नई दिल्ली/मुंबई। देश में इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स के क्षेत्र में बड़ी पहचान रखने वाली कंपनी विडियोकॉन इंडस्ट्रीज के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है। एसबीआई के नेतृत्व में कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों ने नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में याचिका दाखिल कर इसकी मांग की थी। बुधवार को ट्राइब्यूनल ने याचिका को स्वीकार कर लिया। अगले 180 दिनों में बोली के जरिए कंपनी के लिए नए मालिक की तलाश की जा सकती है।
Action can be done on videocon industry under bankruptcy law
वेणुगोपाल धूत की फ्लैगशिप कंपनी विडियोकॉन इंडस्ट्रीज पर बैंकों का करीब 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है और वह चुकाने में अनियमित रही है। गुरुवार को ग्रुप की कंपनी विडियोकॉन टेलिकॉम के खिलाफ बैंकरप्सी कोर्ट में दायर अर्जी पर सुनवाई हो सकती है। इस कंपनी का कारोबार अब मामूली ही है, लेकिन कंपनी पर अब भी 2,000 करोड़ से लेकर 3,000 करोड़ तक का लोन बकाया है।
एक दर्जन कंपनियों पर है 44,000 करोड़ का कर्ज
सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स आॅफ इंडिया को बताया कि विडियोकॉन ग्रुप की एक दर्जन के करीब कंपनियों पर 44,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और सभी इस तरह के ऐक्शन का सामना कर रही हैं। नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल ने विडियोकॉन इंडस्ट्रीज के खिलाफ इन्सॉल्वेंसी को लेकर दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है और केपीएमजी के अनुज जैन को इन्सॉल्वेंसी प्रफेशनल नियुक्त किया है। हालांकि ग्रुप की सहायक कंपनी विडियोकॉन आॅइल वेंचर्स के खिलाफ इसके तहत ऐक्शन नहीं होगा। इस कंपनी पर 12,000 करोड़ रुपये का लोन बकाया है। इस कंपनी के पास भारत समेत ब्राजील एवं कई अन्य देशों में भी संपत्तियां मौजूद हैं।
धूत को उम्मीद, कर्जदाता वापस ले लेंगे केस
हालांकि कंपनी को उम्मीद है कि वह बैंकरप्सी प्रॉसेस से बाहर निकल सकेगी। इस मसले पर बात करते हुए विडियोकॉन इंडस्ट्रीज के चेयरमैन ने टाइम्स आॅफ इंडिया से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह उस नए प्रावधान का प्रयोग कर सकेंगे, जिसके तहत यदि 90 पर्सेंट कर्जदाता सहमत हों तो केस को वापस लिया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमारे मामले में 100 पर्सेंट लेंडर्स ने कहा कि वे नहीं चाहते कि हमारी कंपनी को नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में ले जाया जाए।’