फारेस्ट रेंजर को अजगर के साथ सेल्फी लेना पड़ सकता था महंगा, जान जाते-जाते बची

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कोलकाता : सुनने और देखने में भी यह बेहद बहादुरी का काम लगता है, लेकिन किसी सांप या अजगर के साथ सेल्फी खिंचवाना अच्छा आइडिया नहीं होता, भले ही आप ट्रेंड प्रोफेशनल क्यों न हों… यह कड़वा सबक पश्चिम बंगाल के एक फॉरेस्ट रेंजर को रविवार को सीखने को मिला. कोलकाता से लगभग 600 किलोमीटर दूर जलपाईगुड़ी के साहिबबारी गांव के निवासियों ने एक बकरी को मारकर खा जाने वाले रॉक पायथन (अजगर) को पकड़ने की गुहार की, जिसके जवाब में फॉरेस्ट रेंजर तथा उनके सहयोगी वहां पहुंचे, और 18-फुट लम्बे और लगभग 40 किलोग्राम वजन वाले अजगर को धर दबोचा.
Forest ranger could have had to take Selfie with python, expensive and survivor
ऐसे मामलों में आमतौर पर पकड़े गए सांप को तुरंत ही थैले में भर दिया जाता है, और घटनास्थल से दूर ले जाते हैं, ताकि उसे बाद में जंगल में छुड़वा दिया जाए, लेकिन शायद फॉरेस्ट रेंजर पर सेल्फी का चस्का हावी हो गया, और उन्होंने दाएं हाथ से अजगर की गरदन को पकड़ा और उसे अपनी गरदन में लपेट लिया… बस, फिर क्या था, कैमरों के फ्लैशबल्ब चमकने लगे, और फॉरेस्ट आॅफिसर की खुशी छिपाए नहीं छिप रही थी, लेकिन ऐसा ज्यादा देर तक नहीं चल पाया.

दरअसल, कुछ ही सेकंड बाद शायद अजगर पकड़े जाने के सदमे से उबर गया, और उसने हिलना-डुलना शुरू कर दिया, और जल्द ही वह फॉरेस्ट रेंजर की गरदन को लपेटने की कोशिश करने लगा. हालात को काबू से बाहर जाते देखकर फॉरेस्ट रेंजर की हिम्मत भी जवाब देने लगी, और उन्होंने वहां एकत्र भीड़ से अलग दिशा में चलना शुरू कर दिया, और फिर वह चीखने लगे, क्योंकि अजगर ने उनकी गरदन को एक बार पूरी तरह जकड़ लिया.

, जिसने भी अजगर की दुम पकड़ रखी थी, उसके हाथ से दुम छूट चुकी थी, और ऐसा लगने लगा कि फॉरेस्ट रेंजर और अजगर के बीच जारी ‘संघर्ष’ में सरीसृप की जीत कुछ ही पल दूर है… लेकिन तभी नीली कमीज पहने एक शख्स, संभवत: वन विभाग का एक कर्मचारी, भागकर वहां पहुंचता है, और फॉरेस्ट रेंजर की जान बचाने की कोशिश में जुट जाता है. इस हंगामे के दौरान शायद कैमरा थामे शख्स के हाथ-पांव भी फूल गए थे, क्योंकि कुछ पल के कैमरे का फोकस पूरी तरह अजगर और फॉरेस्ट रेंजर से हट गया था. बहरहाल, आखिरकार फॉरेस्ट रेंजर को बचा लिया गया, लेकिन उससे पहले रेंजर अपने सहायक से डरी हुई आवाज में कहते सुनाई देते हैं – दुम को पकड़ो, दुम को पकड़ो… और फिर कहते हैं – अब ठीक है.

इस रॉक पायथन को साहिबबारी गांव के निकट ही स्थित बैकंठपुर वन में छोड़ा जाएगा. बहुत-से चश्मदीदों का कहना था कि अजगर की हरकत देखकर उनका कलेजा मुंह को आ गया था, और वे मान बैठे थे कि अब फॉरेस्ट रेंजर का बचना मुमकिन नहीं रह गया है… कुछ लोग उन्हें बेवकूफ की संज्ञा दे रहे हैं, जबकि कुछ के मुताबिक फॉरेस्ट रेंजर बेहद बहादुर शख्स हैं. एक ग्रामीण ने तारीफी शब्दों में कहा कि फॉरेस्ट रेंजर ने इस मुश्किल घड़ी में भी एक पल के लिए भी अजगर की गरदन को हाथ से छूटने नहीं दिया, लेकिन शायद राज्य सरकार फॉरेस्ट रेंजर की बहादुरी से ज्यादा प्रभावित नहीं हुई है, और वन मंत्री ने घटना की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं.