राजपथ, लोकपथ के बाद अटल पथ

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राकेश अचल

खुशी की बात ये है कि केंद्र सरकार ने भारतमाला परियोजना में पुराने ‘चंबल एक्सप्रेस वे’ को ‘अटल पथ’ के नाम से पहले चरण में शामिल कर लिया है .कहा जा रहा है कि ये अटल पथ मध्यप्रदेश,राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों के लिए विकास के दरवाजे खोलेगा .खबर अच्छी है इसलिए इसका स्वागत किया जाना चाहिए,खुशी तब और दोगुनी होती यदि इस नए पथ को चंबल एक्सप्रेस वे के नाम से ही भारतमाला परियोजना में शामिल किया जाता .ख़ैर ,राजनीति अपनी जगह और विकास अपनी जगह होता है ,इसलिए जाने दीजिये .
देश में पूर्व प्र्धानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी का सड़क निर्माण के क्षेत्र में अभिनव योगदान रहा है .उनके समय में बनी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क परियोजना ने सचमुच देश के तमाम गांवों की किस्मत बदली है ,इसलिए चंबल एक्सप्रेस वे पर उनका नाम चस्पा करने को राजनीतिक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए .कोई 404 किमी लंबा ये नया रास्ता मध्यप्रदेश में चंबल के श्योपुर,मुरैना और भिंड के लिए लाभदायक हो सकता है. अतीत में ये तीनों जिले दस्यु पीड़ित इलाके माने जाते थे. पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने भी अपने कार्यकाल में इन दस्युपीड़ित इलाकों में सड़कों का जाल बिछाने के लिए उल्लेखनीय काम किया था .आप कह सकते हैं कि बीहड़ और दस्यु समस्या से लड़ने के लिए जमीन इंदिरा गांधी ने ही बनाई थी .
अटल पथ की लागत फिलहाल 7 हजार करोड़ मानी गयी है और इसे 7 चरणों में बनाया जाना है .इस परियोजना के लिए 1500 हैक्टेयर जमीन का सांकेतिक अधिग्रहण भी कर लिया गया है .आपको बता दें कि ‘एक्सप्रेस वे’ कम समय में और अधिक आराम के साथ कई शहरों को जोड़ने के लिए उच्च गुणवत्ता के साथ बनाई जाने वाली सड़कें हैं। ये सड़कें राजमार्गों और स्थानीय सड़कों से अलग हैं। ये सड़कें 6 लेन से 8 लेन की हो सकती हैं। प्रत्येक लेन की चौड़ाई 2.73 मीटर से 3.9 मीटर तक हो सकती है।
भारत में फिलहाल कुल 26 एक्सप्रेसवे चालू हैं, 29 एक्सप्रेसवे निर्माणाधीन हैं .सरकार की आगामी वर्षों में 16 एक्सप्रेसवे बनाए जाने की योजना है . 11 एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना के तहत आगामी वर्षो मे बनाए जाने की योजना है ।भारत का सबसे लम्बा एक्सप्रेस वे अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे: यह एक्सप्रेसवे अमृतसर (पंजाब) और जामनगर (गुजरात) को जोड़ता है। यह लगभग 1316 किमी लंबा है। यह अमृतसर, फरीदकोट, भटिंडा, अबोहर, श्री गंगानगर, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, राधनपुर, सांखियाली, जामनगर से होकर गुजरता है। यह एक्सप्रेसवे तीन राज्यों पंजाब, राजस्थान और गुजरात को जोड़ता है। फरवरी 2020 से यह निर्माणाधीन है। यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा।
आजादी के 75 साल हो गए हैं लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि अब तक एक दर्जन से अधिक राज्यों और अनेक केंद्र शासित राज्यों के हिस्से में अब तक एक भी एक्सप्रेस वे नहीं आया है .एक्सप्रेस वे से किसी राजनेता का नाम जोड़ने का काम देश में पहली बार हुआ है.दुनिया के दूसरे देशों में ऐसा कम ही होता है. मैंने अमेरिका में अनेक एक्सप्रेस वे के छोटे-छोटे टुकड़ों के नाम वहां के शीर्ष नेताओं के नाम पर देखे हैं लेकिन पूरा का पूरा एक्सप्रेस वे किसी नेता के नाम पर नहीं देखा .ख़ास बात ये भी है कि अटल पथ से अटल जी का न गृह नगर जुड़ता है और न पैतृक नगर .
एक्सप्रेस वे की गुणवत्ता ऐसी होती है कि वक्त जरूरत उन पर लड़ाकू विमान भी उतारे जा सकते हैं. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर ऐसा करके दिखाया गया था लेकिन उद्घाटन और लड़ाकू विमानों को उतारे जाने के प्रदर्शन के कुछ ही महीनों बाद इस राजपथ की हालत खराब हो गयी थी .उम्मीद की जाना चाहिए कि अटल पथ के साथ ऐसा कुछ नहीं होगा .
भारत में एक्सप्रेस वे बनाने का काम मुख्यत:भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पास है. ये प्राधिकरण 1988 में बनाया गया 1995 में इस प्राधिकरण को 50 ,129 किमी सड़क के निर्माण,और संधारण और प्रबनधन का काम सौंपा गया था.बाद में एक्सप्रेस बनाने की जिम्मेदारी भी इसी प्राधिकरण को दी गयी ,अब भारतमाला परियोजना भी इसी प्राधिकरण के हाथों में है .हमें अटल पथ बनाये जाने की खबर से खुश होने के साथ ये भी जान लेना चाहिए कि आज भी देश में राजमार्गों की स्थिति कुल सड़क नेटवर्क का 2 फीसदी भाग है जबकि इसके ऊपर 40 फीसदी यातायात गुजरता है .
आपको जानकार हैरानी होगी कि अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरा सड़क जाल चीन के पास 4 .24 मिलियन और भारत के पास 4 .01 मिलियन सड़कें हैं तीसरा सबसे बड़ा जाल भारत के पास ही है .अमेरिका में 6 .68 मिलियन किमी सड़कें हैं,इनमें से एक्सप्रेस वे की लम्बाई 76 ,334 किमी है.चीन में .भारत में कुल 58 ,97 ,671 किमी लम्बी सड़कें हैं,इनमें से राष्ट्रीय राजमार्ग केवल 1 ,32 ,500 किमी ही है. राज्य के राजमार्ग थोड़े ज्यादा यानि 1,56 ,694 किमी हैं .अटलपथ को लेकर हमारी खुशियां तब स्थाई हो सकती हैं जब इस परियोजना के लिए केंद्र समय पर पूरा बजट दे,राज्य सरकारें समय पर जमीन का अधिग्रहण करा दें और केंद्र और राज्यों में राजनीतिक स्थिरता बनी रहे .मिसाल के तौर पर जिन राज्यों में डबल इंजिन वाली सरकारें हैं वे अगले पांच साल और चलें ,केंद्र में सत्ता न बदले,.क्योंकि राजनीतिक उठापटक होते ही ये महत्वपूर्ण परियोजनाएं हांफने लगती है .उम्मीद की जाना चाहिए कि सब ठीक-ठीक होगा .कम से कम अटल जी के नाम की लाज तो रखी ही जाएगी .