सैफई में होगा मुलायम सिंह का अंतिम संस्कार, UP में 3 दिन का राजकीय शोक

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TIO NEW DELHI

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का आज निधन हो गया है। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। यूपी में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया गया है।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जताया दुख
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट कर कहा, मुलायम सिंह यादव जी का राजनीतिक कौशल अद्भुत था। दशकों तक उन्होंने भारतीय राजनीति का एक स्तंभ बनकर समाज व राष्ट्र की सेवा की। जमीन से जुड़े परिवर्तनकारी,सामाजिक सद्भाव के नेता,आपातकाल में लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्षधर के रूप में वे सदैव याद किए जाएंगे। उनका जाना अपूर्णीय क्षति है।

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दुख जताया
उन्होंने लिखा, “देश के पूर्व रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह का योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा।”
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को पत्र लिखा।
राजनाथ सिंह कल मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार में शमिल होने सफाई जाएंगे।

  1. बेटे अखिलेश यादव से जबरदस्त प्रेम की कहानी
    पहली पत्नी मालती देवी की हृदयाघात से मौत के बाद अखिलेश की किशोरावस्था उनके दादी के सानिध्य में गुजरी। मुलायम के अखिलेश के प्रति ज्यादा प्रेम की एक बड़ी वजह ये भी है। अखिलेश और मुलायम सैफई में उस स्थान पर नियमित जाते हैं जहां उनका (मालती देवी) अंतिम संस्कार किया गया था। 1982 का समय था। मुलायम सिंह बेटे अखिलेश को लेकर सड़क के रास्ते ग्वालियर जा रहे थे, जहां उनका एडमिशन प्रतिष्ठित सिंधिया कॉलेज में होना था। अचानक उनकी गाड़ी रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। किसी को चोट नहीं आई थी। मुलायम ने अपने बगल में बैठे साथी से कहा, ‘यार, मेरा केवल एक बेटा है वो भी अकेले यात्राएं करता हैं। अगर उसे कुछ हो गया तो?’ मुलायम ने कुछ देर सोचा फिर ड्राइवर से कहा, गाड़ी वापस करो, मुझे टीपू को यहां इतनी दूर नहीं पढ़ाना।
  2. डकैतों के सामने सीना ताने खड़े हुए
    विधान परिषद के पूर्व सभापति चौधरी सुखराम सिंह यादव बताते हैं, ‘मुझे वर्ष तो नहीं याद है। पर, मौका माधोगढ़ (जालौन) सीट के विधानसभा उप चुनाव का था। मेरे पिता और मुलायम सिंह के मित्र चौधरी हरमोहन सिंह वहां चुनाव प्रचार कर रहे थे। मैं भी साथ में था। उन दिनों रात-रात भर गांवों में जाकर लोगों से मिलने-जुलने और वोट मांगने की परंपरा थी। हम लोग एक गांव से निकलकर दूसरे गांव जा रहे थे। रात का वक्त था। कुठवन के पास एक गांव में फायरिंग की आवाज सुनाई दी। ‘नेताजी’ ने मुझसे कहा कि जीप गांव की तरफ ले चलो। शायद, डकैती पड़ रही है। उन्होंने पड़ोस के गांव के कुछ लोगों को भी जगवाया। हम सभी लोग उस गांव के पास पहुंचे। नेताजी सबसे आगे। गांव से थोड़ा पहले रुककर उन्होंने डकैतों को ललकारा तो उधर से हम लोगों पर फायरिंग हुई। पर, नेताजी पूरी तरह बेखौफ। आखिरकार, डकैतों को गांव से भागना पड़ा। गांव वाले सभी लोग सुरक्षित बच गए।’
    सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव
  3. कवि अदम गौंडवी की मदद को आगे आए
    ऐसा ही एक किस्सा और भी है। मशहूर हास्य कवि अदम गोंडवी जब गंभीर रूप से बीमार पड़े तो उन्हें जरूरी इलाज नहीं मिल सका। गोंडवी के पुत्र लगातार नेताओं के चक्कर काटते रहे कि कोई पिता के लिए सिफारिश कर दे तो उन्हें अच्छा इलाज मिल सके, लेकिन बात नहीं बनी। लखनऊ के संजय गांधी मेडिकल कालेज में भी बीमार गोंडवी को जगह नहीं मिल सकी। इसकी जानकारी जैसे ही मुलायम सिंह को हुई तो उन्होंने तुरंत अस्पताल प्रबंधन से बात कर गोंडवी को अस्पताल में भर्ती कराया, हालांकि बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
  4. भैंसागाड़ी में गई थी मुलायम की बारात
    मुलायम सिंह यादव की पहली शादी घरवालों ने 18 साल की उम्र में ही कर दी थी। मुलायम उस वक्त दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे। लोग बताते हैं कि उस वक्त गाड़ी-मोटर का इतना चलन नहीं था इसलिए मुलायम की बारात भैंसागाड़ी में गई थी। मुलायम 5 भैंसागाड़ी लेकर अपनी शादी में पहुंचे थे।
  5. लोगों के कपड़ों, जूतों और किराये तक की व्यवस्था कराई
    नेताजी की कोठी व पार्टी कार्यालयों में बहुत सारे ऐसे लोग भी आते थे जिनके पास सर्दियों में गर्म कपड़े नहीं होते थे, जूते नहीं थे या जो बीमार थे। ऐसे तमाम उदाहरण हैं कि नेताजी ने उनकी समस्या हल करने के साथ ही उनके लिए कपड़ों, जूतों और किराये तक की व्यवस्था कराई। विधानसभा 2012 का चुनाव चल रहा था। नेताजी को चुनावी सभा में जाना था। मैं उन्हें छोड़ने एयरपोर्ट जा रहा था। कृष्णानगर के पास यातायात व्यवस्थित रखने के लिए पुलिस ने एक दूधिये को रोका तो उसकी साइकिल गिर गई और दूध बिखर गया। नेताजी ने गाड़ी रुकवाई। डरे-सहमे दूधिये को बुलाकर पूछा कि उसका कितना नुकसान हुआ है। उसे तत्काल दो हजार रुपये दिए। गाड़ी में जाते हुए नेताजी से राजनीतिक चर्चा चल रही थी लेकिन इस घटना के बाद एयरपोर्ट तक दूधिये पर ही चर्चा होती रही। नेताजी कह रहे थे कि कितनी जल्दी उठकर कितने घरों से दूध लाया होगा। घर जाकर वह क्या जवाब देता? नेताजी इतने संवेदनशील हैं कि किसी को दुखी देख ही नहीं सकते थे।
  6. जब पीएम बनते-बनते रह गए मुलायम
    बात साल 1996 की है। इस साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को काफी कम सीटें मिली थीं। 161 सीट जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठबंधन में सरकार बनाई थी। हालांकि, यह सरकार 13 दिनों में ही गिर गई। इसके बाद पीएम पद की रेस में उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव का नाम सामने आया। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि लालू प्रसाद यादव के विरोध के कारण मुलायम पीएम न बन सके। उनकी जगह एचडी देवगौड़ा और इसके बाद आईके गुजराल को पीएम बनाया गया।

राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन में किस्सों की कमी नहीं

मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन में किस्सों की कमी नहीं है। लेकिन उनके जीवन में साधना गुप्ता का आना किसी बड़ी चर्चा से कम नहीं था। साधना उनकी दूसरी पत्नी कैसे बनीं और उनकी प्रेम कहानी घरवालों को रास क्यों नहीं आई इसकी भी एक रोचक दास्तान है। मुलायम सिंह यादव जब राजनीति के शिखर पर थे उसी वक्त उनकी जिंदगी में साधना गुप्ता का आगमन हुआ। कहते हैं कि 1982 में जब मुलायम लोकदल के अध्यक्ष बने, उस वक्त साधना पार्टी में एक कार्यकर्ता की हैसियत से काम कर रही थीं। बेहद खूबसूरत और तीखे नैन-नक्श वाली साधना पर जब मुलायम की नजर पड़ी तो वह भी बस उन्हें देखते ही रह गए। अपनी उम्र से 20 साल छोटी साधना को पहली ही नजर में मुलायम दिल दे बैठे थे। मुलायम पहले से ही शादीशुदा थे और साधना भी। साधना की शादी फर्रुखाबाद के छोटे से व्यापारी चुंद्रप्रकाश गुप्ता से हुई थी लेकिन बाद में वह उनसे अलग हो गईं। इसके बाद शुरू हुई मुलायम और साधना की अनोखी प्रेम कहानी। 80 के दशक में साधना और मुलायम की प्रेम कहानी की भनक अमर सिंह के अलावा और किसी को नहीं थी। इसी दौरान 1988 में साधना ने एक पुत्र प्रतीक को जन्म दिया। कहते हैं कि साधना गुप्ता के साथ प्रेम संबंध की भनक मुलायम की पहली पत्नी और अखिलेश की मां मालती देवी को लग गई। नब्बे के दशक में जब मुलायम मुख्यमंत्री बने तो धीरे-धीरे बात फैलने लगी कि उनकी दो पत्नियां हैं लेकिन किसी की मुंह खोलने की हिम्मत ही नहीं पड़ती थी। इसके बाद 90 के दशक के अंतिम दौर में अखिलेश को साधना गुप्ता और प्रतीक गुप्ता के बारे में पता चला। कहते हैं कि उस समय मुलायम साधना गुप्ता की हर बात मानते थे।
1993-2007 के दौरान मुलायम के शासन में साधना गुप्ता ने अकूत संपत्ति बनाई। आय से अधिक संपत्ति का उनका केस आयकर विभाग के पास लंबित है। साल 2003 में अखिलेश की मां मालती देवी की बीमारी से निधन हो गया और मुलायम का सारा ध्यान साधना गुप्ता पर आ गया।
हालांकि, मुलायम अब भी इस रिश्ते को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं थे। मुलायम और साधना के संबंध की जानकारी मुलायम परिवार के अलावा अमर सिंह को थी। मालती देवी के निधन के बाद साधना चाहने लगी कि मुलायम उन्हें अपनी आधिकारिक पत्नी मान लें, लेकिन पारिवारिक दबाव, ख़ासकर अखिलेश यादव के चलते मुलायम इस रिश्ते को कोई नाम नहीं देना चहते थे।
अखिलेश कतई तैयार नहीं थे
2006 में साधना अमर सिंह से मिलने लगीं और उनसे आग्रह करने लगीं कि वह नेताजी को मनाएं। अमर सिंह नेताजी को साधना गुप्ता और प्रतीक गुप्ता को अपनाने के लिए मनाने लगे। साल 2007 में अमर सिंह ने सार्वजनिक मंच से मुलायम से साधना को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का आग्रह किया और इस बार मुलायम उनकी बात मानने के लिए तैयार हो गए लेकिन अखिलेश इसके लिए कतई तैयार नहीं थे।