खस्ताहाल हुई रेलवे की व्यवस्था, रेलवे कर्मचारी ट्रेन से उतरकर बंद करते हैं क्रासिंग का गेट

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त्रिची । ऐसे समय में भारत में जब हाई स्पीड बुलेट ट्रेन के लिए काम चल रहा है, भारतीय रेलवे इतनी खस्ताहाल हो चुकी है कि सभी क्रॉसिंग पर गेटमैन तक तैनात नहीं हैं। परिणाम, रेलवे कर्मचारियों को किसी क्रॉसिंग पर गुजरने से पहले ट्रेन से उतरकर क्रॉसिंग बंद करनी होती है। साथ ही ट्रेन गुजरने के बाद क्रॉसिंग को दोबारा खोलना होता है और फिर ट्रेन पर चढ़ना होता है।
The system of the rusty railways, the railway employees leave the train and stop the crossing gate.
आप भले ही इस पर यकीन न करे लेकिन यह सोलह आने सच है। वह भी एक या दो क्रॉसिंग के लिए नहीं बल्कि पूरे 35 रेलवे क्रॉसिंग पर इस प्रक्रिया का इस्तेमाल होता है। मामला एक पैसेंजर ट्रेन का है जिसे त्रिची डिविजन के हाल ही में दोबारा खुले करईकुड़ी-पट्टुकोट्टई ब्रॉडगेज पर गुजरने के लिए करीब 35 क्रॉसिंग में रुकना पड़ा। परिणाम यह हुआ कि डेमू (डीजल इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) ट्रेन 2 जुलाई को 3 घंटे में 20 मिनट में महज 72 किमी सफर ही तय कर पाई। रेलवे की तरफ से पूर्व सूचना दी गई थी कि ट्रेन को एक तरफ का रास्ता तय करने में 6 घंटे 30 मिनट का समय लगेगा।

जब त्रिची रेलवे डिविजन ने 6 साल बाद नई परिवर्तित ब्रॉडगेज सेवा दोबारा शुरू की तो यात्रियों के लिए इसे राहत बताया जा रहा था लेकिन लोगों का कहना है कि उन्होंने इतने खराब अनुभव की उम्मीद नहीं की थी। सूत्रों के मुताबिक, इस ट्रेन के पहले और आखिरी कोच में दो गेटमैन भी सफर करते हैं ताकि हर क्रॉसिंग से पहले उतरकर गेट बंद कर सकें और फिर क्रॉसिंग खोल कर दोबारा ट्रेन में चढ़ते हैं।

यात्रियों के धैर्य की परीक्षा
हफ्ते में दो दिन चलने वाली इस ट्रेन के कुल 7 स्टॉपेज हैं। थनजवुर जिले के पट्टुकोट्टई निवासी के पार्थसारथी ने बताया, ‘ट्रेन 7 स्टेशनों के अलावा हर लेवल क्रॉसिंग में रुकी थी इस वजह से सफर हमारे धैर्य की परीक्षा बन गया था। यह पैसेंजर ट्रेन सोमवार और गुरुवार को तीन महीने के लिए एक्सपेरिमेंटल बेसिस पर चलाई जा रही है।

यह सुबह पौने दस बजे करईकुडी से चलती है और 1 बजे पटुकोट्टई पहुंचाती है। जबकि पटुकोट्टई से डेढ़ बजे चलती है और करईकुडी शाम पांच बजे के करीब पहुंचती है। यात्रियों का कहना है कि हर लेवल क्रॉसिंग को ट्रेन से उतरकर बंद करना और खोलना रेलवे कर्मचारियों के साथ-साथ सड़क पर यात्रा करने वाले लोगों के लिए भी काफी जोखिम भरा है।

रेलवे बता रहा मैनपॉवर की कमी
वहीं रेलवे ने इसके पीछे मैनपॉवर की कमी का हवाला दिया है। डिविजनल रेलवे मैनेजर यूके रेड्डी ने कहा कि जिन लेवल क्रॉसिंग पर सिर्फ कुछ ट्रेन ही गुजरती हैं वहां के लिए ट्रैवलिंग गेटमैन का कॉन्सेप्ट काफी प्रचलित है। कुछ क्रॉसिंग पर गेटमैन तैनात हैं लेकिन सभी 35 क्रॉसिंग पर गेटमैन का होना संभव नहीं। उन्होंने सुरक्षा नियमों के किसी तरह के उल्लंघन को खारिज कर दिया।