नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जजों को केस आवंटित करने की प्रक्रिया में बदलाव की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। यह याचिका सीनियर वकील शांति भूषण ने दाखिल की थी। शांति भूषण की तरफ से उनके बेटे प्रशांत भूषण और सीनियर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल दलील दे रहे थे। कोर्ट ने कहा कि पहले के कई फैसलों में यह साफ किया जा चुका है कि चीफ जस्टिस ही ‘मास्टर आॅफ रोस्टर’ हैं। उन्हें ही जजों को केस आवंटित करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में रखी गई मांग अव्यवहारिक हैं।
CJI rejects ‘Master of roster’, petition seeking change in the process of allocation of case
बता दें कि सीनियर वकील शांति भूषण की ओर से याचिका दायर कर कहा गया है कि केसों का आवंटन कॉलिजियम को करना चाहिए। वहीं अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया ही मास्टर आॅफ रोस्टर हैं। अगर कई जजों द्वारा मिलकर रोस्टर तय किया जाएगा, तो सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दाखिल याचिका को एग्जामिन करने का फैसला किया था। इसमें पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने चीफ जस्टिस द्वारा केसों के आवंटन किए जाने के मौजूदा सिस्टम पर सवाल उठाया था।
याचिका में कहा गया था कि केसों का आवंटन कॉलिजियम करे, जिसमें चीफ जस्टिस सहित पांच सीनियर जज हों। पिछले साल केसों के आवंटन पर सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने सवाल उठाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने एक फरवरी को नए केसों के आवंटन के लिए रोस्टर सिस्टम लागू कर उसे पब्लिक डोमेन (सार्वजनिक) में डाल दिया है। 11 अप्रैल को चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि रोस्टर तय करने का अधिकार चीफ जस्टिस को है।