TIO NEW DELHI
उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में दो साल बाद रंगपंचमी के रंग दिखे। कोविड पाबंदियां हटने के बाद भक्तों ने बाबा के आंगन में होली खेली। माहौल बृज की होली से कम नहीं है। सुबह भस्मारती में महाकाल को टेसू के फूलों से बना रंग चढ़ाया गया। पण्डे, पुजारी और श्रद्धालु हर्बल रंगों से सराबोर दिखे। टेसू से तैयार केसरिया रंग को गर्भगृह से नंदी हॉल तक उड़ाया गया। परंपरा के अनुसार सबसे पहले पुजारियों ने बाबा महाकाल को टेसू के फूलों से बना रंग लगाया। आरती के दौरान रंग को श्रद्धालुओं पर फेंका।
रंगपंचमी पर महाकाल का भांग, चंदन और सूखे मेवे से श्रृंगार किया गया। पंचामृत अभिषेक पूजन के बाद भस्म अर्पित की गई। त्रिनेत्र रूपी, मस्तक पर रजत त्रिपुण्ड और सिर पर शेषनाग रजत मुकुट धारण किया। रुद्राक्ष और फूलों की माला अर्पित की गई।
महाकाल के आंगन में होली उत्सव के बाद शहरवासियों ने रंग पर्व की शुरुआत की। यहां रंग तरंग की मस्ती में युवा रंग व गुलाल से होली खेलते नजर आए। शहर के हर मोहल्ले में लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर रंगपंचमी का पर्व मना रहे थे। कोरोनाकाल के दो साल बाद इस बार रंगपंचमी पर लोगों का उत्साह देखने लायक है। शाम को महाकाल मंदिर, सिंहपुरी, कार्तिक चौक तथा भागसीपुरा से पारंपरिक गेर निकाली जाएगी। श्रद्धालु बैंड बाजे व ढोल ढमाकों के साथ शौर्य व विजय के प्रीतक ध्वज निशान लेकर निकलेंगे।