भोपाल। मध्यप्रदेश की मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं के संबंध में कांग्रेस की तरफ से 3 जून को की गई शिकायत जांच गलत पाई गई है। ये जानकारी मप्र की मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने दी। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में मल्टीपल एंट्री और डबल एंट्री की शिकायत सही नहीं पाई गई है।
False voter not found in fake encounter: Congress
मध्यप्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह ने बताया कि शिकायत के आधार पर 34 जिलों की 91 विधानसभाओं में 26 लाख 76 हजार 231 मामलों की जानकारी दी गई थी, जिनमें से मात्र 8 हजार 797 नाम डबल एंट्री वाले पाए गए हैं। मप्र की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह ने बताया कि शिकायत वाले सभी 34 जिलों की वोटर लिस्ट में एक-एक मतदाता का भौतिक सत्यापन बीएलओ द्वारा घर-घर जाकर करवाया गया।
कुल 22 लाख 60 हजार 158 मतदाताओं के सत्यापन में 20 लाख 34 हजार 172 मतदाता घरों में मौजूद मिले। भौतिक सत्यापन में 7.81 फीसदी यानि एक लाख 76 हजार 564 मतदाता के नाम वोटर लिस्ट में पहले से ही दर्ज नहीं पाए गए। जांच में महज 2.19 प्रतिशत यानि कुल 49 हजार 422 मतदाता विलोपन (डिलीट) करने के योग्य पाए गये हैं, जिसमें से 28 हजार 909 अनुपस्थित, 11 हजार 716 मृत एवं 8 हजार 797 दोहरी प्रविष्टि वाले हैं। सलीना सिंह ने कहा कि इनके बारे में नियमों के मुताबिक कार्रवाई की जा रही है।
सलीना सिंह ने जानकारी दी कि जिलों में हुए भौतिक सत्यापन और विस्तृत जांच में 90 प्रतिशत मतदाता संबंधित विधानसभा क्षेत्र में ही निवासरत होना पाए गए। उन्होंने कहा कि मात्र 2.19 प्रतिशत मतदाता ही विलोपन (डिलीट) करने योग्य पाए गए हैं, जो अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत अथवा दोहरी प्रविष्टि (अरऊफ) वाले हैं। इस तरह मात्र 2 या 3 मानकों पर आधारित शिकायत भौतिक सत्यापन में प्रमाणित नहीं पाई गई है।
प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह ने ये भी बताया कि भौतिक सत्यापन में मतदाताओं के हस्ताक्षर और मोबाइल नंबर भी लिए गए हैं। भौतिक सत्यापन में मतदाताओं की पहचान वोटर आईडी, आधार कार्ड और अन्य आईडी प्रूफ से कराई गई है। ऐसे मतदाता जो उपस्थित नहीं मिले, उनके बारे में परिवार और स्थानीय लोगों से सत्यापन करवाकर जानकारी इकट्ठा की गई। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण अभियान के दौरान जनवरी से मई माह तक कुल 10 लाख 31 हजार 812 अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत एवं दोहरी प्रविष्टि वाले मतदाताओं के नाम हटाने का कार्य किया जा चुका है और यह काम अभी भी जारी है।