चाट-पपड़ी और हमारे विधेयक

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राकेश अचल

देश को टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने संसद में झूठ बोलने के बजाय एक सफेद सच बोला और ट्वीट भी किया कि- हमारी संसद में विधेयक बनाये जाते हैं या चाट-पपड़ी के कागज ? आपको पता होना चाहिए कि टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट करते हुए लिखा कि -‘औसतन 7 मिनट में कम से कम एक विधेयक पारित कराया जा रहा है। डेरेक ओ ब्रायन तंज कसते हुए कहा कि क्या हम पापड़ी चाट बना रहे हैं।’
पिछले दिनों इसी संसद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जब देश में आक्सीजन की कमी से एक भी मौत न होने वाला बयान दिया था तब संसद की गरिमा,संसद का विशेषाधिकार अक्षुण था लेकिन जब एक नेता ने सच बयानी कर दी तो प्रधानमंत्री से लेकर उनकी पूरी सरकार डेरेक से खफा है .दरअसल हकीकत यही है जो डेरेक ने कही. देश की संसद में अब विधेयक ध्वनिमत से पारित कराये जाते हैं ,उन पर बहस करने की तो जैसे जरूरत ही नहीं समझी जाती .किसानों से जुड़े तीन विधेयक इसी तरह पारित कर क़ानून बना दिए गए जिसकी वजह से देश के किसान आठ महीने से आंदोलनरत हैं .
हमारे प्रधानमंत्री जब संसद चल रही होती है तब बोलने के लिए उसका इस्तेमाल करने में शायद लज्जा अनुभव करते हैं. हाल ही में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण की घोषणा भी उन्होंने सदन के बाहर की थी. प्रधानमंत्री डेरेक के बयान पर भी बजरिये संसदीय कार्यमंत्री के बोलते हैं .शायद उन्हें लगता है कि डेरेक जैसे नेताओं के बयान पर एक प्रधानमंत्री प्रतिक्रिया देगा तो ये पद की तौहीन होगी. डेरेक के बायण और ट्वीट पर यदि संसदीय कार्यमंत्री श्री प्रह्लाद जोशी यदि कुछ न बताते तो देश को प्रधानमंत्री जी की प्रतिक्रिया का पता ही नहीं चलता .
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा डेरेक ओ ब्रायन के ट्वीट पर पीएम मोदी ने भी दुख जताया है। पीएम मोदी ने कहा कि यह उन लोगों का अपमान है जिन्होंने सांसद चुने। पीएम मोदी ने दुख जताते हुए कहा कि पापड़ी चाट बनाना एक अपमानजनक टिप्पणी थी। प्रह्लाद जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कागज फाड़ना, फेंकना और माफी नहीं मांगने को अहंकार बताया है।हमने बचपन में पढ़ा था कि ‘खग ही खग की भाषा जान सकता है. यदि वाकई डेरेक के बयान और ट्वीट में अहंकार है तो प्रधानमंत्री जी उसे आसानी से पहचान सकते हैं क्योंकि उन्हें अहंकार की भाषा बोलने का खासा तजुर्बा है .मुमकिन है कि डेरेक अहंकारी हों भी किन्तु उन्होंने जो कहा उससे अहंकार के बजाय तंज झलकता दिखाई देता है .ऐसा तंज सिर्फ समझदार और देशभक्त नेता ही कर सकते हैं .
देश में इस समय संसद पर संसद चल रही है. एक संसद संसद भवन के भीतर हंगामे में डूबी है,एक संसद किसान चला रहे हैं और एक संसद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कॉन्शटीट्यूशन क्लब में विपक्ष को चाय -नाश्ते के नाम पर बुलाकर लगा ली .लगता है कि पूरा देश सांसदीय लोकतंत्र का मुरीद है लेकिन दुःख ये है कि एक संसद दूसरे को न सुनना चाहती है और न एक -दूसरे का मुंह देखना चाहती है .बहरहाल राहुल का नाश्ता करने भाजपा से भयभीत समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी के नेता नहीं आये .दोनों की पूंछ पर सरकार ने अपनी एजेंसियों के मार्फत पांव रखा हुआ है .कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र में सरकार चला रही शरद पवार की कांग्रेस भी भाजपा से कुर्बत की संभावनाएं तलाश रही है ताकि महाराष्ट्र में यूपी की तर्ज पर कांग्रेस के बाद भाजपा की मदद से सरकार चलने की स्थितियां निर्मित की जा सकें .
भाजपा से जूझने के लिए राहुल के चाय-नाश्ते में 15 दलों के नेता शामिल हुए लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं हैं कि ये सब चुनाव पूर्व एक मजबूत गठबंधन भी बना लेंगे .मुमकिन है कि ये एक नाकाम कोशिश हो.कोशिश करना कांग्रेस का जन्मसिद्ध अधिकार है.कांग्रेस आखिर देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है .आपको याद होगा कि 2014 में भाजपा ने भी इसी तरह देश भर में चाय पार्टियों के जरिये खुद को और एनडीए को मजबूत बनाकर सत्ता हासिल की थी .
बहरहाल बात डेरेक की चल रही है. डेरेक ने सांसद में ट्विटर पर और पत्र-पत्रिकाओं के जरिये अपनी बात देश के सामने रखी है. उन्होंने उमा भारती और स्वर्गीय सुषमा स्वराज की तर्ज पर इंडिया टुडे से बात में यहां तक कह दिया कि – अगर गृहमंत्री राज्यसभा या लोकसभा में आ गए तो वो अपना सिर मुंडवा लेंगे। टीएमसी नेता ने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री पेगासस के मुद्दे पर भाग रहे हैं और इसीलिए वो विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं दे रहे हैं। मुझे राजनीति में मुंडन की चुनौती देना बिलकुल नहीं भाता लेकिन भारतीय संस्कृति की वजह से मै इस मामले में खामोश हो जाता हूँ और ईश्वर से प्रार्थन करता हूँ कि वो किसी को मुंडन का अवसर न दे. ईश्वर सुनता भी है,उसने उमा जी और सुषमा जी की इच्छा कभी पूरी नहीं की .
राजनीति में मै अपनी पसंद या ना पसंद अपने मित्रों पर नहीं थोपता लेकिन मुझे डेरेक पसंद हैं .वे कम से कम सवाल तो पूछते हैं. कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे साहब को सवाल करना आते भी हों लेकिन उनके सवाल भर्रा जाते है .अधीर रंजन चौधरी जैसे सांसद सवाल करते समय अधीर हो जाते हैं .हकीकत ये है कि पहले की तमाम सरकारों के मुकाबले हमारी मौजूदा लोकप्रिय सरकार सवालों से बहुत परहेज करती है .सरकार का सवालों से परहेज कभी-कभी घबड़ाहट की सीमा तक पहुँच जाता है .सांसद भवन है ही सवाल-जबाब के लिए हैं किन्तु यहां आजकल हंगामा होता है और क़ानून वैसे ही बन जाते हैं जैसे डेरेक ने कहा .
मुमकिन हैं कि आप डेरेक की टीप से असहमत हों.आपको ऐसा करने का अधिकार है .लेकिन मुझे लगता है कि आप संसद की गरिमा बनाये रखने के लिए संसद में सवाल किये जाने को ज्यादा पसंद करेंगे बजाय कि सफेद झूठ बोले जाने के . देश की संसद ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के सफेद झूठ पर कोई संज्ञान नहीं लिया ,ये एक इतिहास बन चुका है ,जबकि यदि डेरेक का ब्यान सदन की गरिमा को ठेस पहुंचने वाला है तो स्वास्थ्य मंत्री का झूठ सदन का मान-मर्दन करने वाला है .देश के सदन को इस सबसे बचाना होगा ,अन्यथा लोकतंत्र भी चाट-पपड़ी जैसा चाटने और फेंकने लायक हो जाएगा. वैसे प्रधानमंत्री और सांसदीय कार्य मंत्री को डेरेक के बयान पर आग-बबूला नहीं होना चाहिए क्योंकि जो डेरेक ने कहा वो ही प्रकारांतर से संघ के एक वरिष्ठ पूर्व प्रचारक और राज्य पाल रह चुके प्र्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी भी कह चुके हैं
टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन पुराने पत्रकार तो हैं ही साथ ही खूब पढ़े-लिखे हैं,उनकी एक भी डिग्री फर्जी नहीं है.उन्हें सवाल करना और करना दोनों आता है. उन्होंने दुनिया भर में लोगों से सवाल किये हैं और लोगों को सवाल करना सिखाया है और राजनीति में भी उन्हें डेढ़ दशक तो होने ही वाला है .देश को डेरेक जैसे सांसदों की ही जरूरत है ,फिर चाहे वे ईसाई हों,हिन्दू हों या मुसलमान .