एमपी में रथयात्राओं की धूम है घूम सके तो घूम

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ब्रजेश राजपूत

जुलाई खत्म होने को है और सब कुछ तय समय से चला तो तीन महीने बाद चौथे महीने यानिकी नबंवर के आखिरी दिनों में विधानसभा चुनाव हो ही जायेगे। मोटे तौर पर सवा सौ दिन बचे हैं इसलिये चुनाव के लिये तैयार की गयी गाडियों जिनको आज कल रथ कहा जाने लगा है उस पर सवार होकर महारथी निकल पडे हैं चुनावी जंग जीतने। हैरानी होती है कि लोकतंत्र में अपना प्रतिनिधि चुनने की सामान्य प्रक्रिया को भी अब हम जंग, लडाई, युद्व, हुंकार, गर्जना, दंगल, दांव पेंच और महाभारत की शब्दाबलियों से जानते हैं।
In the MP3, there is a rush of rath yatras
जैसा कि हम पहले से जान रहे थे कि सत्ता में पंद्रह साल रहने के बाद भी चुनावी जंग माफ करिये चुनावी दौड पहले बीजेपी ही शुरू करेगी। और वही हुआ 14 जुलाई को सीएम शिवराज सिंह चौहान निकल पडे उज्जैन से महाकाल का आशीर्वाद लेकर जन आशीर्वाद यात्रा पर जनता का आशीर्वाद लेने। मर्सडीज बेंज की हिंदुस्तानी कंपनी भारत बेंज की नयी बस को डीसी यानिकी दिलीप छाबरिया ने मोडिफाई कर आरामदेह यात्रा के रथ बना दिया और इस सब में एक दो करोड खर्च हो गये तो क्या हुआ। आखिर तेरह साल से सीएम शिवराज सिंह का रथ है जरा धूम से निकले।

यही रथ अगले दिन उज्जैन पहुंचा और विजयाराजे सिंधिया ग्राउंड में हुयी सभा के बाद जब रवाना हुआ तो मंच पर शिवराज सिंह का उत्साह देखने लायक था। वैसे भी वो हमेशा चुनावी मोड में रहते हैं और जब असल चुनाव आते हैं तो फिर तो उनका उत्साह उछालें मारता हैं। आमतौर पर अमित शाह के सामने थोडा संकोच करने वाले शिवराज ने उस दिन तो पार्टी अध्यक्ष को प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोडी भीड जुटाने से लेकर जोरदार भाषण देने तक।

हमारे उज्जैन के साथी विक्रम सिंह बताते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव के पहले निकली जन आशीर्वाद यात्रा में ऐसी ही सभा सामाजिक न्याय ग्राउंड में हुयी थी तब शिवराज जी ने सामने की भीड से बुजुर्ग महिला को मंच पर बिठाकर सम्मान किया था और अपने आपको जनता जनार्दन के हवाले कर दिया था मगर इस बार वो अमित शाह के आगे समर्पित दिखे पूरा भाषण मोदी की सरकार ओर अमित शाह के नेतृत्व में कसीदे पढते गुजरा। मुझे भी याद आ गया कि पिछली बार 2013 में ऐसा ही रथ था मगर मोदी जी का पोस्टर रथ से गायब था और हमारी पहली खबर वहीं बनी थी मगर इस बार तो रथ के हर तरफ मोदी की उपस्थिति है। जन आशीर्वाद यात्रा को देखने भीड इस बार भी जमकर उमड रही है।

इस यात्रा का दूसरा दौर सतना पहुंचा तो शिवराज उडनखटोला छोड रेवांचल एक्सप्रेस से मैहर पहुंचे और यात्रा के इस दौर के कवरेज के लिये हमारे मित्र रणवीर सिंह बनारस से आये और अचंभित हुये कि चार लोग भी रास्ते में माला लेकर खडे होते हैं तो शिवराज रथ रोककर उससे फूल माला ले लेतें हैं। वो बताते हैं कि अमरपाटन आने से पहले के गांव में दो लोग मोटरसाइकिल के पास माला लेकर खडे थे उनको पुलिस जवान बार बार हटाने की कोशिश कर रहे थे मगर शिवराज ने उनको देखते ही रथ रोका और माला लेकर हाथ मिलाया रथ के रवाना होते ही दोनों ने आपस में कहा यार अपना मामा है तो बडा संवेदनशील। देखो रोक ली गाडी।

यात्रा तो कांग्रेस ने भी थोडी बहुत हिचक के साथ शुरू कर दी है। ये यात्रा शिवराज की जनआशीर्वाद यात्रा के रास्ते पर ही पीछा करते हुये निकल रही है। नाम रखा है जनजागरण यात्रा मगर कांग्रेसियों का मकसद शिवराज सरकार की पोल खोलना जैसा है। ये यात्रा भी उज्जैन के पास तराना से शुरू हुयी। जहां यात्रा की शुरूआत में कमलनाथ की सभा में छोटे से मंच पर सैंकडा भर कांग्रेसी चढ गये और हर थोडी देर बाद मंच के सामने इकटठे होकर नारेबाजी करते रहे। हमारे साथी अजय दुबे मौके पर थे वो हैरान थे कि इतने छोटे से कस्बे में इतने सारे लोग आखिर कहां से आ गये।

अजय कहते है कि ऐसा लगता है कि इस बार कांग्रेस शहरों की जगह छोटे कस्बों ओर गांवों के वोटरो पर ज्यादा ध्यान लगा रही है। शिवराज के ठीक उलट कमलनाथ फिलहाल कोई यात्रा नहीं निकाल रहे हे। मगर जहां जहां जनजागरण यात्रा शुरू होगी उसे झंडी दिखाने वो जरूर पहुंच रहे हैं जनजागरण का शिवराज के मुकाबले फटेहाल कांग्रेसी रथ जीतू पटवारी हांक रहे हैं। और वो लोगों को शिवराज और अपने रथ की तुलना हवाई जहाज और बैलगाडी से करते हैं। वैसे कांग्रेस ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेलीं है। कांग्रेस का लकदक रथ कर्नाटक चुनाव से छुट्टी पाकर भोपाल में कमलनाथ के घर के पिछवाडे खडा है।

इंतजार हो रहा है कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का। राहुल की तारीखें मिलते ही कांग्रेसी दिग्गज इस रथ पर सवार होकर निकल पडेगे एमपी की गलियों में वोट मांगने। ये जरूर है कि जब तक कांग्रेस का असली रथ निकलेगा तब तक शिवराज के दो रथ एमपी को पूरा नाप चुके होंगे। मगर इसमें हैरान होने की बात नहीं है कांग्रेस इसी गति और इसी अंदाज से काम करती है और फिर चुनाव जीतने के सपने भी देखती है। इस बार देखिये एमपी में रथ पर सवार हो कौन बनता है आने वाले पांच साल के लिये महारथी।

एबीपी न्यूज, भोपाल