SUDHIR NIGAM
दमोह और जबलपुर के मामले इन दिनों सुर्खियों में हैं। दमोह के गंगा जमुना स्कूल में हिन्दू लड़कियों को हिजाब पहनाने और वहाँ की तीन शिक्षिकाओं के धर्म परिवर्तन को लेकर माहौल गर्म है। स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी गई है और जांच चल रही है। इस मामले में खास बात ये है कि भाजपा वाले ही सवाल पूछ रहे हैं और सरकार जवाब दे रही है। कांग्रेस इस मामले से दूरी बनाए हुए है। सम्भवतः कांग्रेस जानबूझकर इस मामले में ज्यादा बयानबाजी नहीं कर रही। उसे आशंका है कि यदि उसने कुछ कहा तो उसे उसके ही खिलाफ उपयोग किया जा सकता है। भाजपा के छोटे से लेकर बड़े सभी नेता लगातार ऐसे मामलों में बयान देते हुए दिखते हैं। भाजपा ये चाहती भी है कि कांग्रेस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आए, जिससे उस पर धर्म से जोड़कर हमले किये जा सकें। अब तक तो कांग्रेस उस ट्रेप में नहीं फंसी है। दूसरी तरफ इसे कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व से जोड़कर भी देख सकते हैं। वह नहीं चाहती होगी कि कोई ऐसा मुद्दा सामने आ जाए, जिससे उसकी छवि हिन्दू विरोधी दिखाई जा सके।
लव जिहाद, ये शब्द कुछ सालों में काफी प्रसिद्ध पा चुका है। पिछले कुछ दिनों में अचानक ये काफी तेजी से सुनाई पड़ रहा है। इसके साथ अब हिजाब भी जोड़ दीजिए। जब ये शब्द सुनाई दें और राजनीति न हो, ये संभव नहीं है। मप्र में तो फिलहाल यही चल रहा है। क्या इस बहाने कोई नैरेटिव सेट करने की कवायद चल रही है?
दमोह प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में आता है। इस इलाके में आमतौर पर वोटों का हिन्दू-मुस्लिम में ध्रुवीकरण नहीं होता। मालवा-निमाड़, भोपाल, होशंगाबाद अंचल मे जरूर इस तरह वोटिंग होती रही है। प्रदेश की करीब 100 सीटें ऐसी हैं, जहाँ वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। 230 सीटों में ये बड़ी संख्या है। इसलिए ये नैरेटिव सेट करने की कोशिश की जा रही है। लव जिहाद और हिजाब जैसे मुद्दों को उठाने का प्रयास भी उसी दिशा में एक कदम है। इससे किसे फायदा पहुंचेगा, ये सब जानते हैं। पार्टियां भी जानती हैं कि उसे किस मुद्दे से लाभ है। यही कारण है भाजपा इन्हें जोरशोर से लपक रही है और कांग्रेस उस तरफ बिलकुल ध्यान नहीं दे रही।
विधानसभा चुनाव में अब करीब चार महीने का समय है। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, वैसे वैसे इस तरह के और मामले सामने आएंगे। इसका कितना असर होगा, ये भाजपा और कांग्रेस की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा।