पंकज शुक्ला
मप्र में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर चुकी हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की जनआशीर्वाद यात्रा के सहारे भाजपा चौथी बार सरकार बनाने के लिए मैदान में हैं तो इस यात्रा के मुकाबले के लिए कांग्रेस ने जनजागरण यात्रा शुरू कर दी है। राऊ से कांग्रेस के विधायक जीतू पटवारी भी अपना रथ लेकर मुख्यमंत्री की जनआशीर्वाद यात्रा के पीछे-पीछे निकले हैं। पटवारी की सभा के फोटो में अच्छी भीड़ दिखाई दे रही है।
इसे कांग्रेस के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है, मगर उत्साह में पटवारी मुख्यमंत्री चौहान पर ऐसी टिप्पणियां कर रहे हैं जो मुख्यमंत्री की छवि के अनुरूप नहीं है। ऐसे में भय है कि जीतू पटवारी अपनी यात्रा की गंभीरता खो दें। ऐसा हुआ तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का हाथ मजबूत करने के मंसूबे धरे रह जाएंगे और जनजागरण यात्रा अपना लक्ष्य हासिल न कर पाएगी।
विधानसभा चुनाव में भाजपा के संगठन और मुख्यमंत्री चौहान की लोकप्रिय छवि का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस नेताओं को अपने कबीलों में नहीं बल्कि एक हो कर यानि कांग्रेस बन कर मैदान में उतरना होगा। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ यह बात जान चुके हैं और उन्होंने अपनी रणनीति में कांग्रेस के विभिन्न धड़ों में समन्वय को प्रमुख स्थान दिया है। कांग्रेस नेताओं को जो जहां है वहीं से पार्टी को मजबूत करने में जुट जाने का संदेश दिया गया है।
इस लिहाज से कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और विधायक पटवारी को बड़ी जिम्मेदारी दी गई हैं। उन्हें जन जागरण यात्रा का दायित्व दिया गया है। वह यात्रा जो सीधे-सीधे मुख्यमंत्री चौहान की जन आशीर्वाद यात्रा का मुकाबला करने हर उस जगह जाएगी जहां शिवराज जा रहे हैं। पटवारी आक्रामक शैली के नेता हैं। उन्हें विधानसभा में भी बुलंद आवाज में कांग्रेस का पक्ष रखते देखा जाता है।
बैलगाड़ी यात्रा, नारों लिखी ड्रेस पहन कर आना जैसे विविध प्रयोगों के माध्यम से वे सरकारी नीतियों का विरोध करने में आगे रहे हैं। जन जागरण यात्रा के माध्यम से पटवारी अपनी राजनीतिक छवि को अधिक धारदार तथा प्रभावी बना सकते हैं। इस बहाने उन्हें प्रदेश के हर हिस्से में जाने को मिलेगा। यह कार्यकतार्ओं से जीवंत सम्पर्क बना कर मैदानी फीडबैक पाने का स्वर्णिम अवसर है। और पटवारी को पूरे सामथर््य के साथ इस मौके का पूरा लाभ लेना चाहिए।
मगर पिछले दिनों वे कुछ ऐसा कर गए जो अवांछनीय है। बदनावर में उन्होंने मुख्यमंत्री चौहान के रथ की लक्झरी का बखान करते हुए यहां तक कह डाला कि मुख्यमंत्री एक वीआईपी रथ…, ढाई करोड के रथ…, रावण के रथ से महंगे रथ में बैठकर आए थे और उस रथ में क्या-क्या है उस रथ में है एयर होस्टेस जो सेवा देती है, पानी देती है, खाना देती है और कभी मुंह खराब हो जाए तो रुमाल से मुँह भी पोंछ देती है।
मुख्यमंत्री के साथ रथ में कई लोग हैं और वे जानते हैं कि रथ में कोई एयर होस्टेस नहीं है जिसे मुंह पोंछने के लिए रखा गया हो। जीतू पटवारी का यह कथन हल्के बयानों की श्रेणी में आता है। मुख्यमंत्री चौहान की छवि का मुकाबला करने के लिए ऐसे हल्के बयानों की नहीं अधिक गंभीर तथा वजनी आरोपों की दरकार है। पटवारी को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए जो उन्हें अगंभीर राजनेता बनाएं बल्कि उन्हें इस पहचान से बाहर आने के लिए अपनी यात्रा को अधिक गंभीरता से पूरा करना चाहिए।
उन्हें यह समझना होगा कि राजनीतिक सभाओं को चुटकुलों से नहीं जीता जाता। मसखरी तात्कालिक लाभ और तालियां भले दे दे, वोट तो गंभीर और जनहितैषी राजनीति से ही पाए जाते हैं। अभी उन्हें लंबी यात्रा करना है। यह उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाली रथ यात्रा हो सकती है। वे चाहें तो यात्रा के अंत तक मप्र की राजनीति में परिवर्तित जीतू पटवारी का अभ्युदय कर सकते हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है