राजनीति में रायता फैलाने-समेटने और धारणा बदलने का दौर…

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राघवेंद्र सिंह

मध्यप्रदेश विधानसभा का सोमवार से चुनाव पूर्व इस सदन का अंतिम बजट सत्र शुरू हो रहा है पहले दिन से सदन में रास्ता पहले और समेटने का उपक्रम शुरू होता हुआ लग रहा है। राज्यपाल अभिभाषण के साथ सत्रारम्भ होगा। लेकिन रायता फैल गया है सर्वदलीय बैठक नही होने से। दरअसल इसके लिए कांग्रेस विधायक नेताप्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह का होना जरूरी था। उनके सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेतागण पार्टी की रायपुर बैठक में व्यस्त हैं लिहाजा सदन प्राथमिकता में नीचे के पायदान पर चला गया। संदेश तो यही गया। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने भी कांग्रेस का कोई नेता नही है किसके साथ बैठक करें ? इसलिए सर्वदलीय बैठक नही हो सकी। सदन के इतिहास में सम्भवतः यह पहला अवसर होगा। इससे सदन की गरिमा पर असर पड़ा है। साथ ही संसदीय कार्यवाही को लेकर प्रतिपक्ष की गम्भीरता पर भी प्रश्न पूछे जाएंगे।

बहरहाल चुनावी साल है और कुछ मरने के बाद ही इस साल के अंत में नई सरकार चुनी जाएगी ऐसे में सत्ता और प्रतिपक्ष अपनी गलतियां सुधारने अर्थात जो रायता फैलाया है उसे समेटने के लिए बड़े पैमाने पर काम करेंगे। विधानसभा की कार्रवाई के बाहर की बात करें तो भाजपा ओबीसी और आदिवासी पर फोकस कर रही है ऐसे में पिछले महीनों प्रदेश के बड़े ओबीसी लोधी वर्ग को लेकर बहुत सतर्क नजर आई। इसकी वजह थी प्रीतम लोधी द्वारा ब्राह्मणों पर की गई टिप्पणी और उसके बाद भाजपा से उनके निष्कासन पर मिली विपरीत प्रतिक्रिया। इसमे पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की सक्रियता ने भाजपा नेतृत्व को चिंता में डाल दिया था। सुधिजनो को याद होगा कि हमने ‘ना काहू से बैर’ में लोधी के निष्कासन का जिक्र करते हुए लिखा था डेमेज कंट्रोल करना पड़ेगा वरना इसकी आवाज दूर तक और देरतक सुनाई देगी। पार्टी में वापसी की चर्चाओं के बीच प्रीतम लोधी ने कहा है सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया महाराज ने उन्हें पार्टी में वापसी के लिए कहा है। तीन मार्च को पिछोर में वे सीएम चौहान और केंद्रीय मंत्री सिंधिया के साथ जनता की सहमति मिलने पर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। लोधी की वापसी को रायता समेटने की तरफ पार्टी का बड़ा कदम माना जा सकता है। इसी तरह भाजपा अनेक उपेक्षित और नाराज नेताओं को सत्ता-संगठन में स्थान देकर रायता समेटने की प्रक्रिया को तेज करेगी। मार्च का महीना इस निमित्त महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस बीच मध्य प्रदेश के विंध्य दौरे पर आए गृहमंत्री अमित शाह ने जिस तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा की है उससे एक बार फिर साफ हो गया है कि चुनाव तक सरकार के नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा अर्थात विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह के नेतृत्व में लड़ा जाएगा । इसके पीछे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की भूमिका भी अहम मानी जा रही है।

कांग्रेस में भी धारणा बदलने की कोशिश…
मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव में हर को जानता है कि प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की भूमिका बेहद अहम रहेगी लेकिन इसी बीच उनका यह कहना कि वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे कहीं ना कहीं नेतृत्व में अनिश्चितता की तरफ इशारा करता है लेकिन कमलनाथ शिविर में मौके की नजाकत को समझते हुए साफ कर दिया कि कमलनाथ चुनाव लड़ेंगे। श्रीनाथ इस धारणा को भी बदल रहे हैं कि वह कार्यकर्ता और मतदाताओं से मिलने में परहेज करते हैं अब नाथ कार्यकर्ता और जनता से फ्रेंडली होने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही जनता से जुड़े मुद्दे उठाने का भी जो प्रयास करते दिख रहे हैं। शिवराज सरकार की नई शराब नीति पर उन्होंने कहा भाजपा सरकार ने मध्य प्रदेश को मदिरा प्रदेश बना दिया है हालांकि इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि श्रीनाथ चाहे जो करें लेकिन मध्य प्रदेश की जनता का जो अपमान कर रहे हैं उसे सहन नहीं किया जाएगा। भाजपा प्रवक्ता डॉ हितेश बाजपाई,कमलनाथ को मध्यप्रदेश के बाहर का बता कर यह धारणा बनाने में लगे हैं कि कानपुर के कमलनाथ की प्रदेश के मान सम्मान में कोई दिलचस्पी नहीं है।