवार का भी पूरी तरह से ध्यान रखा। मोनिका मलिक देश के जाने माने डॉ. सुनिल मलिक न्यूरो फिजिशियन की पत्नी हैं वह भोपाल में रहती है। इस वजह से उनका दायित्व अपने पति का ध्यान रखना भी एक बड़ी जिम्मेदारी थी जो उन्होंने बहुत अच्छे से निभाया। तथा दो हौनहार बच्चे तनिषा और जयवीर की पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दिया। आबर्जवर उनके इस जज्बे को सलाम करता है।

मोनिका मलिक
जिला उपभोक्ता फोरम सदस्य

भोपाल से लेकर मुंबई तक मचाई धूम

भोपाल। राजधानी की फिल्म, निर्देशक एवं कलाकार कनुप्रिया ने भोपाल से लेकर मुंबई तक धूम मचाई है। वह लेखिका भी हैं..उनकी रिलीज होने वाली वेब सीरिज मर्डर मिस्ट्री कौन..? में पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका में नजर आएंगी। कनुप्रिया ने बताया कि मर्डर मिस्ट्री कौन..? की कहानी रोचक व जिज्ञासा से भरी है। नई आने वाली एक – दो वेब सीरीज में भी प्रमुख भूमिका निभा रही हूँ, जिसकी शूटिंग लाइन अप हैं। क्राइम-अलर्ट,जुर्म और जज्बात में नजर आएंगी।

कनुप्रिया
फिल्म निर्देशक एवं कलाकार

Soniya srivastva

I started my career in 2009 with theatres but then I switched back to my studies and started teaching. But I wasn’t happy with it hence I switched back to theatre and did many shows. I then got a role in Yamla Pagla Deewana movie in Mumbai. Then a role in zee tv and many more TV shows like Crime patrol, sawdhan India, Code Red, Akbar Birbal and more. I took a break for 4 years for personal reasons but then I came back stronger. Currently I’m working on 2 web shows by Sony live. Being a woman I love how each one of us have to struggle each day with family, society and responsibilities yet we do everything with ease.

पुराने भोपाल में रहकर साइकिलिंग करना यह उनके जज्बे का ही कमाल है कि खुद तो साइकिलिंग कर ही रही है बाकी महिलाओं को भी प्रेरित कर रही है। उनके इस जज्बे को आॅबर्जवर सलाम करता है। रशीदा रियाज

महिलाओं के लिए हर एक दिन चुनौती है और अब चुनौतियों से संघर्ष कर महिलाएं सफलताओं के नए मुकाम हासिल करती जा रही है:नेहा बग्गा

आज के दौर में देखा जाए तो अक्सर जेंडर इक्वलिटी पर चर्चा होती रहती है पर मुझे गर्व है कि मैं हिंदुस्तान की बेटी हूँ जिस देश ने प्रथम नागरिक राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री,विदेश मंत्री,वित्त मंत्री दी। हमारी देश की बेटियाँ जमीन से लेकर आसमान तक सफलताओं के नए आयाम स्थापित करती जा रही है परंतु आज भी महिलाओं को सशक्तिकरण के लिए और समाज को जागरूक करने की जरूरत है जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर होते हुए राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में अपनी भूमिका को और मजबूत और सके। देश की हर एक बेटी , हर एक महिला का समाज निर्माण में अपना अतुलनीय योगदान है  केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की बहुत सी योजनाए जैसे आजीविका मिशन, आत्मनिर्भर भारत, स्वसहायता समूह ऋण के माध्यम से महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। हमें कई बार पराजित होना पड़  सकता है लेकिन हमें हार नहीं माननी चहिये । (“You may encounter many defeats, but you must not be defeated”) आज भी समाज में महिलाओं के खिलाफ व्याप्त कुरूतियों के कारण बहुत सारी बार हमारा सर शर्म से झुक जाता है और हमे यह सोचने में मजबूर होना पड़ता है कि आखिर हम किस दिशा में आगे बढ़ रहे है। मैं इन कुरुतियों के खिलाफ हमेशा संघर्ष करूँगी और यही कारण कि मैं इस संघर्ष को मजबूती प्रदान करने राजनीति का माध्यम चुना जिसके माध्यम से समाज मे महिला उत्पीड़न और अपराधों के खिलाफ लगातार संघर्ष करते हुए एक सशक्त भारत के निर्माण में अपनी सूक्ष्म सी भूमिका निभाने का प्रयास कर रही हूं।

नेहा बग्गा, प्रदेश मीडिया वार्ताकार
भारतीय जनता पार्टी

आप शक्ति नहीं सारी शक्तिओं की स्रोत हो !
नमस्कार !

शशी कुमार केसवानी संपादक

  • अपने क्षेत्र में खास उपलब्धियां हासिल करने वाली कुछ महिलाओं का उदाहरण देकर हम महिलाओं की उन्नती को दशार्ते है। पर अगर आप ध्यान दे तो कुछ अदभुत करने वाली महिलाएं तो हर काल में रही है। सीता से लेकर द्रौपदी, रजिया सुल्तान से लेकर दुर्गावति, लक्ष्मीबाई से लेकर इंदिरा गांधी । परन्तु महिलाओं की स्थिति में कितना परिवर्तन आया? और आम महिलाओं ने परिवर्तन को किस तरह से देखा?
    सोच में परिवर्तन
    दरअसल असल परिवर्तन तो आना चाहिए आम लोगों के जीवन में। जरुरत है उनकी सोच में परिवर्तन लाने की। उन्हें बदलने की। आम महिलाओ के जीवन में परिवर्तन, उनकी स्थिति में, उनकी सोच में परिवर्तन। यही तो है असली सशक्तिकरण
    आर्थिक
    उन्हें बचपन से सिखाया जाता है की खाना बनाना जरुरी है। आर्थिक रूप से सक्षम होना भी जरुरी है। जरुरत है की सिखाया जाये की कमाना भी जरुरी है। परिवार के लिये नहीं वरन अपने लिए। पैसे से खुशियाँ नहीं आती, पर बहुत कुछ आता है जो साथ खुशियाँ लाता है। उन्हें सब आता है। वे सब करती है। उनके इसी हुनर को घर के बाहर लाना है।
    गुजरात
    एक ऐसा राज्य है जहाँ से काफी पुरूष काम काज के सिलसिले में विदेश चले जाते हैं। मजबुरन औरतों को घर से बाहर कदम निकालना पड़ता है, कभी बच्चों के लिये तो कभी घर के दैनिक काम-काज के लिये। धीरे-धीरे उनका आत्मविशवास और स्वाभिमान बढ़ने लगता है। ऐसा कई दशकों से चल रहा है। फलत: आज गुजराती औरतों में आत्मविशवास, और स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा है। इसके कई उदाहरण मुझे अपने अनगिनत गुजरात प्रवासों के दौरान देखने
    को मिले।
    राजनैतिक अस्तित्व
    महिला उम्मीदवारों के चयन में इन राजनीतिक दलों के यहां भी वही पैमाना है जो टीवी सीरीयल और तेल मसाला के विज्ञापन में होता है। महिलाओं को टिकट देना होता है, तो सिनेमा-सीरीयल से लेकर राजशाही खानदानों के खंडहरों से निकाल लाते हैं। किसी भी राष्ट्र की शक्ति आप उस राष्ट्र के पुरुषों के पीछे होने वाली महिलाओं से लगा सकते हैं. तभी तो कहा जाता है आर्मी
    बिहाइंड आर्मी
    धन्यवाद!