तानाशाह किम ने आर्मी पर पकड़ मजबूत करने 3 बड़े सैन्य अधिकारियों को पद से हटाया

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सोल। उत्तर कोरिया ने सेना के तीन टॉप अधिकारियों को उनके पद से हटा दिया है। रविवार को एक अमेरिकी अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। विशेषज्ञों की माने तो यह कदम उत्तर कोरिया के नेता की आर्थिक विकास और दुनिया के साथ रिश्ते स्थापित करने में मदद कर सकता है। किम जोंग-उन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ सिंगापुर में 12 जून को होनेवाली बैठक की तैयारियों में जुटे हैं। बता दें कि किसी मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति के संग उत्तर कोरियाई नेता की यह पहली बैठक होगी।
Dictator Kim removed 3 big military officers to step up the grip on the army
अमेरिकी अधिकारी ने पहचान न जारी करने की शर्त पर दक्षिण कोरियाई न्यूज एजेंसी यॉनहैप की उस रिपोर्ट पर बयान दिया, जिसमें कहा गया है कि उत्तर कोरिया की सेना के सभी तीन उच्च पदों पर तैनात मिलिटरी अधिकारियों की जगह किसी और ने ले ली है। ऐसा करने के पीछे किम जोंग की मंशा अभी तक साफ नहीं हुई है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू विकास और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए ऐसे गंभीर समय में सेना के पदाधिकारियों को लेकर हेर-फेर से किम जोंग और उनकी पार्टी की कोरियान पीपल्स आर्मी पर पकड़ मजबूत होगी।

रिसर्च ऐंड ऐनालिसिस आॅर्गनाइजेशन सीएनए में इंटरनैशनल अफेयर्स ग्रुप के डायरेक्टर केन गॉज कहते हैं, ‘अगर किम जोंग अमेरिका और दक्षिण कोरिया के साथ शांति स्थापित करने और परमाणु कार्यक्रम छोड़ने को तैयार हैं तो उन्हें सेना के प्रभाव को एक किनारे करना होगा। यह फेरबदल उन अफसरों को पदों पर बैठाने के लिए किया गया है जो सिर्फ किम जोंग-उन के प्रति वफादार हों।’ उत्तर कोरिया के साथ बैठक के दौरान अमेरिका यह उम्मीद कर रहा है कि प्योंगयांग परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए तैयार हो जाए और अमेरिकी अधिकारियों को लगता है कि सेना में कुछ लोग ऐसे हैं जो किम के दक्षिण कोरिया और अमेरिका के प्रति रुख से असहमत हैं।

ट्रंप चाहते हैं कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियार छोड़ दे और बदले में उसे आर्थिक प्रतिबंधों में ढील दी जाए। माना जाता है कि, उत्तर कोरियाई नेतृत्व अपने अस्तित्व के लिए परमाणु हथियारों को जरूरी समझता है, लेकिन किम ने कहा है कि अब उनकी योजना आर्थिक विकास पर फोकस करने की है। हालांकि, अमेरिकी अधिकारी ने अपदस्थ किए गए तीनों सैन्य अधिकारियों का नाम नहीं बताया है।

जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के 38 नॉर्थ वेबसाइट में नॉर्थ कोरिया एक्सपर्ट माइकल मैडन के मुताबिक, न्यूक्लियर और मिसाइल कार्यक्रमों में सेना को दूसरा स्थान देने वाले देश में यह फेरबदल ऐसे अधिकारियों को लाने के लिए किया गया है जो युवा हों और जिनपर किम जोंग भरोसा कर सकें। उन्होंने कहा, ‘परमाणु हथियार अब हल्के मामले हैं।’ मैडन ने कहा कि किम जोंग उन मौजूदा वातार्ओं के बाद अधिक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग और निवेश की उम्मीद कर रहे हैं और वह भ्रष्टाचार से बचना चाहते हैं, जिसकी वजह से पिछले कई प्रॉजेक्ट ठप हो गए। सभी नए अफसर अपने पूर्वाधिकारियों से कम उम्र के हैं।

इतना ही नहीं सभी तीनों नए सैन्य अधिकारियों के पास विदेशी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत का अनुभव है। यह ऐसा फैक्टर है जो किम जोंग-उन को अमेरिका, चीन, रूस और सीरिया के नेताओं संग वार्ता आयोजित करवाने में मदद करेगा। मैडन ने कहा, ‘वे इन युवाओं को तैयार कर रहे हैं क्योंकि अब दुनिया के कई देशों से संवाद बढ़ने वाला है। उन्हें पता है कि ऐसी बैठकों में कैसे बैठना है और पार्टियों में बद से ज्यादा नशा नहीं करना। उन्हें पता है कि कैसे बर्ताव रखना है।’