फेस्टिव सीजन: कोरोना और आतंकी खतरा

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राघवेंद्र सिंह

कोरोना वायरस से बचने के लिए कहा जाता है मुंह,कान तो क्या पूरा चेहरा ढांक कर रखिए तब कहीं जान बचेगी लेकिन इसके उलट आतंकवाद जो दूसरा बड़ा खतरा सामने है उससे बचने के लिए आंख-कान,नाक और दिमाग खोलकर रखने की बहुत जरूरत है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद आतंक के विस्तार की जो खुफिया खबरें आ रही हैं उसने दुनिया को चिंता में डाल दिया है। इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ने की सम्भावना है। भारत में गणेश उत्सव के बाद भीड़ भरे नवरात्रि और दशहरा दीपावली के उत्सव भी आने वाले है। कोरोना के साथ आतंकवाद के लिए यह त्योहारी सीज़न सुरक्षा के नज़रिए से बहुत ही नाज़ुक दौर से गुज़रने जैसा है।


अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत आने के बाद देश के कुछ इलाकों में दबी ज़ुबान से उनके समर्थन की खबरें आना गंभीर मसला है। कुछ लोग तालिबानी आतंकियों कब अंदाज़ में लिबास के साथ दाढ़ी मूंछों में भी उनकी नकल कर रहे हैं। देखने सुनने में यह मामूली सी बात लग सकती है लेकिन यह इस बात का संकेत देती है कि कश्मीर से लेकर पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बंगाल समेत मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में तालिबानी आतंकियों के हमदर्द बैठे हुए हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ सीमावर्ती इलाकों में आतंकियों के खतरे बढ़ सकते हैं। आतंकी और  पाक की खुफिया एजेंसीआईएसआई से निर्देशित गुट सामरिक महत्व के इलाकों में बढ़ा सकते हैं। बदकिस्मती से मध्यप्रदेश के कुछ संवेदनशील इलाके जिनमे मालवा – निमाड़ और महाकौशल के कुछ शहरों के साथ देहाती क्षेत्रों पहले भी पाकिस्तान जासूस और आतंकियों के रहने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। पाक से संचालित आतंकवादी संगठनों के अलावा सिमी जैसे प्रतिबंधित संगठन भी प्रदेश में सक्रिय हैं। इसमें आतंकियों के कुछ मॉड्यूल को हमारी खुफिया एजेंसियों ने तोड़ने में सफलता भी पाई थी लेकिन अब उनके फिर से सक्रिय होने के खतरे देखे जा रहे हैं।

इनमें स्लीपर सेल को भी बड़े खतरे के रूप में देखा जाता है।
मध्य प्रदेश में भोपाल, इंदौर, उज्जैन के साथ निमाड़ और जबलपुर व इटारसी और उसके आस पास का क्षेत्र बहुत संवेदनशील माना जाता है। आईएसआई से जुड़े मामले में कुछ साल पहले विंध्य क्षेत्र के भी युवक और उनका एक ग्रुप पकड़ा गया था। जिनका संबंध भाजपा के युवा मोर्चे से था। कुछ आरोपी तो मोर्चे के पदाधिकारी भी थे। इसलिए आतंकवाद और कोरोना के मामले में हिन्दू मुसलमान- धर्म जाति और वर्ग से ऊपर उठ कर सबको सतर्क रहने ज़रूरत है। खुफिया एजेंसियां जिन पर आतंक के खतरे से निपटने की सबसे अहम ज़िम्मेदारी होती है। अब तक उनकी काबिलियात और सतर्कता के चलते हालात सामान्य और स्तिथि काबू में हैं। लेकिन आने वाले दिनों में आतंकी घटनाए बढ़ाने की कोशिशें भी की जाएंगी।  उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव होना भी इस आशंका की बड़ी वजह है। आम तौर से आतंकी संगठन मध्य प्रदेश में खासकर भोपाल को पनाहगार के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं। पंजाब, दिल्ली और यूपी में आतंकियों के पकड़े जाने के बाद मध्य प्रदेश की पुलिस और आम जनता को बेहद सतर्क रहने की ज़रूरत है।
कुलमिलाकर लब्बोलुआब यह है कि कोरोना से बचने के लिए नाक मुंह ढांककर रखो और आतंकवाद से बचने के लिए दिल दिमाग आंख कान खोलकर चौकन्ने रहिए…