संसद का मानसून सत्र शुरू: अविश्वास प्रस्ताव को लेकर दोनों सदनों में हंगामा

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नई दिल्ली। संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी दलों से सहयोग की अपील की है, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। विपक्षी सांसदों ने दोनों सदनों में हंगामा शुरू कर दिया। भीड़ की हिंसा और सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर दोनों सदनों में हंगामा हो रहा है। लोकसभा ने अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। विपक्ष की मांग पर मोदी सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर मंजूर हो गई है। सूत्रों से खबर मिली है कि लोकसभा में शुक्रवार को और राज्यसभा में सोमवार को इस मसले पर चर्चा होगी।
The monsoon session of Parliament commences: Commotion in both the Houses
मॉनसून सत्र से पहले पीएम मोदी ने कहा कि हम आशा करते हैं कि यह सत्र अच्छी तरह से चलेगा। सदन के पटल पर जो भी मद्दे लाए जाएंगे। उस पर बहस के लिए हमारी सरकार एकदम तैयार है।  वहीं सरकार कुछ विधेयकों को भी मॉनसून सत्र में लाने का रास्ता निकालने की तैयारी में है। इन विधेयकों को लोकसभा में तो पेश किया जा चुका है, लेकिन अभी तक या तो राज्यसभा या संबंधित संसद की स्थायी समितियों के पास विचार और सहमति के लिए नहीं भेजा गया।

इनमें उपभोक्ता संरक्षण कानून, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी, कोड एंड फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ओफेंडर्स बिल शामिल हैं। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी, फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ओफेंडर्स कानून को सरकार अध्यादेश के जरिए लागू कर चुकी है। अब इन्हें इस सत्र में पारित कराना सरकार की प्राथमिकता रहेगी।

भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम पर रहेंगी सबकी निगाहें
इनके अतिरिक्त भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम पर भी सबकी निगाहें रहेंगी। सरकार का मानना है कि मौजूदा कानून फैसले लेने की प्रक्रिया को धीमा करता है। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पूर्व में कई बार विपक्ष से इस कानून में संशोधन के लिए समर्थन मांग चुके हैं। उनका कहना है इससे अधिकारियों और बैंकों को धीमी रफ्तार से निर्णय लेने के आरोपों से बचाया जा सके।

इस विधेयक के मुख्य तीन पहलू
देश में गैर-कानूनी डिपॉजिट स्कीम पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए भी सरकार विधेयक लाने की तैयारी में है। इस विधेयक में तीन मुख्य पहलू हैं। पहला, इस तरह की स्कीमों के प्रमोशन और संचालन पर सख्त सजा का प्रावधान है। डिपॉजिटर्स को भुगतान में डिफाल्ट करने पर सजा और तीसरे राज्य सरकारों की तरफ से एक सक्षम संस्था के गठन का प्रस्ताव विधेयक में किया गया है। इस विधेयक के जरिए तीन विभिन्न प्रकार के अपराधों को परिभाषित किया गया है । इनमें अनियंत्रित डिपॉजिट स्कीम का संचालन, नियंत्रित डिपॉजिट स्कीम में भुगतान संबंधी डिफॉल्ट और अनियंत्रित डिपॉजिट स्कीम में गलत जानकारियां देना शामिल हैं।

विभिन्न इकाइयों की परिभाषा में हो सकते है बदलाव
एमएसएमई डवलपमेंट (संशोधन) बिल के तहत सरकार सालाना टर्नओवर के आधार पर विभिन्न इकाइयों की परिभाषा बदलने का प्रस्ताव कर रही है। सरकार का मानना है कि इससे न केवल कारोबार करना आसान होगा बल्कि इस क्षेत्र की इकाइयों को नए अप्रत्यक्ष कर कानून जीएसटी के साथ तालमेल बिठाने में भी आसानी होगी।

फिलहाल पांच करोड़ रुपये की सालाना टर्नओवर वाली इकाई माइक्रो श्रेणी में आती है। वहीं पांच करोड़ रुपये से अधिक लेकिन 75 करोड़ रुपये सालाना के टर्नओवर वाली इकाई को लघु उद्योग श्रेणी में रखा जाता है। मध्यम श्रेणी की इकाइयों के लिए टर्नओवर की सीमा 75 करोड़ रुपये से लेकर 250 करोड़ रुपये तक है। इस विधेयक के जरिए सरकार इसके परिभाषा में संशोधन करना चाहती है।