आरएसएस द्वारा पूर्व राष्ट्रपति को आमंत्रण मिलने से सांसत में कांग्रेस, भाषण में क्या बोलेंगे प्रणब दा

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नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी 7 जून को जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में बोलने के लिए खड़े होंगे तो सबकी खासकर कांग्रेस की निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि दिग्गज कांग्रेसी मुखर्जी क्या बोलते हैं। संघ प्रचारकों के इस कार्यक्रम में खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रणव मुखर्जी को आमंत्रित किया है। संघ प्रमुख की तरफ से दो बार मिले निमंत्रण को ठुकराने की बजाय पूर्व राष्ट्रपति ने कार्यक्रम में शामिल होने को हामी भरी तो उनके इस फैसले ने राजनीतिक रंग ले लिया। कांग्रेस में संदीप दीक्षित जैसे नेताओं ने तो खुलेआम प्रणव मुखर्जी को घेर लिया है। हालांकि कांग्रेस की टॉप लीडरशिप इस मामले पर कुछ बोलने से परहेज करते हुए संघ के कार्यक्रम का इंतजार कर रहे हैं।
The Congress, in the evening by the RSS, will get the invitation from former President, Pranab da
कांग्रेस के प्रवक्ता टॉम वडक्कन इस मसले पर ‘नो कॉमेंट्स’ बोलकर तो निकल रहे हैं लेकिन यह भी साफ कर रहे हैं कि कांग्रेस और संघ की विचारधारा में काफी फर्क है। पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि मुखर्जी ने राष्ट्रपति बनने के बाद राजनीति छोड़ दी है। सिंघवी ने कहा कि किसी समारोह में उनका बोलना उनकी मान्यताओं को लेकर कोई संकेत नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रणव मुखर्जी ने अपने 50 सालों के राजनीतिक करियर के दौरान जो बातें कहीं या जो मान्यताएं स्थापित कीं उनके आधार पर उन्हें जज किया जाना चाहिए।

तो क्या संघ को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाएंगे मुखर्जी?
उधर, प्रणव मुखर्जी को जानने वाले एक शख्स का कहना है कि पूर्व राष्ट्रपति आरएसएस प्रचारकों के समूह को राष्ट्रवाद की ‘असल अवधारणा’ पर संबोधित कर सकते हैं। ऐसे में मुखर्जी का भाषण हिंदुत्व कैंप की राष्ट्रवाद की ‘एकांतिक’ परिभाषा की आलोचना में भी बदल सकता है।

कांग्रेस और सेक्युलर कैंप के लिए झटका?
प्रणव जो कुछ बोलें, कांग्रेस की चिंताएं साफ दिख रहीं हैं। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि संघ के कार्यक्रम में मुखर्जी की मौजूदगी ही कांग्रेस और सेक्युलर कैंप के लिए झटका साबित हो सकती है। उनका कहना है कि कांग्रेसी दिग्गज के इस कार्यक्रम में शामिल होने से यह एक तरह से उस संगठन के साथ सहमति जताना होगा जिसे आज भी कांग्रेस द्वारा ‘अछूत’ समझा जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी पीएम मोदी पर करने वाले हर हमले में संघ को भी लपेटते रहे हैं।

वरिष्ठ नेता सीके जाफर शरीफ ने तो इसे लेकर प्रणव मुखर्जी को चिट्ठी तक लिख डाली है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति से इस बैठक में शामिल होने का अपना फैसला वापस लेने की अपील की है। जाफर ने निराशा जताते हुए लिखा है कि मैं इसके पीछे की वजह समझ पाने में नाकाम हूं। हालांकि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता एचआर भारद्वाज ने मुखर्जी का समर्थन किया है।

रोचक बात यह है कि प्रणव मुखर्जी वह शख्स हैं जिन्होंने आॅल इंडिया कांग्रेस कमिटी के प्लेनरी सेशंस के उन सभी प्रस्तावों को तैयार किया है जिनमें संघ को आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने और सांप्रदायिकता के लिए दोषी ठहराया गया है। ऐसे में कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने सवाल उठाया है कि अगर संघ ऐसे विचार रखने वाले शख्स को आमंत्रित करता है तो क्या इसका मतलब यह है कि वह संगठन के प्रति उनके (मुखर्जी के) विचारों को सही मानता है?

संघ ने कहा, ‘नेहरू हमें बुला चुके हैं, इंदिरा हमारे यहां आ चुकी हैं’
उधर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इन संदर्भ में इतिहास से जुड़ी घटनाओं का हवाला दिया है। संघ ने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू 1962 के चीन युद्ध के दौरान सीमा पर संघ कार्यकतार्ओं के सेवा से प्रभावित थे। संघ की नैशनल मीडिया टीम के सदस्य और लेखक रतन शारदा ने कहा कि उन्होंने 1963 के रिपब्लिक डे परेड में संघ को शामिल होने का न्योता दिया था।