विश्लेषकों का मानना: राजनीतिक फायदा लेने नवाज और मरियम लौटे पाक

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम की भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी हो चुकी है। दोनों को करप्शन के केस में दोषी करार दिया गया है। पिता और बेटी को लाहौर के अल्लामा इकबाल इंटरनैशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर शुक्रवार देर रात रावलपिंडी लाया गया। इनकी वतन वापसी को राजनीतिक विश्लेषक एक दांव की तरह देख रहे हैं।
Analysts believe: Nawaz and Mary returned to Pakistan to take political advantage
मरियम और नवाज शरीफ दूसरे पाकिस्तानी नेताओं की तरह मुल्क से बाहर सुरक्षित जिंदगी बिता सकते थे, लेकिन दोनों ने वतन लौटने का फैसला किया। आखिर ऐसा क्या था कि नवाज और उनकी बेटी ने मुल्क वापसी को ही अपना ‘आखिरी रास्ता’ मान लिया। राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि दोनों ने ऐसा राजनीति में फायदा उठाने के इरादे से किया।

आम चुनाव से पहले गिरफ्तारी का दांव
पाकिस्तान में इसी महीने की 25 जुलाई को चुनाव होने वाले हैं। मरियम और नवाज के राजनीतिक करियर में यह एक निर्णायक मौका हो सकता है। उनकी वापसी के साथ ही पार्टी के कार्यकर्ता उत्साह में हैं और स्थानीय प्रशासन के लिए उन्हें नियंत्रित कर पाना बहुत मुश्किल काम साबित हो रहा है। पार्टी के लिए आक्रामक चुनाव प्रचार शीर्ष नेताओं के विदेश में रहते हुए नहीं हो सकता था। उनकी वतन वापसी इस लिहाज से महत्वपूर्ण है।

बेनजीर की तरह मिलेगा सहानुभूति वोट?
विपक्ष के भ्रष्टाचार और लंदन में संपत्ति खरीदने के आरोपों का जवाब देने के लिए शरीफ के पास वतन वापसी से बढ़िया तरीका नहीं हो सकता था। जेल जाकर शरीफ परिवार सैन्य ताकत के खिलाफ मजबूती से खड़े होने का संकेत दे रहा है। 2008 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद पाकिस्तान में सहानुभूति की लहर चली और उनकी पार्टी को चुनावों में इसका फायदा हुआ। शरीफ और मरियम भी उम्मीद कर रहे हैं कि ऐसा ही उनके साथ भी हो सकता है।

नवाज को भरोसा, ‘उन पर लगे आरोप कमजोर’
नवाज शरीफ के वतन वापस लौटने का एक कारण यह भी है कि उन्हें यकीन है कि उन पर लगे आरोप बहुत गंभीर नहीं हैं। उन्हें इसकी भी उम्मीद है कि अगर निष्पक्ष तरीके से जांच हो तो शायद वह बरी भी हो सकते हैं। हालांकि, चुनाव से पहले ही अब तक पाकिस्तान में हुई हिंसक घटनाओं में 128 लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरी तरफ पाकिस्तान के सबसे अशांत इलाकों में से एक बलूचिस्तान में तो 69 लोग मारे जा चुके हैं।