नई दिल्ली। नौ बैंक यूनियनों के संगठन यूनाईटेड फोरम आफ बैंक यूनियन के बैनर तले दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल बुधवार को शुरू हो गई। इस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों और निजी क्षेत्र के पुराने बैंकों और विदेशी बैंकों की 85 हजार शाखाओं में काम-काज नहीं हुआ। इस दौरान देशभर में 10 लाख कर्मचारियों ने हड़ताल में भाग लिया और तकरीबन 20 हजार करोड़ के लेनदेन पर असर हुआ।
Bank does not come, millions of workers, impact on crores transactions
बैंक यूनियन सरकारी बैंकों के प्रबंधन भारतीय बैंक संघ के दो प्रतिशत वेतन वृद्धि के प्रस्ताव के विरोध में हड़ताल कर रहे हैं। हालांकि निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक में काम सामान्य तौर पर चल रहा है। केवल चेक निस्तारण जैसी कुछ सेवाएं बाधित हुई हैं। हड़ताल के महीने के आखिर में पड़ने से बैंक शाखाओं से वेतन की निकासी प्रभावित हुई है, वहीं कुछ एटीएम मशीनों के प्रभावित होने की संभावना है। शाखाओं में जमा, सावधि जमा का नवीनीकरण, सरकारी खजाने से जुड़े काम, मुद्रा बाजार से जुड़े इत्यादि अन्य कामों पर इस हड़ताल का असर देखा जा सकता है।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव सीएच वेंकटाचलम ने कहा कि बैंक और उनके कर्मचारी संघों के बीच कई दौर की वार्ताओं के विफल होने के बाद यूनियन फोरम आॅफ बैंकिग यूनियन ने प्रस्तावित दो प्रतिशत वेतन वृद्धि के विरोध में दो दिन की हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है, क्योंकि पिछली बार 15 प्रतिशत की वेतन वृद्धि दी गई थी।’
यूएफबीयू नौ बैंकों के कर्मचारी संघों का सम्मिलित संगठन है। अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ के संयुक्त महासचिव रविद्र गुप्ता ने कहा, ‘इस तरह की वेतन वृद्धि का प्रस्ताव, एक तरह से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मियों का अपमान है। हमारे पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था।’