मुंबई। क्रूड आॅइल के दाम में अचानक आई तेज गिरावट से रुपये में बनी कमजोरी का रुझान पलट गया है। सऊदी अरब की तरफ से सप्लाई बढ़ने के आसार पर ब्रेंट क्रूड के दाम में तेज गिरावट आई। इसके चलते ट्रेडर्स डॉलर की खरीदारी के सौदे काटते नजर आ रहे हैं। अगले कुछ दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपया और मजबूत होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इससे चालू खाता घाटे से जुड़ी समस्याओं पर निवेशकों की चिंता घटी है और बाजार पर भरोसा बढ़ा है।
Riches of the rupee can be strong by being cheaper by crude
बार्कलेज इंडिया के रिस्क सॉल्यूशंस ग्रुप के हेड विजय संथानम ने कहा, ‘सस्ता क्रूड इंडियन इकनॉमी के लिए पॉजिटिव होगा और इसका असर करंसी पर भी पड़ेगा। क्रूड का दाम घटा है और रुपये के लिहाज से डॉलर इंडेक्स में स्थिरता आई है। अभी बस यह देखने की जरूरत है कि क्रूड की सप्लाई को लेकर आई हालिया खबरें मीडियम टर्म में उसके दाम पर क्या असर डालती हैं। इसी से पता चलेगा कि इंडियन करेंसी में आई हालिया मजबूती कितनी टिकाऊ है।’
मंगलवार को मुंबई के अंतर बैंक मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 21 पैसे मजबूत होकर 68.36 पर बंद हुआ। सऊदी अरब से क्रूड की सप्लाई बढ़ने के कयासों और ट्रेड वॉर की टेंशन घटने पर ब्रेंट क्रूड का भाव पिछले एक हफ्ते में 9% गिर चुका है। दोनों फैक्टर्स का ग्लोबल इनवेस्टर्स पर गहरा असर हुआ है जिसके चलते दूसरे एशियाई बाजारों में तेजी का रुझान बना है। मेजर करेंसी के मुकाबले डॉलर की चाल पर नजर रखने वाला इंडेक्स डॉलेक्स 94.46-94.72 के दायरे में है और इसमें तेज उतार-चढ़ाव के आसार नहीं हैं।
क्रूड के दाम में गिरावट आने से चालू खाता घाटे में कमी आ सकती है। भारत ईंधन की अपनी तीन चौथाई जरूरत आयात करके पूरी करता है। कोटक सिक्योरिटीज के करेंसी एनालिस्ट अनिंद्य बनर्जी ने कहा, ट्रेडर्स को आॅयल के दाम में आ रही गिरावट से राहत मिल रही है। उनके मुताबिक, ‘सटोरिया गतिविधियां थम गई हैं क्योंकि उन्होंने खासतौर पर विदेशी एनडीएफ मार्केट्स में डॉलर में तेजी के सौदे बंद कर दिए हैं। फॉरवर्ड मार्केट में बहुत से ट्रेडर्स के पुरानी पोजिशंस काटे जाने से रुपये में मजबूती आ रही है। क्रूड में जब तक अचानक उछाल नहीं आएगी, रुपये में मजबूती बनी रह सकती है।’
नॉन डिलीवरेबल फॉरवर्ड्स विदेशी करेंसी डेरिवेटिव्स मार्केट होते हैं जहां रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया का डायरेक्ट कंट्रोल नहीं होता। डीलर्स का अनुमान है कि रुपया अगले कुछ ट्रेडिंग सेशन में 67.50-68.50 की रेंज में रह सकता है। 29 जून को इंडियन करेंसी डॉलर के मुकाबले 69.09 रुपये के रिकॉर्ड लो लेवल पर आ गई थी जिससे उसमें इस साल आई कमजोरी बढ़कर 7% हो गई थी। यूनाइटेड फाइनेंशियल कंसल्टेंट के फाउंडर के एन डे कहते हैं, ‘करेंसी मार्केट सेंटीमेंट क्रूड के दाम और बॉन्ड यील्ड्स में गिरावट के बीच फिलहाल पॉजिटिव हो गया है। एक्सपोर्टर्स भी रुपये पर बनाए बिकवाली के सौदे काटने लगे हैं।’