उड़ता इंडिया, बनाम बड़ा पर्दा

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राकेश अचल

क्या सियासत के लिए हर कला औजार बनाई जाना चाहिए? इस सवाल का जबाब देना आपके लिए कठिन हो सकता है लेकिन देश के पंत प्रधान बहुत आसानी से इसका जबाब दे चुके हैं. उन्होंने अपनी पार्टी के संसदीय दल की बैठक में साफ़ -साफ़ कहा है कि भविष्य में ‘ द कश्मीर फ़ाइल ‘ जैसी फ़िल्में लगातार बनाई जाएँ ताकि छिपा हुआ सच उजागर होता रहे .जाहिर है कि सच को उजागर किये बिना अब देश की जनता का सामना नहीं किया जा सकता और इसके लिए सियासत को बड़े परदे की जरूरत है. विवेक अग्निहोत्री ने बड़े परदे को राजनीति के इस्तेमाल के लिए खोल दिया है .


अगर आप अपनी आँखों का जाला साफ़ कर देख सकें तो पाएंगे कि ये सब ‘ उड़ता पंजाब ‘ की तर्ज पर ‘ उड़ता भारत ‘ बनाने की एक कोशिश है .यानि देश को एक अलग किस्म के नशे में उलझकर रखिये ताकि देश असल मुद्दों तक कभी पहुँच ही न पाए. अब देश में ‘ सच ‘ के नाम पर अतिरंजित ‘ झूठ ‘ परोसने का अभियान चलाया जाना है .इसके संकेत आपको माननीय प्रधानमंत्री जी के संसदीय दल की बैठक में दिए गए भाषण में साफ़-साफ़ नजर आ जायेंगे .
प्रधानमंत्री जी ने संसदीय दल की बैठक में कहा है कि -‘ द कश्मीर फाइल्स ‘ जैसी फिल्में बनती रहनी चाहिए, क्योंकि ऐसी फिल्में सच को समाने लेकर आती है.प्रधानमंत्री ने कहा कि एक लंबे समय तक जिस सच को छुपाने की कोशिश की उसे सामने लाया जा रहा है, जो लोग सच छुपाने की कोशिश करते थे वो आज विरोध कर रहे हैं. कश्मीर फाइल्स को कई भाजपा शासित राज्यों ने टैक्स फ्री कर दिया है. यानि जाहिर है की भाजपा बड़े परदे के जरिये सच को उजागर करने के लिए बाकायदा अपने खजाने से भी समझौता कर रही है .अतीत में भी ‘ मदर इंडिया ‘ जैसी फ़िल्में सच का आइना बनकर आयीं थीं उन्हें भी टैक्स फ्री किया गया था ,लेकिन वे किसी राजनीतिक दल का एजेंडा पूरा नहीं करती थीं .
बहरहाल मैंने कहा कि अब देश को उड़ता इंडिया बनाया जा रहा है,यानि अगले कुछ वर्षों तक देश सच के नाम पर झूठ के ऐसे जाल में उलझाया जाने वाला है जिससे न युवा रोजगार मांगे और न किसान अपनी फसलों का न्यूनतम दाम .गृहिणी न मंहगी रसोई गैस की शिकायत करे और न महगें आटा-दाल को लेकर सड़कों पर आये .यानि देश एक छद्म राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मकड़जाल में उलझा रहे .प्रधानमंत्री जी यहीं नहीं रुकते .वे कहते हैं कि-‘ ‘उनको हैरानी हो रही है कि इस सत्य को इतने सालों तक दबा कर रखा गया जो अब तथ्यों के आधार पर बाहर लाया जा रहा है.’मोदी ने आरोप लगाया कि विभाजन और आपातकाल के दर्द को सामने लाते हुए अभी तक कोई फिल्म बनाने का प्रयास नहीं हुआ क्योंकि सच्चाई को दबाने का लगातार प्रयास किया गया.

माननीय प्रधानमंत्री की विद्व्ता को लेकर टिप्पणी करने की मेरी कोई हैसियत नहीं है लेकिन उनके ज्ञान पर हैरानी जरूर होती है. वे जब फ़िल्में देखते ही नहीं तो उन्हें कौन बताये कि देश में विभाजन और आपातकाल समेत ऐसा कोई विषय बचा ही नहीं है जिसके ऊपर हमारे देश के फिल्म निर्माताओं ने फिल्म न बनाई हो .माननीय ने न ‘ किस्सा कुर्सी का ‘ देखी और ‘तमस ‘ इसलिए वे ऐसे बयान न दें तो और क्या करें .संसदीय दल में ऐसा कोई महावीर है भी नहीं जो उन्हें टोके और ‘ सच ‘ से उनका सामना कराये .प्रधानमंत्री जी दिन रात के 24 घंटे में से 18 घंटे काम करते हैं ,उन्हें अतीत में सच को उजागर करने की फुरसत कहाँ ?


संसदीय दल की बैठक में हाल के विधानसभा के चुनाव परिणामों की कम फिल्म की चर्चा ज्यादा हुई .रूस- यूक्रेन युद्ध और भारतीय छात्रों की परेशानियों की कम पोलेंड से जामनगर के रिश्तों की चर्चा ज्यादा हुई .ये भाजपा का अंदरूनी मामला है.भाजपा जिस पर चाहे चर्चा करे,किसी को क्या ?लेकिन हैरानी इस बात की है कि भाजपा ने अब छोटे पर्दे के बाद देश के बड़े परदे को अपनी राजनीति के लिए हथियार बनाने की ठान ली है .देश का छोटा पर्दा गोदी मीडिया में तब्दील कर भाजपा को जो हासिल करना था सो हासिल कर लिया,अब छोटा पर्दा अविश्वसनीय होता जा रहा है इसलिए भाजपा की नजर अब बड़े परदे पर है ,और संयोग से भाजपा का प्रयोग बजरिये विवेक अग्नहोत्री जैसे फिल्म निर्माताओं के जरिये कामयाब होता दिखाई दे रहा है .

भाजपा संसदीय दल की बैठक में हम और आप तो जा नहीं सकते इसलिए भाजपा जारी माननीय प्रधानमंत्री जी के भाषण के वीडियो पर ही भरोसा करना पड़ता है. माननीय कहते हैं कि -‘ ‘इन दिनों ‘द कश्मीर फाइल्स ‘की खूब चर्चा हो रही है. जो लोग हमेशा अभिव्यक्ति की आजादी के झंडे लेकर घूमते हैं, वह पूरी जमात बौखला गई है.’ पीएम ने कहा, ‘तथ्यों के आधार पर इसकी विवेचना करने के बजाए, इसको बदनाम करने के लिए एक मुहिम चलाई जा रही है. यह पूरा इकोसिस्टम…अगर कोई सत्य उजागर करने का साहस करें…तो बौखला जाता है. वह वही प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं जिसे वह सत्य मानते हैं. पिछले चार-पांच दिनों से यही कोशिश हो रही है कि लोग सत्य को ना देख सकें.’

सत्ता प्रतिष्ठान का झूठ छिपाने के लिए सिनेमाई सच का सहारा लिया जा रहा है .भाजपा के इस दुस्साहस को मै प्रणाम करता हूँ ,आपको भी करना चाहिए .देश को सच के नाम पर एक अलग किस्म का नशा कराकर देश पर एक अलग किस्म का एजेंडा थोपने की इस मुहिम का सामना इस देश के विपक्षी दल तो आज की तारीख में करने की हैसियत में नहीं है. अब ये काम जनता ही कर सकती है. अब जनता को ही तय करना है कि उसे इस नशे में डूबे रहना है या सचमुच सच का सामना करते हुए इस नशे के खिलाफ खड़ा होना है.आने वाले दिन देश के लिए बहुत भारी होने वाले हैं .सच के नाम पर अब हर महीने कुछ न कुछ ऐसा परोसा जाएगा ताकि आप रोते -बिलखते रहें और अपने अतीत को गरियाते रहें मौजूदा सरकार से उसकी नाकामियों के लिए कभी भी,कोई भी सवाल न करें .