वीक एंड फिलासफी [हास्य-व्यंग्य]:पत्नियों की लम्बी उम्र के लिए व्रत कथा

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राकेश अचल

मुनीश्वर नारद जी किसी को विकल नहीं देख सकते.उन्होंने इंद्र के पुत्र जयंत को विकल देखा तो उन्हें तुरंत दया आ गयी थी .’नारद देखा विकल जयंता,लागि दया कोमल चित चिंता ‘.इसी तरह नारद भूलोक पर पत्नियों की अल्पायु से दुखी पतियों की दुर्दशा देखकर द्रवित हो गए .भूलोक पर विचरण के लिए आये नारद जी ने देखा की अल्पायु प्राप्त पत्नियों के पतियों को कितनी तकलीफों का सामना करना पड़ता है ? भुवनेश्वर में नारद जी को एक ऐसे ही पति मिल गए जो अपनी पत्नी की अल्पायु की वजह से दुखी थे.डाक्टरों ने कह दिया था कि वे कुछ ही महीनों की मेहमान हैं.
नारद जी को सन्मुख देख पति महोदय ने हाथ जोड़कर विनती की ‘.हे मुनिश्रेष्ठ ! ऐसी कोई व्रत कथा बताइये जिसके करने से पत्नी को लम्बी आयु प्राप्त हो और धन-धान्य की भी कमी न रहे ?’
नारद जी इस अजीबो गरीब प्रार्थना को सुनकर अचरज में पड़ गए,क्योंकि उसने भूलोक पर किसी पति ने इस तरह की प्रार्थना की ही नहीं थी. जो मिलता था सो पत्नी से शीघ्र मुक्ति के लिए व्रत,उपवास के बारे में जानना चाहता था .नारद जी ने निवेदक की और टकटकी लगाकर देखा,फिर अपने कर्ण छिद्र खुजलाये ,आँखें मलीं.जब पाया कि सभी इन्द्रियां ठीकठाक काम कर रहीं हैं ,तब आश्वस्त होकर बोले-
वत्स ! इस तरह के किसी व्रत के बारे में तो मै खुद कुछ नहीं जानता ,किसी ने आजतक मुझसे इस तरह की जिज्ञासा प्रकट ही की .’
‘ तो फिर …?’
निराश न हो पुत्र ! मै तेरे लिए भगवान विष्णु से इस बारे में पूछताछ करके अवश्य कुछ न कुछ हल लेकर आऊंगा ,तब तक तू भगवान हरि का स्मरण कर “
नारद जी चिंतातुर नारायण..नारायण..का जाप करते हुए अंतर्ध्यान हो गए .
भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेष शैया पर विश्राम कर रहे थे .नारद जी ने वहां पहुंचकर जलतरंग बजाकर भगवन को अपने आने की सूचना दी .नारद जी के आगमन की सूचना पाकर भगवान विष्णु मुस्कराये और उन्होंने माता लक्ष्मी को नारद जी को दरबार कक्ष में ससम्मान आसन देने के लिए कहा .लेकिन नारद जी कहाँ रुकने वाले थे,वे धड़धड़ाते हुए सीधे भगवान के शयनकक्ष में ही जा पहुंचे .
नारद जी को सामने देख भगवती लक्ष्मी ने उठकर उनका अभिवादन किया और एक और खड़ी हो गयीं .भगवान विष्णु भी मुस्करा दिए.
‘ बड़े अधीर दिखाई दे रहे हो पुत्र ! क्या कोई बड़ी समस्या है ?’
‘ जय हो जय हो भगवन ‘ नारद जी ने झुककर भगवान विष्णु का अभिवादन किया और बोले
”पिताश्री ! समस्या भूलोक की है और,विकराल भी है.अभी तक किसी ने इस समस्या के बारे में मुझसे सवाल किया ही नहीं था “
‘आखिर हुया क्या ?’भगवन मुस्कराये .
क्या बताऊँ तात ! एक मनुष्य ने मुझसे महिलाओं द्वारा अपने पतियों की लम्बी उम्र के लिए किये जाने वाले करवाचौथ और हरितालिका तीज जैसे व्रत के जबाब में पत्नियों की लम्बी उम्र के लिए किसी व्रत का विधान जानना चाहा है ” नारद जी विनयवत होकर बोले .
भगवान विष्णु ने अपने चक्र सुदर्शन को घुमाते हए उठती,गिरती लहरों की और देखा .फिर गंभीर होकर बोले
‘प्रश्नकर्ता का दिमाग फिर गया है जो पत्नी की लम्बी उम्र के लिए व्रत करना चाहता है ?’
पता नहीं भगवन !,बेचारे की पत्नी गंभीर रूप से बीमार है …’
ओके ..ओके ..! आप आसन ग्रहण कीजिये,मै आपको व्रत और कथा दोनों सुनाता हूँ ”भगवान ने नारद जी को बैठने का इशारा करते हुए कहा .
भगवान बोले-हे देवर्षि ! पत्नी की दीर्घायु के लिए व्रत करने के लिए निर्जला रहने या फलाहार पर रहने की जरूरत नहीं है .जो पति अपनी पत्नी की दीर्घायु की कामना रखते हैं वे महीने में पगार मिलने वाले दिन इस व्रत को कर सकते हैं .जिस दिन पगार हाथ में आये उसे लाकर पत्नी के चरणों में अर्पित कर दिया जाये.यदि पगार आन लाइन सीधे खाते में आती है तो पत्नी को क्रेडिट कार्ड थमा दिया जाये ‘.
पत्नी दीर्घायु व्रत के लिए पति-पत्नी दोनों नए वस्त्र धारण करने और तरह-तरह के परफ्यूम्स का इस्तेमाल करें .जिस दिन व्रत रखें उस दिन घर में नाश्ता खुद बनायें और भगवान के चरणों में आभासी तरीके से अर्पित कर वास्तविक तरीके से पत्नी को अर्पित करें .बिना पगार वाले पति इस व्रत को जिस दिन दिहाड़ी का भुगतान हो,उस दिन कर सकते हैं .व्रत करने के लिए दिन भर हल्का-फुल्का नाश्ता करें और रात्रि भोज अपनी जेब के वजन के हिसाब से किसी ढाबे,रेस्टोरेंट या होटल में जाकर उपवास खोलें .खाना परोसने वाले को मोटी टिप दें .पत्नी को जमकर शॉपिंग कराएं
पत्नी दीर्घायु कामना यज्ञ के लिए करवा चौथ और हरितालिका तीज से ठीक एक दिन पहले का दिन तय करें तो और बेहतर है .आप चाँद देखने के बजाय पत्नी का चेहरा देखकर व्रत खोलें.इसके लिए दिन भर या तो चादर तानकर पांडे रहें या घर से बाहर रहें ताकि पत्नी का चेहरा सिर्फ व्रत खोलते वक्त ही दिखाई दे .व्रत खोलने के बाद पत्नी की आरती कर सकते हैं तो करें,अन्यथा आर्त स्वर में मन ही मन अपने विवाह वाला दिन याद कर अपने माता-पिता और सास-ससुर का स्मरण कर उनके प्रति आभार व्यक्त करें .एक बात और ये व्रत किसी भी धर्म का पति कर सकता है.इसके लिए किसी देवी-देवता का चित्र रखने की जरूरत नहीं.देवी-देवता के स्थान पर पत्नी का खूबसूरत चित्र रखकर उसकी पूजा-आरती की जा सकती है .पत्नी की दीर्घायु के लिए आप आणले की बजाय इमली और बटवृक्ष के बजाय अपनी पसंद के किसी भी वृक्ष की पूजा कर सकते हैं .
व्रत का तरीका सुनकर देवर्षि नारद की आँखें खुली की खुली रह गयीं. वे हाथ जोड़कर बोले -भगवन इस व्रत को करने से किस-किस को लाभ हुया,ये भी तो बताइये ?
‘आपने अच्छा प्रश्न किया मुनिश्रेष्ठ ! भगवान खुश होकर बोले.विष्णु जी ने कहा की पत्नी दीर्घायु कामना यज्ञ करने वालों में से एक तो मै खुद हूँ.आप देखिये कि लोग मेरा नाम कम, लक्ष्मी जी का नाम ज्यादा लेते हैं यानि उनकी आयु मुझसे अधिक हुई .उमा-शिव इसका सर्व श्रेष्ठ उदाहरण हैं ही .वैसे ये फेहरिस्त बहुत लम्बी है इसलिए इसे जाने दीजिये .’.भगवान ने कहा-हे मुनिवर ! पत्नी वैसे भी पंचतत्वों के अलावा अनेक दूसरे तत्वों से मिलकर बनी होती है,इसलिए उसकी औसत आयु पति के मुकाबले ज्यादा ही होती है. जिनकी कम होती है वो उनका प्रारब्ध होता है .ऐसी पत्नियों के लिए शोक नहीं करना चाहिए .
अरे वाह ,! नारद जी विस्मय से बोले ….
लेकिन मुनिवर इस व्रत को करने से पहले पतिधर्म को भी जान लीजिये..इसके लिए पति का धर्म होता है कि वो अपनी पत्नी के प्रति समर्पित हो.पत्नी चाहे बूढी,रुग्ण,बहरी,जड़,धनहीन,अंधी,क्रोधी,मोटी,काली-कलूटी ,कुरूप और दीन भी हो तो भी उसका अपमान नहीं करना चाहिए.यदि पति अपनी पत्नी का अपमान करता है तो उसे नरक में भी स्थान नहीं मिल सकता.श्रेष्ठ पति का एक ही व्रत ,एक ही धर्म है कि वो मन,वचन और कर्म से अपनी पत्नी के चरणों की सेवा करे.वेद कहते हैं कि उत्तम पति वो ही है जो सपने में भी दूसरी पत्नी की कामना नहीं करता.मध्यम पति वो है जो दूसरे की पत्नी को अपनी माता,बहन अथवा पुत्री की तरह देखता है .निकृष्ट पति वो है जो धर्म का विचार कर आपने सीने पर पत्थर रख लेता है किन्तु अधम पति वो है जो निर्भीक होकर दुसरे की पत्नियों के साथ रास रचता है.ऐसे पति को नरक में भी स्थान नहीं मिलता और ऐसे पति की पत्नी कभी दीर्घायु नहीं हो सकती.बिना श्रम के यदि कोई पति परम गति को पाना चाहता है तो उसे पत्नीव्रता होना ही चाहिए .जो पति अपनी पत्नी के प्रतिकूल चलते हैं वे युवावस्था में ही विधुर हो जाते हैं ,क्योंकि पति सहज ही अपावन चरित्र है ,पत्नी की सेवा करके ही उसे परम गति मिलती है .
भगवान विष्णु के मुखारविंद से पत्नी दीर्घायु कामना व्रत कथा सुनकर नारद जी गदगद हो गए और पतियों के कल्याण हेतु इसका प्रसार करने के लिए भूलोक की और प्रस्थान करने को उद्यत हो गए.उन्होंने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को शीश नवकार आशीष लिया और नारायण..नारायण करते हुए क्षीर सागर से बाहर आ गए .अब भूलोक के जो पति अपनी पत्नी के लये यज्ञ करना चाहते हैं वे इस व्रत कथा का इस्तेमाल कर सकते हैं