नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव और इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार देश के कर्मचारियों और मजदूरों को खुश करने की तैयारी में है। सरकार नहीं चाहती कि ईज आॅफ डूईंग बिजनस (कारोबार में आसानी) के चक्कर में मजदूर विरोधी छवि बने। ऐसे में सरकार प्राइवेट नौकरी करने वालों से लेकर दिहाड़ी मजदूरों और रेहड़ी-पटरी वालों को कई तरह की राहत दे सकती है। सरकार कर्मचारियों को फायदा पहुंचाने के लिए 3 महत्वपूर्ण कानून जल्द पारित करने की तैयारी में है।
Before the Lok Sabha elections, the workers and the laborers will be happy, the law will soon pass
सबसे महत्वपूर्ण विधेयक है, ‘आॅक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ ऐंड वर्किंग कंडीशंस (व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति) कोड।’ इस ड्राफ्ट कोड में प्रावधान किया गया है कि कम से कम 10 कर्मचारियों वाली कंपनी, फैक्टरी या संस्थाओं को अपने हर एंप्लॉयी को अपॉइंटमेंट लेटर यानी नियुक्ति पत्र देना होगा। वे बिना अपॉइंटमेंट लेटर के कर्मचारियों से काम नहीं ले सकते हैं।
अपॉइंटमेंट लेटर देने का मतलब है कि उन्हें कर्मचारियों को मिनिमम वेज देना होगा और कंपनी लॉ के मुताबिक कर्मचारियों को सभी तरह की सुविधाएं देनी होंगी। इसके आलावा इस ड्राफ्ट कोड में कार्यस्थल पर कर्मचारियों को पूरी सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया है। कंपनी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वर्किंग प्लेस में ऐसी कोई चीज न हो, जिससे कर्मचारियों को बीमार या घायल होने का रिस्क हो। ऐसा होने पर कंपनी के खिलाफ ऐक्शन लिया जाएगा और उन्हें कर्मचारियों को मुआवजा देना होगा।
तय होगी न्यूनतम सैलरी
दूसरा विधेयक है- ‘कोड आॅन वेजेज।’ यह बिल केंद्र को सभी सेक्टर के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करने का अधिकार देता है। इसका पालन राज्यों को भी करना होगा। इसके तहत 4 कानून- ‘मिनिमम वेजेज ऐक्ट 1948’, ‘पेमेंट आॅफ वेजेज ऐक्ट 1936′, पेमेंट आॅफ बोनस ऐक्ट 1965’ और ‘इक्वल रिमुनेरेशन ऐक्ट 1976’ को मिलाकर वेजेज यानी वेतन की परिभाषा तय की जाएगी।
रिटायरमेंट के बाद लाभ ज्यादा
तीसरा विधेयक है- सोशल सिक्यॉरिटी कोड। इसके तहत सरकार ने रिटायरमेंट, हेल्थ, ओल्ड एज, डिसेबिलिटी, अनएंप्लॉयमेंट और मैटरनिटी बेनेफिट्स देने के लिए एक बड़ी व्यवस्था का प्रस्ताव किया है।
‘दी जा रही नीतियों की शक्ल’
लेबर मिनिस्टर संतोष गंगवार ने इन प्रस्तावों को लेकर कहा, ‘सरकार कर्मचारियों और मजदूरों के हित के लिए जितना हो सके, काम कर रही है। हमने एक्सपर्ट और इंडस्ट्री से भी इस बारे में सुझाव मंगवाया है। जो सुझाव बेहतर लग रहे हैं, उनको नीतियों की शक्ल दी जा रही है।’