अरविंद तिवारी
- न जाने क्यों गुजरात में विजय रूपाणी की विदाई के बाद अचानक मध्यप्रदेश में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि यहां भूपेंद्र पटेल कौन होगा। भाजपा के एक बड़े वर्ग की निगाहें अब मध्यप्रदेश पर है। यहां भी बदलाव की आशंका जताते हुए अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं, लेकिन साथ-साथ यह भी कहा जा रहा है कि शिवराजसिंह चौहान को यदुरप्पा, तीरथ सिंह रावत और विजय रूपाणी के पैमाने पर मत तोलिए। वे चौहान और इन नेताओं में जमीन आसमान का फर्क बताते हैं। इस सबके बावजूद जिस अंदाज में भूपेंद्र पटेल के सिर पर गुजरात का ताज रखा गया है, मध्यप्रदेश में भी निगाहें चौकन्नी हो गई हैं।
- जस्टिस जितेन्द्र माहेश्वरी के सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने के बाद मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में भी समीकरण बदलने लगे हैं। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मोहम्मद रफीक को हिमाचल प्रदेश भेजे जाने के बाद यह माना जा रहा है कि अब मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में एडवोकेट कोटे से जजों की नियुक्ति का मामला भी जल्दी ही अंतिम रूप ले लेगा। अभी जो नाम दिल्ली में पेंडिंग हैं उनके अलावा मध्यप्रदेश हाई कोर्ट से नए नामों की अनुशंसा भी जल्दी होती नजर आ रही है। उन वकीलों का खुश होना स्वाभाविक है जो लंबे समय से हाई कोर्ट जज बनने की बाट जोह रहे हैं। इनमें से कुछ नाम इंदौर के भी हैं।
- वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया इस माह के अंत में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। दिल्ली से वापस लौटने के बाद वे मध्यप्रदेश में पिछले पांच महीने से तो बिना काम के ही हैं। वरीयता में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से भी ऊपर स्थान रखने वाले जुलानिया के साथ सेवाकाल के अंतिम दौर में ऐसा क्यों हुआ यह समझ से परे है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जुलानिया के बारे में बहुत अच्छी राय रखने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस बार न जाने क्यों उनकी मदद नहीं कर पाए।
- कमलनाथ जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब वरिष्ठ आईपीएस अफसर शैलेष सिंह को मुंबई की प्रतिनियुक्ति से मध्यप्रदेश वापस लाया गया था। तब यह माना गया था कि लोकायुक्त या ईओडब्ल्यू या फिर पुलिस मुख्यालय की प्रशासन शाखा में उन्हें मौका दिया जाएगा। बात चयन शाखा तक ही सीमित होकर रह गई, सिंह को वहां एडीजी बनाया गया पर कुछ ही दिनों बाद वहां से भी सिंह की रवानगी हो गई। लंबा समय फायर शाखा में बिताना पड़ा, लेकिन पिछले 6 माह में जिस तरह के विवाद वहां खड़े हुए उसके बाद आखिरकार सिंह को वहां से भी विदाई देना पड़ी।
- ऐसा लग रहा है कि इन दिनों मध्यप्रदेश में पुलिस रिफॉर्म का काम सरकार की बड़ी प्राथमिकता पर है। ऐसा क्यों, इसके पीछे भी तर्क बहुत मजबूत है। यहां आईजी के रूप में अशोक गोयल और एडीजी के रूप में संजय माने पहले से ही पदस्थ थे। अब स्पेशल डीजी के रूप में यहां सीनियर आईपीएस शैलेष सिंह को पदस्थ कर दिया गया है। इन तीन दिग्गज अफसरों की यहां मौजूदगी से यह अहसास होने लगा है कि अब पुलिस में सुधार बहुत तेज गति से होंगे। होगा क्या यह तो वक्त ही बताएगा।
- सागर कलेक्टर पद से हटने के बाद आईएएस अफसर दीपक सिंह की सोशल मीडिया पर दो तीन पोस्ट इन दिनों बड़ी चर्चा में हैं। सिंह की इन पोस्ट का मतलब तो यही निकल रहा है कि चाहे बुरहानपुर हो, चाहे धार या फिर सागर, कलेक्टर रहते हुए उन्होंने सरकार के एजेंडे के मुताबिक काम करने और सबको साधने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। नतीजे भी अच्छे रहे, फिर न जाने क्यों उन्हें निशाने पर ले लिया गया।
- डा.आनंद राय को लेकर आप भले ही तरह-तरह की चर्चा चल रही हो लेकिन कोई दो मत नहीं की जयस को स्थापित करने और एक अलग पहचान दिलवाने में उनकी अहम भूमिका रही है। अब जयस और डॉक्टर राय के रास्ते अलग अलग हो चुके हैं और इसका सीधा असर जयह की ताकत पर पड़ना तय है। देखते हैं इस विभाजन में नफा नुकसान के समीकरण क्या रहते है। रास्ते अलग क्यों हुए इसका जवाब या तो जय सुप्रीमो डॉक्टर हीरा अलावा दे सकते हैं या फिर खुद डॉक्टर राय। वैसे इस विभाजन से सबसे ज्यादा खुश भाजपा के नेता है।
चलते चलते
भाजपा में संभागीय संगठन मंत्री की व्यवस्था समाप्त करने का फैसला आखिर क्यों लिया गया यह जानने में सबसे ज्यादा रुचि छोटे कार्यकर्ताओं की है। वैसे संघ से भाजपा में भेजें जाने के बाद इस भूमिका में रहते हुए इन लोगों की लकदक जीवन शैली, अफसरों की शैली में बर्ताव और आर्थिक संपन्नता पार्टी के लोगों की आंखों में तो खटकने ही।लगी थी।
पुछल्ला
आखिर क्या कारण है कि मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में आईएएस और आईपीएस अफसरों ने केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने की इच्छा जताई है। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी इन आवेदनों पर हरी झंडी देने के मूड में नहीं है।
अब बात मीडिया की
- दैनिक भास्कर प्रबंधन ने एक अहम फैसला लिया है। आर्थिक मंदी के इस दौर में एमडी सुधीर अग्रवाल ने दीपावली के एक सप्ताह पहले 25 अक्टूबर को अपने स्टाफ को बोनस और सैलरी देने की घोषणा कर दी है। यही नहीं 7 नवंबर को सालाना इन्क्रीमेंट की घोषणा भी हर हालत में कर दी जाएगी। भास्कर का स्टाफ इस निर्णय से गद्गद् है। साधुवाद सुधीर जी को।
- प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक के बाद डिजिटल मीडिया में सक्रिय युवा पत्रकार अमित सालगट फिर से भास्कर डिजिटल में सक्रिय हो गए हैं। यहां ज्वाइन होने के बाद काम के दबाव के चलते अमित ने संस्थान को अलविदा कहने का निर्णय ले लिया था, लेकिन प्रबंधन के आग्रह पर उन्होंने वापसी कर ली है।
- इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काफी समय तक सक्रिय रहे योगेश राठौर अब वेब मीडिया के एक बड़े प्लेटफार्म द सूत्र से जुड़ गए हैं। योगेश ने कुछ समय प्रिंट मीडिया में भी सेवाएं दी हैं।
- इंदौर के दो युवा पत्रकार भूपेंद्र सिंह और राहुल दवे जल्दी ही नई भूमिका में दिख सकते हैं।