राफेल डील: फ्रांस की सफाई के बाद कांग्रेस बोली, ‘कमर्शल’ और ‘क्लासिफाइड’ जानकारी में फर्क

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नई दिल्ली। संसद में विश्वास मत के दौरान राहुल गांधी ने राफेल डील पर फिर से सवाल उठाए, जिसपर फ्रांस सरकार की ओर से तुरंत सफाई आ गई। हालांकि, अब भी कांग्रेस राहुल गांधी के बयान के साथ मजबूती से खड़ी है। कांग्रेस का कहना है कि राफेल से जुड़ी ‘क्लासिफाइड’ और ‘कमर्शल’ जानकारी देने में फर्क है। कांग्रेस का कहना है कि फ्रांस सरकार की जो गोपनीयता की धारा है उसके अंदर विमान की कीमत छिपाना शामिल नहीं है।
Rafael Deal: Congress quote after French cleansing, difference between ‘commercial’ and ‘classifieds’ information
कांग्रेस का पक्ष रखते हुए सीनियर नेता आनंद शर्मा ने कहा, ‘फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से हुई राहुल की मीटिंग के वक्त मनमोहन सिंह जी और मैं भी मौजूद था। राहुल गांधी के पूछने पर फ्रांस के राष्ट्रपति ने साफ किया था कि एयरक्राफ्ट की कीमत छिपाने पर उनकी तरफ से कोई शर्त नहीं है।’ शर्मा ने ‘क्लासिफाइड’ और ‘कमर्शल’ के बीच के फर्क को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि राहुल ने फ्रांस के राष्ट्रपति से कोई भी ‘क्लासिफाइड’ जानकारी देने को नहीं कहा था। उन्होंने कहा कि विमान की कीमत जानना ‘क्लासिफाइड’ जानकारी में नहीं आता।

क्या है मामला
राहुल ने संसद में कहा था कि राफेल डील में घपला हुआ है और विमानों की कीमत ज्यादा कर दी गई है। राहुल ने यह भी आरोप लगाया था कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल डील को लेकर देश से झूठ बोला है। हालांकि, इसपर फ्रांस ने राहुल के आरोपों को खारिज कर दिया था।  फ्रांस सरकार ने बयान जारी कर कहा था कि 2008 के सिक्यॉरिटी अग्रीमेंट के तहत दोनों देश गुप्त सूचना को सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं।

बयान में कहा गया, ‘हम कानूनी तौर पर इससे बंधे हुए हैं। डील की जानकारी सार्वजनिक करने से सुरक्षा और आॅपरेशनल क्षमता पर असर पड़ सकता है। ऐसे में यह प्रावधान 2016 में किए गए 36 राफेल लड़ाकू विमानों पर भी लागू होता है।’

क्या है कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस पार्टी दावा करती रही है कि उनकी यूपीए सरकार के वक्त (2008) एक विमान की कीमत 527 करोड़ रुपये थी और प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में उन्हीं विमानों को खरीदने के लिए जो समझौता किया, उसके तहत एक विमान भारत को 1,570 करोड़ रुपये का मिलेगा।