प्रदेश में 10 दिनी किसान आंदोलन शुरू, सुरक्षा में एसएफ की 87 कंपनिया तैनात

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भोपाल। मध्य प्रदेश सहित देश के अन्य हिस्सों में शुक्रवार से शुरू हो रहे किसान आंदोलन के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। फसल की बेहतर कीमत और कर्जमाफी की मांग को लेकर अपने उत्पाद अगले 10 दिन तक ने बेचने वाले किसानों ने राज्य सरकार की नींद उड़ा दी है। दरअसल, पिछले साल जून में प्रदेश के मंदसौर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर फायरिंग में 6 लोगों की मौत हो गई थी। उसके बाद से शिवराज सिंह चौहान सरकार किसानों के मुद्दे पर घेरी जा रही है।
10 Daytime Kisan movement begins in the state, 87 companies of SF deployed in security
किसान आंदोलन को देखते हुए सरकार ने भारी सुरक्षाबल की तैनाती की है। राज्य के 18 जिलों में स्पेशल ऐक्शन फोर्स की 87 कंपनियां, 5000 अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। पुलिस बल को भोपाल, इंदौर, राजगढ़ और दतिया में 100 वाहन मुहैया कराए गए हैं। पुलिस अफसरों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। उन्हें 10 दिन तक पुलिस स्टेशन में मौजूद रहने के लिए कहा गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 35 जिलों में करीब 10 हजार लाठियां भी बंटवाई गई हैं।

किसानों से भरवाए गए हैं बॉन्ड
मंदसौर और उसके आसपास के जिलों में निषेधाज्ञा लागू है। सैकड़ों किसानों से बॉन्ड भरवाए गए हैं। हजारों की संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और पूरे इलाके में भारी तनाव है। उधर मंदसौर और उसके आसपास के जिलों में प्रशासन की तैयारियों से डरे किसानों ने कहा है कि उनका आन्दोलन हिंसक नहीं होगा लेकिन सरकार उन पर दबाव न बनाए। उधर, मंदसौर के कलेक्टर ने का कहना है कि स्थिति सामान्य है और सुरक्षा व्यवस्था एहतियातन की गई है। उन्होंने बताया कि जरूरी सामान की आपूर्ति में भी कोई कमी नहीं है।

‘संसद सत्र में हो चर्चा’
रिपोर्ट्स के मुताबिक किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर आगामी संसद सत्र में किसानों के मुद्दे पर चर्चा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। गौरतलब है कि किसान आंदोलन 1 जून से शुरू होकर 10 जून तक चलेगा। इस दौरान किसानों ने अपने उत्पाद न बेचने का ऐलान किया है। इसके चलते कई चीजों के दाम बढ़ने का भी अंदेशा है।

150 किसान संगठन एक साथ
आम किसान यूनियन के प्रमुख केदार सिरोही ने बताया कि राज्य के 150 से ज्यादा किसान संगठनों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है, साथ ही प्रदेश की सभी 53 हजार पंचायतों ने किसान हित की लड़ाई जारी रखने पर हामी भरी है। उन्होंने कहा, सरकार किसानों को अपना हक मांगने पर गोली मारती है और डंडे बरसाती है। 6 जून + किसानों के लिए काला दिन है।

इस घटना के एक साल पूरा होने पर हम बरसी मना रहे हैं। अब 10 दिन तक किसी गांव से न तो कोई सामान शहर आएगा और न ही जाएगा। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने बताया है कि 130 से अधिक किसान संगठन उनके साथ हैं। उन्होंने कहा, ‘यह अब देशव्यापी आंदोलन बन गया है। हमने इसे ‘गांव बंद’ का नाम दिया है। हम शहरों में नहीं जाएंगे क्योंकि हम आमजन के जीवन को बाधित नहीं करना चाहते।’