ऑस्ट्रेलिया के रिसर्चर्स ने रहस्यमयी रेडियो तरंगे डिटेक्ट कीं, दावा

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TIO NEW DELHI

ऑस्ट्रेलिया की द यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के रिसर्चर्स के दावे ने एक नई बहस छेड़ दी है। एस्ट्रोफिजिकल रिसर्च जनरल में एस्ट्रोनॉमर्स की एक अंतरराष्ट्रीय टीम की रिसर्च प्रकाशित हुई है। इसमें कहा गया है कि आकाशगंगा के केंद्र से इस साल जनवरी में रहस्यमयी रेडियो तरंगे डिटेक्ट की गई हैं। पहचानी गई रेडियो तरंगे बिल्कुल नई हैं।

टीम को पहला सिग्नल उस समय मिला, जब वह पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के दूरस्थ इलाके में ऑस्ट्रेलियाई स्क्वायर किलोमीटर ऐरे पाथफाइंडर (ASKAP) रेडियो टेलीस्कोप के जरिए आकाश की छानबीन कर रही थी।

कई बार डिटेक्ट किए गए सिग्नल
रिसर्च में सह-लेखक के तौर पर शामिल रहीं सिडनी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर तारा मर्फी ने बताया कि पहली बार सिग्नल आने के कुछ ही हफ्तों बाद सिग्नल 4 बार और देखे गए। सिग्नल ASKAP J173608.2-321635 नामक सोर्स से आया था, जो कुछ समय बाद गायब हो गया। कुछ महीनों बाद फिर से सिग्नल को एक-दो बार डिटेक्ट किया गया। उन्होंने कहा कि कभी-कभी ऐसा लगता है कि कई दिनों या हफ्तों तक इसका पता लगाया जा सकता है। लेकिन कुछ समय सिग्नल एक ही दिन में कई बार आकर चले जाते हैं। किसी एस्ट्रोनॉमिकल वस्तु की तुलना में यह बेहद तेज गति है।

सिग्नल की स्पीड भी रहस्यमयी
सिग्नल की सिर्फ टाइमिंग ही रहस्यमयी नहीं थी, बल्कि इसकी स्पीड भी काफी ज्यादा थी। रिसर्चर्स का दावा है कि यह रेडियो स्पेक्ट्रम से 100 गुना ज्यादा तेज हो सकता है। हालांकि, रिसर्चर्स ने यहा भी कहा है कि इसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने एलियन का पता लगा लिया है।

पहले तारा समझते रहे रिसर्चर
प्रोफेसर मर्फी ने बताया कि शुरुआती खोज के कई महीनों बाद PHD छात्र जितेंग वांग के नेतृत्व में टीम ने कई विकल्पों की खोज की। यह टीम सिग्नल का सोर्स पता करने की कोशिश कर रही थी। पहली कोशिश में टीम को लगा कि यह एक रेडियो तरंग छोड़ने वाला एक मृत तारा है। इस तरह का तारा तेजी से एनर्जी रिलीज करता रहता है। इसके बाद टीम ने पार्क्स रेडियो टेलीस्कोप की मदद ली। यह इस तरह की रेडियो तरंग डिटेक्ट करने के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि, यह भी इन तरंगों को डिटेक्ट नहीं कर पाया।

तीन महीने की मेहनत के बाद मिला सिग्नल
रिसर्चर्स की टीम ने मीरकट रेडियो टेलीस्कोप की मदद ली। यह दक्षिण अफ्रिका में लगा है। इससे रेडियो सिग्नल के अलावा सिग्नल के फोटो भी लिए जा सकते हैं। तीन महीने तक उन्हें किसी तरह की सफलता नहीं मिली, लेकिन इस साल फरवरी में उन्हें एक सिग्नल मिला। यह बेहद ताकतवर सिग्नल था। दूसरी कोशिश में टीम को एक और सिग्नल मिला। टीम को लगा कि यह किसी चमकीले तारे से आ रहा प्रकाश है। प्रोफेसर मर्फी ने कहा कि वह चमकीली वस्तु अगर तारा होती तो हम इसे देख पाते, लेकिन हम उसे नहीं देख पाए।