ठुमके में नृत्य कम नाटकीयता अधिक

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राकेश दीक्षित

विदिशा के फूफाजी के शादी झ्रनृत्य पर देशव्यापी गुदगुदी दरअसल भारतीय समाज में नायकत्व के चरम अवमूल्यन का महोत्सव है. इसमें बेचारे संजीव श्रीवास्तव की कोई गलती नहीं. वे तो बस अपने साले की शादी में ,थोड़ी सी बेडौल काया के बावजूद,बढ़िया नाचे. पर उस नितांत पारिवारिक ठुमके में नृत्य कम नाटकीयता अधिक है और नायकत्व तो कतई नहीं. फिर ऐसा क्यों हुआ कि उनकी अदाओं पर हमारे टीवी चैनल्स और सोशल मीडिया इतने लहालोट हो गए?
Dance more dramatically in tome
शिवराज सिंह चौहान ने तो उन प्रोफेसर साहब को विदिशा का ब्रांड एम्बेसडर बनाने की घोषणा कर डाली. श्रीवास्तव की सांगीतिक लोच असाधारण नहीं है पर भारतीय मध्यवर्ग में, तात्कालिक ही सही, आनंददायी झुरझुरी पैदा कर गई. मध्यवर्ग को प्रेरणा से ज्यादा मजे की तलाश है,सस्ते टाइप के मजे की. भोपाल की एक अनाम झुग्गी में १३ साल की गरीब लड़की द्वारा अद्वितीय समर्पण से बच्चों के लिए चलाई जा रही लाइब्रेरी में मध्यवर्ग या टीवी चैनलों की दिलचस्पी नहीं के बराबर है क्योंकि उसकी पहल आनन्दलोक में विचरने नहीं देती बल्कि सामाजिक शर्म पैदा करती है—शिक्षा व्यवस्था पर.

आदर्श के असंख्य उदाहरण सारे देश में मौजूद हैं. कंहीं कुछ लोग खामोशी से बच्चों को पढ़ा रहे हैं तो कंही पिछड़े ,दूरदराज गांवों में मुफ्त चिकित्सा मुहैया करा रहे हैं. हजारों गुमनाम नायक- नायिकाएं हैं जिनकी निस्स्वार्थ सेवा से हमें प्रेरित होना चाहिए. उनकी कहानियां यदा-कदा सामने आतीं भी हैं पर भुला दी जाती हैं. याद रहता है तो कपिल शर्मा के शो की फूहड़ मसखरीपन. उसी तरह के मनोरंजन की तलाश वालों को फूफाजी का डांस कॉमिक टॉनिक देता है. ये ह्य हम आपके हैं कौनह्व की विराट विवाह-प्रस्तुति के पलायनवादी मनोरजन का छोटा सा टुकड़ा है.

मुक्तिबोध की लम्बी कविता “अंधेरे में”, मध्य वर्ग के इसी दोगलेपन पर अनूठा और करारा कटाक्ष है. यहां पर इस कविता की कुछ पंक्तियाँ
ओ मेरे आदर्शवादी मन,
ओ मेरे सिद्धान्तवादी मन,
अब तक क्या किया?
जीवन क्या जिया!!
उदरम्भरि बन अनात्म बन गये,
भूतों की शादी में कनात-से तन गये,
किसी व्यभिचारी के बन गये बिस्तर,
दु:खों के दागों को तमगों-सा पहना,
अपने ही खयालों में दिन-रात रहना,
असंग बुद्धि व अकेले में सहना,
जिन्दगी निष्क्रिय बन गयी तलघर,

लेखक वरिष्ठ पत्रकार है

वायरल होना है तो कुछ नया पागलपन करिए!!
शशी कुमार केसवानी

अंकल का डांस वीडियो वायरल होते ही पेट्रोल की महंगाई का प्रतिरोध भीड़ पार कर भी हमारा जांबाज मीडिया भी गोबिंदा टाइप अंकल के घर पहुँच गए। उनका इंटरव्यू लिया गया जो भारतीय नृत्यकला प्रशिक्षण और प्रेरणा के लिए ऐतिहासिक जरूरत है। ऐसे ही कुछ दिन पहले कोई प्रिया प्रकाश वारियर भी वायरल हुई थीं। सभी के माइक के पीछे वारियर थीं और कैमरे पर उनका मुस्कुराता चेहरा। रातोरात प्रसिद्धि के उड़नखटोले पर विराजमान उस दिव्य महिला के सौंदर्य और उसकी खुशी पर समूचा देश पागल था। हमें उसकी खुशी करीब से महसूस हो इसलिए समाचार वालों ने दिन भर उसके हंसते चेहरे के प्रसारण की पुनरावृत्ति की हद कर डाली थी।
आपको भी अगर वायरल होना है तो कुछ नया पागलपन करतें रहिये।