नरेश मेवाड़ा, भोपाल।
कोरोना महामारी के कारण आज लॉकडाउन लगे एक साल पूरा हो गया, इस दौरान महंगाई आसमान छू गई। कई दिनों तक घर में बंद रहने से कई लोगों को अपनी नौकरी खोना पड़ी, कई कंपनियां दिवालिया घोषित हो गई, कई लोगों के काम धंधे बंद हो गए, कई लोगों की सेलरी घट गई लेकिन महंगाई दिन-दोगुनी रात चोगुनी बढ़ती जा रही है अब यदि दोबारा लॉकडाउन लग गया तो आम आदमी का जीवन चलाना मुश्किल हो जाएगा। पिछले एक साल में रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले सामान 20% तक महंगे हुए। बाकी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने तो हमारा जीना पहले से ही मुहाल किया है।कोरोना के कहर से बेहाल जनता पर अब महंगाई सितम ढा रही है। आलम यह है कि पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस की कीमतों में इजाफा होने से चारों तरफ हाहाकार की स्थिति है। घी, सरसों के तेल, दाल व चाय आदि खाद्य पदार्थों के भी दाम काफी बढ़ चुके हैं। महिलाओं का कहना है कि लगातार बढ़ रही महंगाई से रसोई का बजट बिगड़ चुका है। घर-घर में लोग परेशान हैं। हर माह 2000 रुपये का आने वाला राशन अब ढाई हजार रुपये में पड़ रहा है। गैस सिलिंडर की कीमतों में वृद्धि ने मुश्किल को और बढ़ा दिया है। आम लोगों को सबसे ज्यादा राहत सब्जियों ने दी। यह 6% से ज्यादा सस्ती हुई है। इसमें आलू प्रति किलो 5-6 रुपए के दाम पर बिक रहा है। हालांकि सस्ती कीमतों से ग्राहकों को तो फायदा हो रहा है, लेकिन किसानों को अपनी लागत निकालने में मुश्किल हो रही है।
वहीं, पेट्रोल के दाम बढ़ने से नौकरीपेशा लोगों की जेब ढीली हो रही है। जबकि डीजल के दाम में वृद्धि होने के कारण माल भाड़ा भी बढ़ गया है। वर्तमान में ट्रांसपोर्ट कारोबारी एक क्विटंल माल के लिए प्रति किलोमीटर 180 रुपया ले रहे हैं जबकि दिसंबर 2019 में इसी काम के एवज में सिर्फ 120 रुपये लिए जाते थे। एक तरफ कच्चे तेल पर सरकारें करीब तीन गुना टैक्स वसूलती हैं तो दूसरी ओर बढ़ी हुई कीमतें ट्रांसपोर्टेशन की लागत बढ़ा देती हैं, जो सालभर में 11% बढ़ी। इसी लागत को वसूलने के लिए सामान बनाने वाली कंपनियां इसका बोझ आप पर डाल देती हैं। इसका नतीजा यह रहा कि देश के रिटेल महंगाई को मापने वाला कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फरवरी 2021 में 5.03% पर पहुंच गया, जो जनवरी में 4.06% था। अलग-अलग कंपनियों के सूत्रों से बातचीत में पता चला कि रोजमर्रा में इस्तेमाल किए जाने वाले सामान भी एक महीने में 10% तक महंगे हुए हैं। इसमें शैम्पू, साबुन, हैंडवॉश से लेकर क्रीम जैसे प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों में भी कहा गया है कि पर्सनल केयर 8% तक महंगे हुए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सालभर में खाने-पीने के सामानों में नॉनवेज आइटम सबसे ज्यादा महंगे हुए। मांस-मछली और अंडे के दाम 11% से ज्यादा बढ़े। दूसरी ओर लॉकडाउन के चलते सरसों की खपत बढ़ने से इसका तेल करीब 21% महंगा हुआ है। इसके अलावा जरूरी पेय पदार्थों में शामिल चाय भी महंगी हुई है। जानकारों के मुताबिक नई फसल आने तक इनकी कीमतें अभी और बढ़ेंगी।