कंचन किशोर
बलात्कार आज रोज सुबह अखबारो की हेडलाइन बन गए हैं। आखिर क्यों? क्यूंकि हरेक व्यक्ति को इंटरनेट के माध्यम से पोर्न सुलभ है। उत्पाद के नाम पर सेक्स कामुकता बेची जा रही है। उपभोक्ता संस्कृति में विज्ञापन, हरेक मनोरंजन का साधन, गाने, टेलीविजन सीरियल्स, फिल्में, अखबार के आर्टिकल्स, नाइट लाइफ वाली संस्कृति हर तरफ सेक्स, अश्लीलता एवं कामुकता का बोलबाला है।
Someone will not be able to ban porn site
संचार क्रांति के युग में हर तरफ कामुकता का प्रसार है। टेलीविजन चैनल पर, हरेक अखबार में, जहां एक ओर बलात्कार के मामलों की लंबी लंबी विस्तृत रिपोर्टिंग होती है वहीं दूसरी और कंडोम्स, गर्भपात के सुलभ साधन, आकर्षक साथी को पटाने के डियोडेरेंट, टेलकम पाउडर, चॉकलेट,आइसक्रीम, दीवारों के पेंट, महंगी बाइक्स, कार और तो और कोल्डड्रिंक भी इस्तेमाल करने से हॉट और कमसिन लड़कियां अपने आप को समर्पित करने को उतावली हो जाती हैं। ऐसी उपभोक्ता संस्कृति जिसमे नारी एक उपभोग की वस्तु है, जिसका बदन हासिल करने के लिए बना है, जिसकी उपस्थिति केवल सेक्स और रोमांच पैदा करती हैं, ऐसी मानसिकता हम लगातार अपने समाज में रोप रहे हैं, बो रहे हैं।
ऐसी स्थिति में गृहमंत्री का ये फैसला पहला कदम है इस कामुक प्रचार प्रसार को रोकने का, परंतु इसे यहीं नही रुकना है, पूरे समाज एवं अर्थव्यवस्था में ऐसे कई बैन और रोक लगाने की जरूरत है जिससे कि अश्लीलता, कामुकता, भोंडेपन, कुत्सित योनाचार को बढ़ावा देने वाली सामग्री एवं विचार धारा पर रोक लगाई जा सके।
लेखिका व पत्रकार हैं