कुरुक्षेत्र: कपिल सिब्बल बन सकते हैं कांग्रेस और विपक्ष की एकता के सूत्रधार

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TIO NEW DELHI

कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार करे या कोई गैर गांधी, विपक्षी नेताओं को इससे मतलब नहीं है। उन्हें सिर्फ इस बात की चिंता है कि देश के सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस की रीति नीति और कार्यशैली में बदलाव और सुधार होना चाहिए। सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के आवास पर बुलाई गई विपक्षी दलों की रात्रिभोज बैठक का लब्बोलुआब यही है। साथ ही इस बैठक का एक और संदेश है कि कांग्रेस को सभी विपक्षी दलों के बीच सर्वस्वीकार्य बनाने में कपिल सिब्बल एक ऐसी कड़ी हो सकते हैं जिसके जरिए 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए विपक्षी एकता कोई सर्वमान्य फार्मूला और रास्ता निकल सकता है।

बैठक में शामिल एक नेता के मुताबिक जब शिरोमणि अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने कांग्रेस को गांधी परिवार के नेतृत्व से मुक्त होने की सलाह दी तो उसका समर्थन किसी भी नेता ने नहीं किया। बल्कि कुछ नेताओं ने कहा कि यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है कि उसका नेतृत्व कौन करे। लेकिन बैठक में मौजूद सभी नेताओं की आम राय थी कि कांग्रेस को अपने नेतृत्व के सवाल को जल्दी से जल्दी हल कर लेना चाहिए, जिससे पूरा विपक्ष एकजुट होकर नरेंद्र मोदी सरकार का डटकर मुकाबला संसद और सड़क दोनों जगह कर सके। बैठक में मौजूद जी-23 के नेता आंनद शर्मा, शशि थरूर और जी-23 से बाहर रहे पी. चिदंबरम ने भी इससे सहमति जाहिर की और कहा कि जल्दी ही पार्टी संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी।

नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की अगर मानी जाए तो उनके घर हुई विपक्षी नेताओं की बैठक कांग्रेस में कोई अलग गुट बनाने की कोशिश नहीं बल्कि विपक्षी दलों और कांग्रेस के बीच निरंतर संवाद बनाए रखने और दूरियां पाटने की एक कोशिश है। सिब्बल ने बैठक को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में अमर उजाला से कहा कि वह राजनीति में हैं और निष्क्रिय होकर घर नहीं बैठ सकते। राजनीति में कुछ न कुछ करते रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि 2024 में अगर मोदी सरकार को हराना है तो उसकी व्यूह रचना अभी से करनी होगी। इसके लिए जरूरी है कि समान विचार और मुद्दों के लिए संघर्ष करने वाले दलों और उनके नेताओं के साथ निरंतर संवाद होता रहे। इस तरह के संवाद से ही परस्पर सहमति और समझदारी बनेगी। वैचारिक स्तर पर भी हम एक दूसरे के नजदीक आएंगे और व्यक्तिगत स्तर पर भी रिश्ते बनेंगे। तब जाकर 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर कोई कारगर रणनीति बन पाएगी। उन्होंने कहा कि जनता बार-बार विपक्षी एकता और मोदी के विकल्प को लेकर सवाल करती है। इन दोनों सवालों के जवाब इस तरह की निरंतर बैठकों और संवाद से ही निकलेंगे।

सिब्बल ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा सरकार के खिलाफ सिर्फ फौरी गठबंधन या सीटों के तालमेल भर से काम चलने वाला नही है। इसके लिए सभी दलों के बीच जो दूरियां हैं, जो टकराव के बिंदु और मुद्दे हैं उन पर मिल बैठकर बात करनी जरूरी है। तभी ऐसा रास्ता निकलेगा जो सबको स्वीकार हो और सबके राजनीतिक हित भी सुरक्षित रहें। जब इस तरह की समझदारी बनेगी तभी एक समान कार्यक्रम भी बन सकेगा जिसके आधार पर 2024 के लोकसभा चुनावो में एकजुट होकर मोदी सरकार और भाजपा को हराया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि मैंने एक शुरुआत की है जिसे आगे बढ़ाने की जरूरत है और इस तरह की सद्भाव बैठकें रात्रिभोज ,दोपहर भोज या चाय पर दूसरे नेताओं को भी आगे आयोजित करनी चाहिए। कपिल सिब्बल ने कहा कि वह पार्टी को कमजोर करने का नहीं बल्कि मजबूत करने और उसे अन्य दलों के बीच स्वीकार्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं।