भय्यूजी के दूसरे सुसाइड नोट पर शक, परिजन हैरान, ट्रस्ट के सदस्य भी चिंतित

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इंदौर। इंदौर में आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज के सूइसाइड नोट से नया विवाद खड़ा हो गया है। मंगलवार को कथित खुदकुशी से पहले भय्यूजी महाराज ने जो सूसाइड नोट लिखा है, उसके दूसरे पन्ने में उन्होंने अपने पुराने सेवादार विनायक को संपत्ति के साथ सभी वित्तीय अधिकार सौंपने की इच्छा जाहिर की है। इसके बाद जहां एक ओर परिजन हैरान हैं, वहीं दूसरी ओर श्री सद्गुरु दत्ता धार्मिक एवं परमार्थिक ट्रस्ट के सदस्य भी चिंतित हैं। वहीं इस दूसरे सूइसाइड नोट की सत्यता को लेकर अभी सस्पेंस कायम है।
Doubt on the second suicide note of Dheuyji, the family, the members of the trust are also worried
इन सबके बीच अब एक संशय यह भी है कि भय्यूजी के निधन के बाद अब ट्रस्ट के मामलों में कौन फैसले लेगा। पुलिस हैंडराइटिंग एक्सपर्ट्स के जरिए भय्यूजी के कथित सूइसाइड नोट की लिखावट का मिलान कर रही है। वहीं सूत्रों के मुताबिक यह नोट भय्यूजी ने ही लिखा है, इस पर अभी थोड़ा शक है।

भय्यूजी महाराज के रिश्तेदारों और करीबियों का साफ कहना है कि वह सभी मामलों में विनायक के दखल से खुश नहीं थे। पूर्व एनसीपी एमएलए और भय्यूजी के करीबी दीपक सालुंखे का कहना है, ‘विनायक की तरफ से किसी तरह की आपत्ति का कोई सवाल नहीं है, क्योंकि यह शीशे की तरह साफ है कि संपत्ति पर परिवार का हक है और इस संबंध में जो कुछ भी होगा वह परिवार की तरफ से ही होगा।’

‘तो विनायक को कर देंगे बाहर’
अगर विनायक खुद अधिकार पाने के लिए जोर लगाते हैं, तो परिवार का क्या रुख होगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘वह ट्रस्ट में आ-जा सकते हैं लेकिन अगर वह कुछ भी करते हैं तो उन्हें निकाल कर बाहर कर दिया जाएगा।’ भय्यूजी महाराज की बड़ी बहन के रिश्तेदार सालुंखे ने बताया कि इस मुद्दे पर उन्होंने विनायक के साथ चर्चा की है।

वहीं, विनायक से जब सूइसाइड नोट को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। इससे पहले बुधवार को इंदौर में समर्थकों के जयकारे के बीच भय्यूजी महाराज का अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनकी 17 साल की बेटी कुहू ने दोपहर 2.30 के करीब मेघदूत शवदाह गृह में चिता को अग्नि दी।

वहीं, आश्रम में जब भय्यूजी महाराज का पार्थिव शरीर रखा हुआ था, उस दौरान परिवार में दरार साफ दिखी। शीशे के जिस ताबूत में भय्यूजी महाराज का पार्थिव शरीर रखा था, उसके दो अलग-अलग छोर पर कुहू और उनकी सौतेली मां डॉ. आयुषि शर्मा बैठी रहीं, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे से नजरें नहीं मिलाईं।