Fertilizer Crisis in Madhya Pradesh: 80 लाख किसानों का दर्द- खाद नहीं मिल रही

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TIO BHOPAL

प्रदेश में जैसे-जैसे रबी फसलों की बोवनी का काम तेज होता जा रहा है वैसे-वैसे खाद की मांग भी बढ़ती जा रही है। चंबल संभाग के बाद अब बुंदेलखंड, महाकोशल और विंध्य क्षेत्र में डीएपी की मांग बढ़ी है। मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने से कई जिलों में विक्रय केंद्रों पर भीड़ लगने लगी है। स्थिति यह बन गई किसानों को खाद के लिए पर्चियां दी जा रही हैं। खाद की मांग को लेकर सागर में जहां किसानों ने राजमार्ग 86 पर चक्का लगाया।

प्रदेश में जैसे-जैसे रबी फसलों की बोवनी का काम तेज होता जा रहा है वैसे-वैसे खाद की मांग भी बढ़ती जा रही है। चंबल संभाग के बाद अब बुंदेलखंड, महाकोशल और विंध्य क्षेत्र में डीएपी की मांग बढ़ी है। मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने से कई जिलों में विक्रय केंद्रों पर भीड़ लगने लगी है। स्थिति यह बन गई किसानों को खाद के लिए पर्चियां दी जा रही हैं। खाद की मांग को लेकर सागर में जहां किसानों ने राजमार्ग 86 पर चक्का लगाया। प्रदेश में डीएपी खाद की किल्लत विकराल हो गई है, क्योंकि सभी 3400 सहकारी संस्थाओं में इस समय खाद नहीं है। जिन 25 जिलों में अगले 20 दिन में रबी सीजन की फसलों गेहूं, चना, मसूर, सरसों की बुवाई होना है, वहां की सहकारी संस्थाएं भी खाली पड़ी हैं। अक्टूबर के शेष 5 दिन और नवंबर के 15 दिन किसान इन्हीं फसलों की बुवाई करेंगे, लेकिन खाद की किल्लत ने उसकी परेशानी बढ़ा दी है।

इस महीने के बकाया 5 दिनों में केंद्र से 12 रैक यूरिया, 5 रैक डीएपी और 10 रैक एनपीके खाद के मिलना है, जबकि इस दरम्यान खाद के 50 रैक की जरूरत है। रबी की सभी फसलों की बुवाई में ज्यादा डीएपी खाद लगती है, लेकिन केंद्र से सिर्फ 5 रैक ही (13 हजार मीट्रिक टन) मिल रही है, जबकि जरूरत एक लाख मीट्रिक टन की है।

डीएपी की कमी होने पर वैकल्पिक एनपीके खाद का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इस खाद की भी सप्लाई 26 हजार मीट्रिक टन होनेे की संभावना है। बता दें कि यूरिया की जरूरत फसल की बढ़त के लिए बुवाई होने के 21 दिन बाद होती है।

इन जिलों में तुरंत चाहिए खाद

भोपाल, रायसेन, सीहोर, शिवपुरी, श्योपुर, अशोकनगर, गुना, राजगढ़,जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, दमोह, नरसिंहपुर, ग्वालियर, दतिया, भिंड और मुरैना, होशंगाबाद, सागर, दमोह, विदिशा, रीवा, सीधी, सतना, देवास, शाजापुर, इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, नीमच।

डीएपी की 1200 रु. की बोरी 1450 और एनपीके की बोरी 1700 रु. में बिक रही है। मजबूरन किसानों को महंगे दामों में खाद खरीदना पड़ रही है। इसकी बड़ी वजह रबी सीजन की बुवाई का समय 15 नवंबर तक ही रहता है।