प्रदेश भाजपा में टिकट के दावेदार चिंतित, नहीं हो पाया चुनाव समिति का गठन

0
522

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी में टिकट के दावेदार चिंतित हैं। उनकी चिंता का विषय है पार्टी में अब तक चुनाव समिति का गठन न होना। नेताओं का मानना है कि समिति का गठन जितनी देरी से होगा, टिकट पर विचार करने के लिए समिति को उतना ही कम वक्त मिलेगा। उनकी दूसरी चिंता ये है कि कहीं पार्टी सिर्फ सर्वे के आधार पर ही तो टिकट का फैसला नहीं कर देगी। इसके विपरीत प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपनी छानबीन समिति का न सिर्फ गठन कर दिया है, बल्कि समिति ने अपना कामकाज भी शुरू कर दिया है।
Contestants of the ticket in the state BJP are not worried;
पार्टी के स्तर पर टिकट के दावेदारों की छंटनी भी शुरू कर दी गई है। प्रदेश भाजपा में टिकट बांटने और मौजूदा विधायकों का परफॉरमेंस जानने के लिए लिए सर्वे हो रहे हैं। जुलाई में पार्टी चौथा सर्वे करा रही है। इसे लेकर टिकट के दावेदार परेशान हैं। उनके लिए सर्वे में तमाम तरह की गाइडलाइन बनाई गई हैं, लेकिन संगठन ने अब तक प्रदेश चुनाव समिति और अनुशासन समिति का गठन तक नहीं किया है। पार्टी की बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने प्रस्ताव रखा था कि सभी पुरानी समितियों को भंग करते हुए नई समितियों का गठन किया जाए।अब प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह को अपनी टीम बनाना है।

कई नेता थे चुनाव समिति में
पुरानी चुनाव समिति में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, सुहास भगत, प्रभात झा, नंदकुमार सिंह चौहान, थावरचंद गेहलोत, सत्यनारायण जटिया, विक्रम वर्मा, फग्गनसिंह कुलस्ते, रामकृष्ण कुसमरिया, भूपेंद्र सिंह, राजेंद्र शुक्ला सहित कई सदस्य थे। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा कहते हैं कि चुनाव समिति तो पुरानी ही रहेगी, लेकिन पार्टी संविधान में प्रदेशाध्यक्ष को उसमें संशोधन का अधिकार होता है।

अनुशासन समिति भी ऐसा
पार्टी सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों भोपाल की पार्षद मनफूल मीणा के पति श्याम मीणा द्वारा विधायक रामेश्वर शर्मा के साथ दुर्व्यवहार किया गया था। इसके बाद पार्टी ने मीणा को तो निलंबित कर दिया, लेकिन उसके मामले की विधिवत सुनवाई के लिए पार्टी की अनुशासन समिति ही नहीं है। पार्टी नेताओं का मानना है कि अब चुनाव से पहले पार्टी में टिकट बांटने की प्रक्रिया को लेकर दावेदारों के बीच जोर आजमाइश होगी। इसके लिए जरूरी है कि अनुशासन समिति हो।

प्रदेश के टिकट दावदारों का चिंतित होना स्वाभाविक है क्योंकि प्र्रदेश में अमित शाह की सक्रियता के बाद से उन्होंने एक गुजरात की एजेंसी से सर्वे भी कराया है जिसमें लगभग 100 नेताओं का टिकट कटना तय माना जा रहा है जिसमें कुछ विधायक और कुछ मंत्री भी शामिल हैं, और अगर ऐसा होता है तो आने वाले चुनाव में भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। एक बात और है कि अगर विधायकों- मंत्रियों के लिए टिकट कटते हैं तो जिन नए उम्मीदवारों को टिकट दिए जाएंगे तो उनकी अभी जनता के बीच में कोई पहचान नहीं है जो चुनाव जीतने में चुनौती बनेगी। हालांकि भाजपा के नाम पर वोट जरूर मिलेंगे पर राह आसान नहीं रहेगी। इसके बाद परिस्थित चाहे जो हो लेकिन परेशानी भाजपा की ही होगी।
शशी कुमार केसवानी