राकेश अचल
आजकल ‘ कद ‘ की बड़ी चर्चा है. किसी का कद घट रहा है तो किसी का बढ़ रहा है. कद जैसे कद न हुआ कद्दू की बेल हो गयी .दुनिया में जितने भी जीवित प्राणी हैं, उन्हें ऊपर वाले ने उसकी हैसियत के हिसाब से कद अता किया है ,इसलिए किसी को भी अपने कद को लेकर कोई मलाल नहीं होना चाहिए .चींटी से लेकर जिराफ तक कद तय है .एक इनसान है जिसका कद घटता-बढ़ता रहता है .
इनसान के कद को लेकर शुरू से गफलत रही है. इनसान का कद भी दूसरे प्राणियों की तरह तय है. फर्क केवल डीएनए का है. जिसका जैसा डीएनए उसका वैसा कद .पहाड़ पर रहने वाला अगर नाटा कद का मालिक है तो मैदान में रहने वाले इनसान का कद लंबा होता है. कुछ मझोले कद के होते हैं.लेकिन होते सब इनसान ही हैं. फिर भी इनसान का कद कैसे घट-बढ़ जाता है ,ये हैरानी की बात है. बचपन से पचपन तक हमने इनसान के कद के बारे में एक ही शब्द पढ़ा और जाना था की इनसान के कद को ‘ आदमकद ‘ कहते हैं .लेकिन अब सुनते और पढ़ते हैं की इनसान का कद ‘ आदमकद ‘ होते हुए बह घट -बढ़ सकता है.
हाल ही में खबर आयी की हमारे ‘गन्ना’ भैया का कद बढ़ गया है. गन्ना भैया हमारे सूबे के गृहमंत्री हैं .उन्हें ‘ टिनोपाल मिनिस्टर ‘ के नाम से भी जाना जाता है. गन्ना भैया का कद और काठी दोनों हमारी देखी भाली थी ,सो हम ये खबर सुनकर चौंके खबर थी ही चौंकाने वाली .अब किसी का कद बढ़ेगा तो आप चौंकिएगा नहीं ! हमने फौरन पड़ताल की तो पता चाला कि गन्ना भैया की कद-काठी तो एकदम पहले जैसी है.उसमें रत्ती भर का फर्क नहीं आया .खबर में और लोगों कि नाम भी थे .हमारे ढाई सौ साल पुराने रिश्तेदारों कि कद बढ़ने की भी खबर थी .पड़ताल की तो पता चला कि गन्ना भैया को उनकी पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति में जगह दे दी गयी है.
कद बढ़ने कि साथ कद घटने की भी खबर आयी थी. खबर थी की जीव रक्षक मेनका मैडम और उनके बेटे का कद भी घट गया है. मेरी चिंता भी कद की तरह घटने-बढ़ने लगी. मेनका मैडम और उनके बेटे का कद ही नहीं बल्कि काठी भी ऊपर वाले की कृपा से ठीकठाक था फिर किसने उनके साथ गड़बड़ की जो उनका कद घट गया ? मुझे लगा की दोनों ने गलती से कोई गलत दवाई तो नहीं खा ली,आजकल बाजार में कद बढ़ाने की दवाएं बहुत आ रही हैं
पता नहीं क्यों ,इनसान भगवान द्वारा दिए गए कद और काठी से संतुष्ट नहीं है. कभी कद-काठी बढ़ाने कि लिए जिम जाता है तो कभी ‘एन्ड्योरा मॉस ‘ जैसा प्रोटीन खाता है .अरे भाई कद बढ़ने से क्या मिल जाएगा. ज्यादा से ज्यादा आप घर की अलमारियों में रखा सामान आसानी से उठा सकेंगे या बिना उचके भीड़ में पीछे खड़े रहकर भी तमाशा देख सकेंगे .लेकिन नहीं कद बढ़ा हुआ चाहिए .पहले महिलाओं में कद बढ़ाने की होड़ हुआ करती थी. कद बढ़ाने कि लिए महिलाएं दवाएं नहीं खातीं थी लेकिन ऊंची ऐडही की सेंडिल और सर पर बड़ा सा मला सिन्हा स्टाइल का जूड़ा जरूर बांध लेतीं थी .बाद में वे भी जिम-सिम जाने लगीं और प्रोटीन खाने लगीं .
हमारे गांव में एक पंडित जी थी.नाम था गुटईं महाराज .कद नाटा था ,इसलिए उन्हें गुटईं महाराज कहते थे. वे थे भी एकदम गोल-मटोल.एकदम सालिगराम की तरह .लेकिन उन्हें अपने कद-काठी को लेकर कभी कोई शिकायत नहीं हुई .गुटईं महाराज कहते थे – ‘ वत्स ! कद-काठी की फ़िक्र केवल सियासी लोगों को होती है .आम आदमी का क्या कद और क्या काठी ? बेचारा महंगाई कि बोझ से ज़िंदा बना रहे ,ये ही बड़ी बात है .आम आदमी का कद बढ़ेगा तो ख़ास आदमी का क्या होगा ?कौन उसे सलाम ठोंकेगा ?आम आदमी अपने कद की देखभाल कैसे करेगा ?रोज तो रसोई गैस से लेकर तेल,नौन,लकड़ी कि भाव बढ़ रहे हैं .कद बढ़ेगा तो खर्च भी बढ़ेगा .और खर्च बढ़ेगा तो पहले से झुकी कमर और झुक जाएगी .’
हकीकत ये है की कद में कतर-ब्योंत का खेल सियासत में ही शोभा देता है .सियासत में भी इनसान का कद अपने आप नहीं बढ़ता.उसे बढ़ाने कि लिए ओहदों का सहारा लेना पड़ता है. जिसका जितना बड़ा ओहदा,उसका उतना बड़ा कद .ऊंचे ओहदे पर बैठा इनसान कुछ ज्यादा बड़ा नजर आता है लेकिन हकीकत में होता नहीं है ,आप अगर किसी टेनी को होम मिनिस्टर बना दें तो उसका कद थोड़े ही बढ़ जाएगा ?वो टेनी है तो टेनी ही रहेगा .कोई भी हो केवल कद बढ़ने से अपनी हरकतों से बाज थोड़े ही आ जाता है .लखीमपुर-खीरी कांड कर ही देता है. कद बढ़ता है तो उसी अनुपात में उसकी हरकतें बढ़ जातीं हैं .
भारत कि लोगों को कद कि घटने-बढ़ने से होने वाले लाभ-हानि कि बारे में सब कुछ पता है ,लेकिन वे इसके बचाव कि लिए कुछ कर नहीं सकते .एक बार यदि किसी का कद बढ़ जाये तो उसे घटाने में कम से कम पांच साल लगते हैं.सामने वाला यदि चतुर-चालाक है तो ये कद कम करने की मियाद दस साल भी हो सकती है .अब जैसे चाय बेचने वाले का कद बढ़ा दीजिये,किसी महंत का कद बढ़ा दीजिये ,किसी ताली ठोकने वाले का कद बढ़ा दीजिये ,फिर जो नतीजे सामने आते हैं उसके बारे में भारत कि लोग खूब जानते हैं .
कद कि बारे में नारद जी कहते हैं ‘ बेटा ! कद भगवान यानि जनार्दन ही घटा बढ़ा सकता है. कद से छेड़छाड़ का दूसरा अधिकार जनता को मिला है .राजनीति में जो लोग कद कि साथ कतर-ब्यौंत करते हैं वे ईर्ष्यालु किस्म कि होते हैं .प्रकृति से छेड़छाड़ का खमियाजा आखिर सबको भुगतना पड़ता है .इसलिए कद से छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए . ‘दुर्भाग्य ये है कि नारद जी की बात कलियुग में और हमारे यहां तो मोदी युग में कोई मानता नहीं .जनता जिसका कद छोटा कर देती है मोदी जी उसका कद बढ़ा देते हैं. कभी राज्य सभा में भेज कर ,कभी मंत्री बनाकर. अकेले मोदी जी ही नहीं हर पार्टी में कद घटाने -बढ़ाने का खेला चलता रहता है .हाल ही में नड्ढा जी ने भी यही खेल किया .यानि कद न हुआ एक कद्दू की बेल हो गयी.जब चाहे बढ़ा लीजिये और जब चाहे घटा दीजिये .जमाना खराब है .अपने-अपने कद का ख्याल रखिये .