जमीनी हकीकत शशी कुमार केसवानी के साथ
चुनावी साल में कांग्रेस के हाथ से एक ओर मुद्दा निकल गया। कांग्रेस जहां भोपाल में करणी सेना के आंदोलन से मन ही मन में प्रसन्न हो रही थी और कांग्रेस को लग रहा था कि बिना मेहनत किए हमें दोनों हाथों में लड्डू मिल जाएंगे पर ऐसा हुआ नहीं। आखिर करणी सेना के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर की चेतावनी के बाद मप्र सरकार को झुकना पड़ा या फिलहाल आश्वासन से ही काम चला लिया है। इस मामले में जहां मध्यप्रदेश सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार भी जुड़ी हुई है। आने वाले समय में दोनों एक दूसरे पर मुद्दा डालते हुए नजर आएंगे। मुझे नहीं लगता कि इतनी जल्दी सरकार कोई निर्णय इतने गंभीर विषय पर ले लेगी। चुनाव के समय में सबको लोगों को आश्वासनों पर ही खुश किया जाता है,सरकार वहीं कर रही है। देखना यह है कि कांग्रेस इसमें किस तरह से मुद्दा बनाकर काम कर पाती या मूकदर्शक बनकर ही रह जाती है।
करणी सेना की मुख्य मांग है कि आरक्षण की प्रक्रिया में बदलाव किया जाए और जातिगत आरक्षण के बजाय आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण दिया जाए। प्रदर्शन के दौरान 5 लोगों की भूख हड़ताल लगातार जारी थी। जीवन सिंह शेरपुर ने दवा लेने से भी मना कर दिया था। इसके बाद सरकार और प्रशासन पर दबाव लगातार बढ़ते जा रहा था। इसके बाद आनन-फानन में सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया ने करणी सेना को उनकी मांगे मानने का आश्वासन दिया है, इसके बाद ही आंदोलन समाप्त किया गया।
हालांकि सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ भाजपा नेता भी इस आंदोलन का अंदरखाने से समर्थन कर रहे थे। इसकी भनक सरकार और दिल्ली तक पहुंच गई थी। ज्ञात हो कि जीवन सिंह शेरपुर ने चेतावनी दी थी कि एक बात याद रखना यदि हम मर भी जाए तो भी उग्र आंदोलन मत करना, क्योंकि हम परिवर्तन लाने के लिए आए हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे मरने के बाद एक कसम जरूर खाना कि जिंदगी भर भाजपा को वोट मत देना, क्योंकि यह तानाशाह सरकार है, उन्होंने कहा था कि अगर मैं मर जाऊं तो इसके बाद ऐसा न हो कि लाश लेकर निकल जाओ और तोड़-फोड़ करने लग जाओ। उन्होंने लोगों से अपील की थी कि मेरे मरने के बाद भी इस आंदोलन को जीवित रखना है। यदि आपको लगता है कि जीवन सिंह मरने के बाद भी जिंदा रहना चाहिए तो शांतिपूर्ण तरीके से यहां बैठकर धरना प्रदर्शन करना। धरने से मत उठना, जो मरेगा उसकी लाश ले जाई जाएगी या जंबूरी मैदान में ही जलाई जाएगी पर तुम लोगों को यहीं बैठना है, उग्र प्रदर्शन नहीं करना है, क्योंकि यह व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई है. उसके लिए बहुत कुर्बानियां देनी पड़ेगी। यदि एक कुबार्नी से पीछे हट गए, डर तो गए या आक्रोशित होकर तोड़-फोड़ कर दी तो आपका आंदोलन उसी दिन समाप्त हो जाएगा और आपने जिंदगी भर की मेहनत बेकार हो जाएगी। वहीं करणी सेना के कुछ पदाधिकारी यह भी बोल रहे थे कि भाजपा सरकार ने मांगें नहीं मानी तो विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे जिसके बाद से भाजपा की चिंता और बढ़ गई थी, क्योंकि राजपूत समाज के विभिन्न संगठन और ब्राह्मण भी इस आंदोलन का समर्थन कर रहे थे। वहीं कांग्रेस के समर्थन करने पर करणी सेना के राष्टÑीय अध्यक्ष वीरू दादा ने कहा था कि सरकार को हमारी मांगें माननी ही पड़ेगी। उन्होंने कहा था कि जो हमें समर्थन करेगा हम उसका स्वागत करते है।
सरकार ने करणी सेना परिवार के ज्ञापन में शामिल 22 मांगों में से 18 मांगों पर विचार के लिए सरकार ने 3 अफसरों की कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी 2 महीने के अंदर रिपोर्ट देगी। हालांकि करणी सेना की प्रमुख मांग आर्थिक आधार पर आरक्षण, एससी एसटी एक्ट में बिना जांच गिरफ्तारी पर सरकार ने कोई भी आश्वासन नहीं दिया है। वही सामान्य-पिछड़ा एक्ट, खाद्यान्न (रोजमर्रा की चीजें) को जीएसटी से मुक्त करने की मांग पर भी सरकार ने कोई विचार नहीं किया। इधर करणी सेना का वोट बैंक हासिल करने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस आंदोलन पर कहा था कि मुख्यमंत्री और सरकार को करणी सेना परिवार से बात करना चाहिए। कोई भी बात हो, उस पर चर्चा होना चाहिए। समझना चाहिए कि क्या उनका आक्रोश है। उस आक्रोश को सुनकर जो सही हो, वो मानना चाहिए। कमलनाथ ने कहा, अगर हमारी सरकार आती है तो हम उनसे बात करेंगे। मैंने यही परंपरा बनाई थी कि सब से बात करो। कई ऐसी बात होती हैं, जो सरकार के समझ में नहीं आतीं। इसीलिए अधिकारी उनके साथ मीटिंग कर लें, फिर मुख्यमंत्री बात कर लें। कांग्रेस के आंदोलन को समर्थन के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये आंदोलन भाजपा सरकार के खिलाफ है। इसमें कांग्रेस का कोई लेना-देना नहीं है। ये एक समाज कर रहा है, तो कांग्रेस इसमें क्या हस्तक्षेप कर सकती है। करणी सेना के लोग हमसे बात करना चाहते हैं, तो हम जरूर करेंगे।
हालांकि करणी सेना और राजपूत समाज के एक धड़े का सीएम शिवराज पहले ही सम्मेलन बुला चुके। उन्होंने कहा था कि महाराणा प्रताप की जयंती पर प्रदेश में अवकाश रखा जाएगा। 2. फिल्म पदमावत पर प्रतिबंध की मांग को लेकर हुए आंदोलनों संबंधी प्रकरण वापिस लिए जाएंगे। 3. आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के विद्यार्थियों के लिए छात्रावास बनाने के संबंध में समाज के साथ मिलकर कार्य योजना बनाई जाएगी। 4. प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों से कम परीक्षा शुल्क लिया जाएगा। 5. ऐतिहासिक तथ्यों और परिवारों की वंशावली आदि से छेड़छाड़ करने वालों पर कानून कार्यवाही की जाएगी। 6. पाठ्यक्रम समिति में एक प्रतिनिधि राजपूत समाज का होगा। 7. इतिहास के पाठ्यक्रमों की गड़बड़ियों को ठीक किया जाएगा। 8. सामान्य वर्ग के गरीब विद्यार्थियों को विशेष सहयोग की व्यवस्था की जाएगी। 9. सवर्ण आयोग में एक राजपूत क्षत्रिय प्रतिनिधि आवश्यक रूप से सम्मिलित किया जाएगा। 10. सीडीएस स्व. श्री विपिन रावत की प्रतिमा लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। स्थानीय निकाय की सहायता से प्रतिमा स्थापित की जाएगी। 11. राजपूत क्षत्रिय समाज के युवाओं को जरूरत पड़ने पर आर्थिक सहयोग के लिए सहकारिता विभाग द्वारा केस क्रेडिट सोसाइटी बनाई जाएगी। राज्य शासन उसमें सहयोग करेगा। 12. आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए आरक्षण में आय सीमा 8 लाख रुपए तक होगी। 13. गौशालाओं को अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा तथा गाय के गोबर व गौमूत्र खरीदने-बेचने की पारदर्शी व्यवस्था उपलब्ध की जाएगी। 14. महापुरुषों की मूर्तियां स्थापित करने के लिए चर्चा कर कदम उठाए जायेंगे। 15. भोपाल स्थित मनुआभान की टेकरी पर रानी पदमावति की मूर्ति स्थापित करने के लिए आज ही भूमि पूजन किया जाएगा। 16. एमपीपीएससी की भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यार्थियों के लिए आरक्षण की
व्यवस्था होगी।