नीति आयोग का सुझाव मानने से सरकार का इंकार, ठुकराई विनिवेश योजना

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नई दिल्ली। सरकार ने तय किया है कि अपेक्षाकृत कम महत्व (नॉन-स्ट्रैटेजिक) की सरकारी कंपनियों में उसका हिस्सा 50 पर्सेंट से कम करने का नीति आयोग का प्रस्ताव नहीं माना जाएगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने बताया कि सरकार को भरोसा है कि लगातार दूसरे साल वह विनिवेश लक्ष्य हासिल कर लेगी और मौजूदा वित्त वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम जुटा लेगी।
The government denies the suggestion of the Policy Commission, the Dismissal Disclosure Scheme
नीति आयोग ने सुझाव दिया था कि कम महत्व की सभी सरकारी कंपनियों में सरकार का हिस्सा 50 पर्सेंट से कम किया जाए। आयोग का कहना था कि इससे सररकार को पैसा जुटाने में तो मदद मिलेगी ही, इन कंपनियों को बेहतर प्रदर्शन करने की कामकाजी स्वायत्तता भी मिलेगी। आयोग की दलील थी कि इससे इन कंपनियों में सरकार के बचे हुए हिस्से की वैल्यू भी बढ़ेगी।

ऐसे 250 से अधिक सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज हैं, जिनमें सरकार का हिस्सा 51 पर्सेंट या इससे ज्यादा है। इनमें एनटीपीसी, पावर ग्रिड और स्टील अथॉरिटी आॅफ इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि ज्यादा सरकारी होल्डिंग वाली कई कंपनियां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं और यह कहना अनुचित होगा कि बेहतर क्षमता के लिए ओनरशिप और मैनेजमेंट स्ट्रक्चर बदला जाना चाहिए।

एक अधिकारी ने कहा कि कई सरकारी कंपनियों में सरकार की होल्डिंग 50 पर्सेंट से काफी अधिक है और अचानक उसे घटाना आसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हिस्सेदारी को 49 पर्सेंट तक घटाए बिना शेयरहोल्डिंग कम कर पैसा जुटाने की पर्याप्त गुंजाइश है। एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने आयोग का प्रस्ताव खारिज कर दिया है।

बन सकता था चुनावी मुद्दा
कुछ विश्लेषकों के अनुसार, सरकार ने आयोग का प्रस्ताव इसलिए भी नहीं माना है क्योंकि उसे लग रहा है कि चुनावी साल में सरकारी कंपनियों का कंट्रोल छोड़ना राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। हालांकि सरकार विनिवेश कार्यक्रम पर कदम बढ़ा रही है और उसे विश्वास है कि पिछले साल की तरह इस बार भी वह विनिवेश लक्ष्य से ज्यादा रकम जुटा लेगी। उसे भरोसा है कि वह इस साल के लिए तय 80000 करोड़ रुपये का टारगेट पार कर एक लाख करोड़ रुपये जुटा लेगी।

एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि एयर इंडिया के निजीकरण की कोशिश में लगे झटके से सरकार के विनिवेश कार्यक्रम पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि टारगेट सेट करते वक्त एयर इंडिया पर विचार नहीं किया गया था। अधिकारी ने कहा, ‘एयर इंडिया स्टेक सेल में देरी से हम ज्यादा चिंतित नहीं हैं। दूसरी कंपनियां भी हैं और सरकार इस साल भी डाइवेस्टमेंट टारगेट से ज्यादा रकम जुटा लेगी।’ बिडिंग के पहले राउंड की डेडलाइन 31 मई से पहले किसी बिडर के सामने नहीं आने के बाद सरकार एयर इंडिया में 76 पर्सेंट हिस्सा बेचने की अपनी योजना की समीक्षा कर रही है। वह आॅफर को आकर्षक बनाने के विकल्पों पर विचार कर रही है।