TIO भोपाल
भोपाल में भीषण गर्मी के बीच लोकशिक्षण संचालनालय के बाहर धरने पर बैठे OBC के चयनित शिक्षकों की आंखों से नींद गायब है। उनकी खुली आंखों में सिर्फ नौकरी का सपना है। 42 डिग्री की तपिश में अनशन पर बैठे उम्मीदवार न पानी पी रहे हैं, न खाना खा रहे हैं। जिससे उनकी तबीयत दिनों दिन बिगड़ती जा रही है। उनका कहना है हमने बच्चों और परिवार के हिस्से का वक्त चुराकर सिलेक्शन लिस्ट में नाम बनाया। जब नौकरी की बारी आई, तो सरकार मुंह फेर रही है। वे पूछ रहे हैं कि हम क्या गलती की है, ऐसी जिद क्यों सरकार कर रही है।
चयनित उम्मीदवार कहते हैं कि संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा का 2018 में विज्ञापन निकला। फरवरी 2019 में परीक्षा हुई। हम तो तब से ही खुद को सिलेक्टेड मान रहे हैं। कोरोना के 2 साल बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी हो गया। अब नौकरी मिलने ही वाली थी, तो ओबीसी आरक्षण पर रोक का तर्क दिया जा रहा है। क्या इसके लिए हम जिम्मेदार हैं?
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बुदनी विधानसभा के रहने वाले धर्म सिंह की तबीयत बिगड़ने पर रात 11.30 बजे ही उन्हें 108 एंबुलेंस से अस्पताल शिफ्ट करना पड़ा। पूछने पर पता चला कि वे अनशन पर हैं। पानी तक नहीं पिया है। कमजोरी इतनी है कि वे बात भी नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने बस इतना कहा कि अनशन पर हूं तो पानी कैसे पी सकता हूं।
महिला उम्मीदवार भी सड़क पर गुजार रहीं रात
यहां धर्मपाल अकेले नहीं हैं, जो धरना और अनशन कर रहे हैं। बालाघाट, छिंदवाड़ा, उमरिया, कटनी से पहुंचीं अन्य चयनित महिला शिक्षिकाएं भी हैं। जो अपने पति, बच्चों और अन्य पारिवारिक सदस्यों से दूर नौकरी की उम्मीद में यहां खुले में रात काटने काे मजबूर हैं। ज्यादातर के परिवार वालों को ये नहीं मालूम कि उनकी बेटी-बहू यहां रात में कैसे सोती हैं, क्या खाती हैं, कहां टॉयलेट जाती हैं और कहां कपड़े बदलती हैं। कोई बच्चों से झूठ बोलकर आता है, तो कोई परिवार से। कहते हैं कि नौकरी की दहलीज पर आकर वे खाली हाथ घर नहीं लौटेंगे।