बुराड़ी सामूहिक सुसाइड मामला: मृत पिता के निर्देशों पर छोटा बेटा लिखता था डायरी!

0
220

नई दिल्ली। बुराड़ी ‘सामूहिक सूइसाइड’ मामले में डायरी और रजिस्टर तंत्र-मंत्र की ओर इशारा कर रहे हैं लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिर डायरी कौन लिखता था और किसके इशारे पर लिखता था। क्राइम ब्रांच की स्पेशल टीम ने डायरियों को फिर पढ़ा और रिपोर्ट तैयार की। सूत्रों का कहना है कि ऐसा लगता है कि नारायणी भाटिया का सबसे छोटा बेटा ललित किसी के निदेर्शों के अनुसार डायरी लिखता था, जिसे सब फॉलो करते थे।
Baddi Massive Suicide Case: The little son writes on the instructions of the deceased father Diary!
डायरी को गौर से पढ़ने के बाद एक अधिकारी ने कहा ललित शायद अपने पिता गोपाल दास भाटिया के निदेर्शों पर डायरी में नोट्स लिखता था, जिनकी 10 साल पहले ही मौत हो गई थी। लिखी गई कुछ बातें इस ओर इशारा करती हैं कि परिवार ने मृत पिता से मुलाकात की कोशिश भी की थी। डायरी में एक जगह लिखा था… ललित की चिंता मत करो, मैं जब आता हूं तो यह थोड़ा परेशान हो जाता है। अगले पेज पर लिखा था, ‘मैं कल या परसों आऊंगा, नहीं आ पाया तो फिर बाद में आऊंगा।’ दूसरे पेज पर लिखे शब्दों के मुताबिक कोई अज्ञात शख्स परिवार से कह रहा था कि ललित की मां नारायणी का ख्याल रखें।

इसी तरह एक अन्य पेज पर कुछ ऐसा लिखा था जो इस बात की ओर इशारा कर रहा था कि पिता सबको बचाने के लिए आ जाएंगे। डायरी में हर तरह के नोट्स मिले, जिनमें परिवार के सदस्यों की अलग-अलग तरह की समस्याओं के समाधान लिखे थे। पुलिस ने कहा कि परिवार अंधभक्ति के साथ डायरी में लिखी बातों को फॉलो करता था। आखिरी नोट्स में लिखा था, ‘मां सबको रोटी खिलाएंगी।’ मौत की रात परिवार ने 200 रुपये में पास की दुकान से 20 रोटियां आॅर्डर की थीं, सब्जी नहीं मंगाई गई थी। घर में रेस्ट्रॉन्ट का बिल भी बरामद हुआ। खाना रात 10 बजकर 40 मिनट पर डिलिवर हुआ था।

पुलिस ने बताया कि सबकुछ डायरी में लिखे नोट्स के मुताबिक ही हुआ। जिसे जैसा करने के लिए कहा गया, उसने वही किया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि डायरी में पहली एंट्री 2015 की है। कुछ महीनों तक इसमें कुछ नहीं लिखा गया और फिर लिखना शुरू कर दिया गया। उन्होंने बताया कि ज्यादातर एंट्रियों में गैप है और उसमें 40-50 पेज भरे हैं। सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की कि इस साल जनवरी के बाद डायरी में बार-बार लिखा जाने लगा, इससे यह संकेत मिलते हैं कि ललित की हालत खराब होती जा रही थी।