रूस में मोदी हुए कामयाब, भारत पहुंची एलएनजी गैस की पहली खेप

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दाहेज (गुजरात)। भारत को सोमवार को रूस से एलएनजी की पहली खेप मिली। रूसी कंपनी गैजप्रोम का पोत पेट्रोनेट एलएनजी के गैस आयात टर्मिनल पर पहुंचा। दुनिया की टॉप लिस्टेड नैचरल गैस कंपनी से गैस के आयात के साथ ही भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में अहम सफलता हासिल की है। इसके अलावा भारत ने 25 अरब डॉलर की इस डील के जरिए अमेरिका के साथ ही रूस को भी साधा है। गेल के साथ 20 साल के लिए हुई डील के तहत रूसी क्रायोजेनिक शिप एलएनजी की पहली खेप लेकर पहुंचा।
Modi’s success in Russia, first consignment of LNG gas arrived in India
इस मौके पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘भारत की सुरक्षा जरूरतों के रोडमैप के लिहाज से आज का दिन गोल्डन डे के तौर पर याद किया जाएगा।’ भारत के तेजी से विकसित होते आॅइल और गैस सेक्टर में रूस के योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि लॉन्ग टर्म के लिए गैस सप्लाइ पर सहमति बनने से दोनों देशों के बीच एक पुल बना है। खासतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी प्रेजिडेंट व्लादिमीर पुतिन के बीच रणनीतिक आर्थिक सहयोग को लेकर चल रही चर्चा का एक हिस्सा है।

प्रधान ने कहा कि भारत गेल की ओर से 2012 में साइन की गई डील के तहत रूस से हर साल 1.5 अरब डॉलर की गैस का आयात करेगा। इससे एक साल पहले ही भारतीय कंपनी ने अमेरिका की दो शेल गैस प्रॉजेक्ट्स से अपना टाइ-अप किया था। भारत ने गैस के आयात को लेकर जितनी भी लॉन्ग टर्म डील्स की हैं, उनमें गैजप्रोम के साथ हुआ करार सबसे बेहतर कीमत और शर्तों पर हुआ।

प्रधान का यह बयान मॉस्को को साधने के लिए है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि भारत की अमेरिका के साथ बढ़ती करीबी के चलते वह असहज हुआ है। खासतौर पर रक्षा और ऊर्जा के मामलों में रूस और अमेरिका को एक साथ साधना भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक सफलता है। भारतीय रिफाइनर्स ने बीते साल से अमेरिकी कच्चे तेल का आयात करना शुरू किया है। अप्रैल में गेल ने अमेरिकी शेल गैस का पहला कार्गो रिसीव किया। अब ऐसे में रूस की ओर से भी गैस की सप्लाइ को लेकर करार होने के बाद भारत की बारगेनिंग पावर बढ़ गई है। अब वह अमेरिका समेत पश्चिम एशियाई देशों से भी ऊर्जा जरूरतों को लेकर सही दाम पर डील कर सकेगा।