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मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव टल सकता है। इस पर अब गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव किसी की जिंदगी से बड़ा नहीं है। लोगों की जान हमारे लिए पहली प्राथमिकता है। पंचायत चुनाव का जो अनुभव है, जो दूसरे प्रदेशों में हुए थे, उससे काफी नुकसान हुआ था। लोगों की सेहत असर पड़ा था। मेरी व्यक्तिगत राय है कि कोरोना की दहशत और आहट को देखते हुए पंचायत चुनाव को टाला जाना चाहिए। इस बारे में CM शिवराज सिंह चौहान से बात करूंगा।
गृहमंत्री से पहले विधानसभा अध्यक्ष डॉ. गिरीश गौतम भी पंचायत चुनाव टलने के संकेत दे चुके हैं। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे के साथ ही मध्यप्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते पंचायत चुनाव के टाले जाने की बात सामने आ रही है। गृहमंत्री मिश्रा के रूख से साफ है कि चुनाव को लेकर जल्द ही कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
विधानसभा में पारित हो चुका संकल्प
एक दिन पहले ही गुरुवार को विधानसभा में सर्वसम्मति से अशासकीय संकल्प पारित किया गया था कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना न हों। सरकार विधानसभा का यह संकल्प राज्य निर्वाचन आयोग को भेज रही है। इससे साफ है कि अब आयोग तय करेगा कि चुनाव की प्रक्रिया जारी रहेगी या फिर इसे टाला जाएगा? इससे पहले बुधवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा था कि मध्यप्रदेश में चल रहे पंचायत चुनाव के परिणाम घोषित नहीं होंगे। प्रदेश के सभी कलेक्टरों को निर्देश भी जारी किए गए।
इधर, पहले चरण के चुनाव को लेकर चल रही प्रोसेस
मध्यप्रदेश में नौ जिले भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, निवाड़ी, अलीराजपुर, पन्ना, नरसिंहपुर, हरदा और दतिया में एक ही चरण में चुनाव होने हैं। 6 जनवरी को यहां वोटिंग होगी। इसके चलते नाम निर्देश पत्रों की प्रक्रिया 23 दिसंबर को पूरी हो चुकी है।
हंगामे के बाद मप्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के विधायकों द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए अनुपूरक बजट में मात्र ₹400 का प्रावधान किए जाने को लेकर विरोध किया जा रहा था। इसको लेकर पहले प्रश्नकाल स्थगित हुआ और जब दोबारा कार्यवाही प्रारंभ हुई तब भी कांग्रेस के विधायक आसंदी के सामने आकर नारेबाजी करते रहे। जबकि, विधानसभा अध्यक्ष बार-बार विधायकों को समझाते रहे कि वह अपने स्थानों पर वापस जाएं और कार्यवाही को आगे बढ़ाने में सहयोग करें, लेकिन वह नहीं माने।
इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाई और कार्यसूची में उल्लेखित सभी विषयों को पूरा कराया। इस दौरान वन मंत्री विजय शाह ने मध्य प्रदेश का स्थिति रायन विनियमन संशोधन विधेयक विचार के लिए प्रस्तुत किया। हंगामे के कारण इस पर कोई चर्चा नहीं हो सकी और इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।