बेरोजगारी के लिए कौन जिम्मेदार

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कंचन किशोर
‘दुनिया आस पास की’

बेरोज़गारी एक सुरसा रूपी समस्या है जो दिनोदिन मुंह फाड़ती ही जाती है।आम आदमी से ज्यादा ये चुनावी वर्षो में सरकार को ज्यादा परेशान करती है। शिवराज सरकार के तीसरे कार्यकाल के बाद भी बेरोज़गारी थमने का नाम नही ले रही और यह सरकार के लिए गंभीर चुनौती है। विकास के नाम पर सौन्दरियकरण एवं अच्छी सड़कें तो हैं परंतु उद्योग एवं सर्विस सेक्टर का पत्ता साफ है। बड़े बड़े इन्वेस्टर्स सम्मिट के बावजूद प्रदेश का युवा दूसरे राज्यो में जा कर रोज़गार तलाशता है।
Who is responsible for unemployment?
यदि रोज़गार को बढ़ावा देना उसका सृजन करना सरकार की ज़िम्मेदारी है तो शिवराज सरकार इसमे बहुत अक्षम रही है। केवल कागज़ी खानापूर्ति छोड़ दे तो हाल ही में हर जिले तहसील स्तर पर पूरी सरकारी लावलश्कर के बावजूद आयोजित हो रहे असफल रोज़गार मेले इसकी बानगी देते हैं। अफसरशाही से ज़मीनी स्तर के काम काज नही बनते ये बात रोज़गार मेलों में सिद्ध होती है जहां ना अच्छे जॉब ऑफर्स हैं ना ही अच्छे कैंडिडेट। क्योंकि शिक्षा का स्तर कौनसा बड़ा अच्छा है मध्य प्रदेश में।

सबसे मजेदार बात है कि सरकार भाजपा की और सबसे ज्यादा विकास हुआ छिंदवाड़ा का जहां के सांसद कांग्रेसी श्री कमलनाथ हैं। ये इस बात को सिद्ध करता है कि यदि जनप्रतिनिधि ठान ले तो सरकार किसी भी पार्टी की हो विकास हो के रहता है। वर्षों पहले सौंसर जैसे छोटे कस्बे में रेमंड मिल जैसा बड़ा कारखाना लगा, कई कौशल विकास केन्द्र इत्यादि के कारण फिर जिंदल , सुरुचि, ब्रिटानिया इत्यादि बड़े कारखाने छिंदवाड़ा में स्थापित हुए।

कमलनाथ की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण छिंदवाड़ा का जो विकास हुआ है वो एक मिसाल है। जबकि ये ना तो कोई प्रमुख रेल लाइन से जुड़ा है ना ही किसी प्रमुख राजमार्ग से , ना ही यातायात के बहुत सुलभ साधन हैं जैसे कि भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रीवा इत्यादि को हैं। परंतु एक जनप्रतिनिधि ठान ले तो अपने क्षेत्र की सूरत बदल सकता है।

सबसे बुरा हाल तो बुंदेलखंड का है जहां से जन पलायन हो रहा है, वहां उद्योग क्या कुटीर उद्योग तक नही पनप पा रहे। एक सहारा पर्यटन का होता था वो भी अफसरशाही के चलते केवल सरकारी अफसरो एवं नेताओं के सैरसपाटे के काम का रह गया है। बेरोजगारी के परिणाम एक कुचक्र की भांति समूची अर्थव्यवस्था को पंगु बना रहा है। सरकारी नौकरी से यह समस्या निपटने वाली नही, निजी क्षेत्र के लिए कोई सुविधा नही तभी तो बड़े बड़े आई टी पार्क, बिज़नेस हब सब खाली पड़े हैं। आखिर क्यों ये सरकार रोज़गार निर्माण नही कर पाई, प्रदेश का पलायन नही रोक पायी?

लेखिका व पत्रकार हैं