विपक्ष के ब्रम्हास्त्र को काटने में जुटी भाजपा, अब बजेगा रामधुन से लेकर कबीर का निर्गुण

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लखनऊ। जातीय ध्रुवीकरण की दीवारों को ‘धार्मिक’ ध्रुवीकरण से दरकाने का सफल प्रयोग कर चुकी भारतीय जनता पार्टी एक फिर इस अस्त्र से विपक्ष के जातीय ब्रह्मास्त्र का काट तलाशने की रणनीति पर जुट गई है। इसके लिए इस बार ‘रामधुन’ से लेकर कबीर का ‘निर्गुण’ तक सब बजेगा। चेहरा विकास का होगा और नजर आस्था को थपथपाने पर। यूपी में इसकी अगुआई खुद पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे।
BJP joining the Opposition Brahmastra, now it will be Ramdhun, from Kabir’s Nirguna
पीएम मोदी संतकबीर नगर जिले के मगहर में 28 जून को कबीर अकादमी का शिलान्यास करेंगे। सामाजिक एवं धार्मिक विसंगतियों पर अपनी रचनाओं से सीधा प्रहार करने वाले कबीर ने मगहर में अंतिम सांसें ली थीं। आमी नदी की तट पर मगहर में कबीर की समाधि भी है और मंदिर भी। कबीरपंथियों में दलितों और पिछड़ों की तादात काफी ज्यादा है। पूर्वांचल के इस अहम स्थल पर जातीय रूढ़ियों पर वार के जरिए मोदी के अजेंडे में वे वोटर भी होंगे 2014 और 2017 में बीजेपी के साथ थे, लेकिन इस समय ‘रूठे’ लग रहे हैं।

आस्था की यह सियासी गोलबंदी यहीं नहीं रुकेगी। अक्टूबर तक गौतम बुद्ध के परिनिर्वाण स्थल कुशीनगर में इंटरनैशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन करने भी मोदी पहुंचेंगे। विधानसभा चुनाव के पहले भी पार्टी ने ‘धम्म यात्रा’ के जरिए बुद्ध के अनुयाइयों खासकर दलितों को साधा था।

ब्रज विकास से लेकर ‘नव्य अयोध्या’ से उम्मीद
अयोध्या में राम मंदिर का निर्णय अभी अदालत के हाथ में है। इस सवाल पर बीजेपी का यही ‘सधा जवाब’ भी है, लेकिन चुनावी साल में समर्थकों की अपेक्षा इस जवाब से आगे की है। वीएचपी सहित संघ के संगठनों ने इसके लिए दबाव बनाना शुरू भी कर दिया है। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में अयोध्या में देव दीपावली और वृंदावन में होली के साथ जवाब तलाशना शुरू भी हो चुका है। ब्रज विकास परिषद के गठन के साथ गोवर्धन परिक्रमा मार्ग के विकास सहित हजारों करोड़ रुपए की योजनाओं के जरिए मथुरा-वृंदावन की रंगत बदली जा रही है।

वहीं, अयोध्या में 337 करोड़ रुपये की योजनाओं पर काम शुरू करने के साथ ‘नव्य अयोध्या’ के प्रस्ताव पर काम शुरू हो गया है। अयोध्या विकास परिषद के गठन की भी कवायद चल रही है। राम मंदिर के पहले सरयू तट पर 108 मीटर ऊंची भगवान राम की प्रतिमा बनवाने की योजना भी आगे बढ़ चुकी है। चुनावी वेला में वैकल्पिक उपायों के तौर पर इसे गिनाना आसान होगा।

कुम्भ की ब्रैंडिंग पर मोदी-योगी की निगाहें
हिंदुओं के आस्था के बड़े पर्व कुम्भ की ब्रैंडिंग पर मोदी-योगी की सीधी निगाह है। इसका समय भी ऐसा है कि लोकसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर होगी। जनवरी के आखिरी सप्ताह में वाराणसी में होने वाले प्रवासी दिवस समारोह के जरिए दुनियाभर के राजनयिकों को भी कुमभ की डुबकी लगवाई जाएगी। विधानसभा चुनाव के पहले गुजरात में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे संग ‘रोड शो’ कर चुके मोदी की अगुआई में बीजेपी आस्था के संगम से सियासी पुण्य निकालने के लिए पूरी ताकत झोंकेगी। इस दौरान वाराणसी से लेकर इलाहाबाद तक मोदी का आना-जाना रहेगा, जिसमें कुम्भ में डुबकी भी शामिल है।

वहीं, कुंभ के पहले इलाहाबाद को ‘प्रयागराज’ किए जाने का भी दांव खेला जाना है। इसके अलावा, विंध्यधाम मीरजापुर में भी सिंचाई परियोजनाओं के उद्घाटन के बहाने पीएम मोदी जल्द मत्था टेकेंगे। आस्था और विकास की इस जुगलबंदी की सबसे खास बात यह होगी कि चेहरा विकास की अनिर्वायता को बनाया जाएगा, लेकिन मोहरा ध्रुवीकरण का होगा।