मप्र चुनाव: भाजपा के मजबूत संगठन और बूथ मैनेजमेंट से कैसे पार पाएगी कांग्रेस

0
902

भोपाल। केंद्र और कई राज्यों में राज कर रही बीजेपी की सफलता का राज मजबूत संगठन और समर्पित कार्यकर्ता माने जाते हैं। बीजेपी के बूथ मैनेजमेंट के सामने कांग्रेस सहित तमाम राजनीतिक दल बौने साबित नजर आते हैं। बताया जा रहा है कि इन दलों के पास उनका अपना जनाधार और वोट बैंक है, लेकिन जब संगठन की बात आती है, तो कांग्रेस सहित तमाम दल बीजेपी के सामने कमजोर नजर आते हैं। यही वजह है कि 2003 से लगातार मध्यप्रदेश में बीजेपी सत्ता हासिल करती आ रही है और मप्र में सबसे ज्यादा समय तक राज करने वाली पार्टी बन गयी है। अपने मजबूत संगठन और बूथ मैनेजमेंट के बूते भाजपा चौथी बार सत्ता हासिल करने की कोशिश में है।
MP elections: How to overcome BJP’s strong organization and booth management Congress
पिछले चुनावों की अपेक्षा कई चुनौतियां
इस बार भाजपा के सामने पिछले चुनावों की अपेक्षा कई चुनौतियां हैं, लेकिन मजबूत संगठन भाजपा की सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। 2003 से सत्ता का वनवास भोग रही कांग्रेस तमाम माकूल परिस्थितियों के बाद समझ रही है कि, अगर बूथ पर मजबूत नहीं हुए तो बीजेपी की चुनौती का सामना करना मुश्किल होगा। हालांकि कांग्रेस ने निराश और हताश पड़े संगठन को मजबूत करने की कवायद पहले से शुरू कर दी थी।

एक के बाद एक कई राज्यों में हार का सामना
कांग्रेस ने भी अपने बूथ मैनेजमेंट को मजबूत किया है, लेकिन बीजेपी के चाणक्य अमित शाह की रणनीति और बूथ मैनेजमेंट के सामने कांग्रेस अब भी कमजोर नजर आ रही है। हालांकि 2014 में लोकसभा चुनाव में हार के बाद एक के बाद एक कई राज्यों में हार का सामना कर चुकी कांग्रेस ने भी इस चुनौती का आकलन काफी पहले कर लिया था। खासकर मध्प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों को लेकर कांग्रेस बूथ स्तर की रणनीति पर काम करने में करीब एक साल पहले जुट गई थी, लेकिन अब भी कई मायनों में कांग्रेस बीजेपी से पिछड़ी नजर आती है।

बीजेपी सरकार को करना पड़ेगा सत्ता विरोधी लहर का सामना
अमित शाह के पन्ना प्रमुख और पार्टी के पूर्णकालिक कार्यकर्ता जैसे फामूर्लों के अलावा विधायकों और सांसदों की विधानसभा वार तैनाती, भाजयुमो की पंचायत स्तर पर तैनाती, हर बूथ पर महिला मोर्चा की 5 कार्यकतार्ओं की तैनाती जैसे कई फामूर्लों पर बीजेपी ने चुनावी मैनेजमेंट का काम शुरू कर दिया है। बीजेपी समझ रही है कि 15 साल की मप्र सरकार की सत्ता विरोधी लहर के अलावा अब मोदी सरकार को लेकर भी लोगों का रुझान कम हुआ है।

पिछले उपचुनावों में कांग्रेस के बूथ मैनेजमेंट की जीत
2013 तो मोदी लहर के चलते मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी जीत गए थे, लेकिन अब तीनों राज्यों में सत्ताविरोधी लहर का केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ सामना करना होगा। ऐसे में केंद्रीय और राज्य स्तर का संगठन हर उस फॉमूर्ले और विकल्प पर काम कर रहा है, जो बीजेपी की सत्ता बरकरार रखने में मददगार साबित हो। दूसरी तरफ बीजेपी की जीत के इस फॉमूर्ले को समझ चुकी कांग्रेस भी अब प्रदेश में बूथ मैनेजमेंट में जुट गई है। सूत्रों की मानें तो पिछले उपचुनावों की जीत कांग्रेस के बूथ मैनेजमेंट की ही जीत है।