नाच मेरी बुलबुल के पैसा मिलेगा, कहां कदरदान ऐसा मिलेगा

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शशी कुमार केसवानी
नवरात्रि के पहले दिन 9 बजकर 9 मिनट पर कांग्रेस ने 144 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की। जिसके बाद कमलनाथ के बंगले पर बड़ी संख्या में अलग-अलग विधानसभाओं के दावेदार टिकट मांगने पहुंचे। वहीं टिकट बंटवारे के बाद नेताओं की नाराजगी पर नाथ ने कहा कि 4 हजार लोग टिकट के लिए दावेदारी कर रहे थे सबको तो टिकट नहीं दे सकते हैं। पहली सूची में दक्षिण पश्चिम से टिकिट होल्ड है, जिसे लेकर विधायक पीसी शर्मा कमलनाथ के निवास पहुंचे है। बता दें कि भोपाल की तीन सीटों पर उम्मीदवार घोषित हुए है। वहीं नीमच से उमराव सिंह गुर्जर, पन्ना से शिवजीत सिंह राजा भैया, खंडवा हुकुम वर्मा, गाडरवारा से मोना कौरव, सहित अन्य विधानसभा से दावेदार कमलनाथ के बंगला पहुंचे है। इसके साथ ही सुमावली से राम लखन दंडोदिया, दमोह से मनु मिश्रा के समर्थक भी कमलनाथ के निवास पहुंचे है।

अब देखना होगा कि कमलनाथ इन्हें कैसे शांत करते है। हालांकि शिवराज सिंह तो टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं को शांत कर चुके है। पहली सूची को गौर से देखें तो कांग्रेस पार्टी ने अपने ज्यादातर विधायकों पर भरोसा जताया है और उन्हें फिर से टिकट दिया है। प्रत्याशी सूची से स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी ने सर्वे के आधार पर ही 144 प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं। उम्मीद की जा रही है कि अगले तीन-चार दिन में कांग्रेस पार्टी की दूसरी सूची भी आ जाएगी। वहीं एनपी प्रजापति सहित कई विधायकों के टिकट भी काट दिए है। जिनको टिकट मिला इसमें ओबीसी वर्ग के 39 प्रत्याशी, अनुसूचित जाति के 22 प्रत्याशी और आदिवासी वर्ग के 30 प्रत्याशी शामिल हैं। अल्पसंख्यक वर्ग के 6 प्रत्याशी शामिल हैं। पार्टी ने 19 महिलाओं को टिकट दिया है। 144 में से 65 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 वर्ष से कम है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की पहली उम्मीदवार सूची ने ही उदयपुर डिक्लेरेशन पर सवाल खड़े कर दिए हैं दरअसल, उदयपुर डिक्लेरेशन में कांग्रेस के 17 पन्नों के घोषणापत्र में पार्टी ने वन ‘पोस्ट-वन पर्सन’ फॉर्मूला के साथ एक परिवार से एक व्यक्ति को ही टिकट दिए जाने की बात कही थी हालांकि, एमपी की कैंडिडेट लिस्ट में एक फैमिली को दो टिकट देकर इसे खारिज किया गया है आपको बता दें, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के परिवार से इस बार कांग्रेस ने दो उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को राधवगढ़ से तो उनके भाई लक्ष्मण सिंह को चाचौड़ा से टिकट दिया है कांग्रेस की इस लिस्ट में चार बातें खास हैं- मामा-भांजे, चाचा-भतीजे की जोड़ी को टिकट और मंत्रियों के खिलाफ बीजेपी के ही बागियों पर दांव लगाया है। कांग्रेस की पहली सूची में दो मामा-भांजे, एक चाचा-भतीजे की जोड़ी को टिकट मिला है कांग्रेस ने विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉक्टर गोविंद सिंह को भिंड जिले की लहार सीट से उम्मीदवार बनाया है तो वहीं उनके भांजे राहुल भदौरिया को टिकट दिया है गोविंद और राहुल के साथ ही मामा-भांजे की एक और जोड़ी मैदान में है विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे अजय सिंह राहुल और उनके मामा राजेंद्र सिंह भी चुनाव मैदान में ताल ठोकते नजर आएंगे कांग्रेस ने राहुल को चुरहट और राजेंद्र सिंह को अमरपाटन सीट से टिकट दिया है दिग्विजय सिंह के भाई और पुत्र को भी पार्टी ने टिकट दिया है कांग्रेस की पहली लिस्ट में बीजेपी, सपा और बसपा बागियों के भी नाम हैं. मध्य प्रदेश सरकार के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ दतिया सीट से कांग्रेस ने बीजेपी के ही बागी अवधेश नायक को उतारा है. इसी तरह पार्टी ने सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ सुरखी से भी बीजेपी के ही बागी नीरज शर्मा को टिकट दिया है. कांग्रेस ने शिवराज सरकार के अधिकतर मंत्रियों के खिलाफ अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं. नवरात्र के पहले दिन कांग्रेस ने 144 प्रत्याशियों के नाम की पहली सूची जारी कर दी है। इसमें 69 विधायकों को दोबारा टिकट दिया गया है। जबकि पांच विधायकों के टिकट काट दिए गए है। वहीं, कई प्रबल दावेदार माने जा रहे विधायकों के नाम होल्ड कर दिए है। इसमें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह गुट के भी विधायक और दावेदार शामिल है। इस बीच सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हुई कि दिग्विजय सिंह नाराज है। इस पृष्ठभूमि में अचानक एक पत्र भी वायरल हुआ। उसमें दिग्विजय सिंह ने कथित तौर पर समर्थकों को टिकट न मिलने पर नाराजगी जताई और इस्तीफे की पेशकश कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को की। हालांकि, कुछ ही देर में दिग्विजय सिंह ने साफ किया कि यह लेटर उन्होंने नहीं लिखा है। उन्होंने इसे भाजपा की शरारत करार दिया। साथ ही एफआईआर दर्ज कराने की बात भी कही। शाम को कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस से मिलकर शिकायत भी दर्ज कराई। भाजपा के प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी के खिलाफ इस पत्र को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के मामले में कार्रवाई की मांग की गई है। सत्ता में वापसी के लिए पूर्व सीएम और दिग्विजय सिंह पिछले कई दिनों से जुटे हुए हैं। उन्होंने लगातार हारने वाली एक-एक सीट पर जाकर फीडबैक लिया। पार्टी की तरफ से अहम जिम्मेदारी मिलने के बाद उनके समर्थक दावेदार और मौजूदा विधायक अपनी सीट सेफ होने को लेकर निश्चंत थे, लेकिन रविवार को पहली सूची में दिग्गी गुट के विधायक और दावेदारों के टिकट कट गए या होल्ड कर दिए गए हैं। इसमें पहला नाम दिग्विजय सिंह के खास माने जाने वाले पन्ना जिले के गुन्नौर से विधायक शिवदयाल बागरी को टिकट काट दिया है। यहां पर जीवन लाल सिद्धार्थ को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। जीवनलाल सिद्धार्थ 2018 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। बताया जा रहा है कि शिवदयाल बागरी का टिकट सर्वे की रिपोर्ट ठीक नहीं होने पर काटा गया है। वहीं, भोपाल की गोविंदपुरा सीट पर भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। यहां पर पहले नंबर पर दिग्विजय सिंह गुट के रवींद्र साहू झूमरवाला का नाम चल रहा था। वहीं, भोपाल की ही दक्षिण पश्चिम सीट पर दिग्विजय सिंह के खास पीसी शर्मा का नाम भी होल्ड हो गया है। वर्तमान विधायक पीसी शर्मा का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा था, लेकिन अब पार्टी ने टिकट होल्ड करने से साफ है कि इस सीट पर पेच फंस गया है। बता दें यहां पर इंजी. संजीव सक्सेना टिकट मांग रहे है। उनका दावा है कि पिछले चुनाव में दिग्विजय सिंह ने उनको टिकट देने का वादा किया था। यह भी चर्चा है कि दिग्विजय सिंह शुजालपुर से बंटी बना का नाम आगे बढ़ाया था, लेकिन पार्टी ने अभी इस सीट को भी होल्ड कर दिया है। हालांकि यह दोनों ही व्यक्ति दिग्विजय सिंह खेमे के है पर कई बार देखने में आया है कमलनाथ मौका वे मौका किनारा करने की कोशिश करते है। हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिलती। मौका लगते ही दिग्विजय सिंह अपनी सारी बातें मनवा भी लेते है, लेकिन दुखद यह है पूरे चुनाव में अजय सिंह जैसे कद्दावर नेता व अपने क्षेत्र में जबरदस्त काम करने वाले व्यक्ति को वो तव्वजों नहीं दी गई जो मिलनी थी। अजय सिंह अपने क्षेत्र के आसपास कई सीटें जितवाने का दम भी रखते है पर कांग्रेस की हालत यह है कि उन्हें अपनी ही टिकट के लिए पूरा विश्वास नहीं था। कांग्रेस पहले भी इस तरह की गलतियां करती रही है पर उनके पास अब गलतियों का अवसर है नहीं। कमलनाथ के पास का घेरा कमलनाथ को वो ही दिखाता है जो वे देखना चाहते है। इसके अलावा वे किसी ओर की बात पर कोई खास रिएक्शन भी नहीं देते है। जिससे सामने वाला सम­ा जाता है कि कमलनाथ अपने मन की ज्यादा करेंगे। नाराजगी का दौर यहीं से शुरू होता है।

दरअसल, बीजेपी भी एक परिवार एक टिकट के फॉमूर्ले को फॉलो कर रही है ऐसे में जब मध्य प्रदेश बीजेपी उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट आई तो एक विकट स्थिति ने जन्म ले लिया बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी ने इंदौर-1 सीट से टिकट दिया इससे विजयवर्गीय के बेटे के लिए स्थिति चिंताजनक हो गई आकाश इंदौर-3 से विधायक हैं और माना जा रहा है कि पिता को टिकट मिलने के बाद उनका टिकट कट सकता है। वहीं शंकरलालवानी को भी विधानसभा के लिए दबाव डाला जा रहा है लेकिन उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वे चुनाव जीत सके। विजयवर्गीय ने तो पहले खूब नाराजगी का इजहार किया पर वक्त के साथ अपने गमों को समेटकर खुद को खुद ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मानने लगे। पर इसी बीच कुल मिलाकर शिवराज जी की तारीफ करूंगा जिन्होंने आचार संहिता आते-आते पूरा रुख ही बदलकर रख दिया। जहां शिवराज के लिए मोदी और शाह की नाराजगी ­ालक रही थी और चुनाव पूरा उन्होंने अपने हाथ में ले लिया था। अब वापस पूरी कमान शिवराज सिंह के हाथ में नजर आने लगी है। शिवराज की खूबी यहीं है कि उनकी एक चीजें ऐसी है जो सबको पसंद है। चाहे शिवराज पसंद हो या न हो। उसी ताकत के दम पर उन्होंने 18 वर्ष राज किया है। अब भी उसी की तैयारी में है। चाहे मोदी हो या अमित शाह शिवराज को सबको मैनेज करना अच्छी तरह आता है। वरना कौन प्रदेश में ऐसा ताकतवर नेता है जो देश के ताकतवर कृषि मंत्री को विधानसभा में उतरवा दे। वहीं पार्टी को ताकतवर महासचिव बने कैलाश विजयवर्गीय व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को भी विधानसभा की सीट के लिए लाकर सड़क पर खड़ा कर दे और सबको ये बता दे कि मैं एक तीर से सबको साध लेता हूं। तभी तो उन्होंने कहा था अपने विस क्षेत्र की सभा में कि शिवराज जैसा दूसरा कोई मिलेगा नहीं और बात सच भी है। वहीं प्रदेश के ताकतवर मंत्री नरोत्तम मिश्रा को अपने कार्यालय का उद्घाटन शिवराज सिंह चौहान से ही करवाना पड़ा जो ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने साथियों को टिकट के लिए घुटने तक घिसने पड़े। सिंधिया परिवार की महारानी को भी बहुत प्यार और सम्मान के साथ घर बिठा दिया। ये सोच और ताकत शिवराज के पास है जो प्रदेश में एक चीज शिवराज ने अपनी मुठ्ठी में बंद कर रखी है वो ताकत जरूरत पड़ने पर धीरे से खोलकर फिर मुठ्ठी बंद कर लेते है। अब आने वाला वक्त ही बताएगा कि शिवराज की इस मुठ्ठी में बाकी कितनी ताकत है जो कांग्रेस को धूल चटा सकती है या अपना राजनैतिक जीवन दांव पर लगाकर हार सकती है। पर कुल मिलाकर आने वाले चुनाव में ताश के वो पत्ते खुलेंगे जिसका अनुमान मतदाताओं को और पार्टी के बड़े नेताओं को न होगा। चुनाव का मजा लीजिए और वोट जरूर करिए। लेकिन सारी चुनाव की खबरे लिखते हुए न जाने एक गाना क्यों याद आता है नाच मेरी बुलबुल के पैसा मिलेगा, कहां कदरदान ऐसा मिलेगा।