चौंकाते और चुनौती बनते दिग्विजय

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बाखबर
राघवेंद्र सिंह

मध्यप्रदेश की सियासत में दिग्विजय सिंह अक्सर अचरज में डालते हैैं। पहले उन्होंने 2003 में चुनाव में हारने के बाद 10 साल का राजनैतिक संन्यास लिया था और अब ऐसे सक्रिय हो रहे हैैं कि हर कोई उनको देखकर हैरत में हैैं। 26 जुलाई को उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के एक बयान पर स्वयं को पुलिस के हवाले करने का फैसला कर सबको चकित कर दिया। एक वाक्य में समझें तो उनके प्रदर्शन को उनके गिरफ्तारी के लिए किए गए शो को कांग्रेस और भाजपा दोनों को चौैंका दिया है।
Digvijay becomes chaotic and challenging
दूसरे शब्दों में कह सकते हैैं कांग्रेस चौैंक गई है और भाजपा इसे चुनौती मान रही है। दरअसल प्रदेश की सियासत में दिग्विजय सिंह फील्ड के मार्शल माने जाते हैैं। और भाजपा का मात देने के लिए कांग्रेस में ऐसे ही कुछ फील्ड मार्शलों की जरूरत है। इसको भाजपा की दृष्टि से समझें तो दिग्विजय सिंह संगठन महामंत्री के रूप में उभर रहे हैैं। उनकी यात्राओं को लेकर कांग्रेस के अंदरखाने में असमंजस और उलझन थी। किसी ने कहा भाजपा उन्हें बंटाधार के रूप में फिर से प्रचारित करेगी।

और ऐसे में कांग्रेस को नुकसान होगा। इसलिए उनकी यात्राओं में सभाएं न करने की समझाइश भी दी गई और एक तरह से कह सकते हैैं कि उन्हें जनता के बीच जाने से प्रतिबंधित किया गया। मगर 26 जुलाई को कांग्रेस जनों के साथ उसके पावर शो ने भाजपा के साथ कई कांग्रेसियों की भी हवा खराब कर दी है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दिग्विजय सिंह को देशद्रोही की श्रेणी में रखने का बयान दिया था और यहीं से दिग्विजय सिंह इस मुद्दे को लपका और बारिश के मौसम में भी सियासत को गर्मा दिया।

कांग्रेस लंबे समय से कार्यकतार्ओं को सक्रिय और संगठित करने का प्रयास कर रही थी। दिग्विजय सिंह ने पिछले महीनों निजी स्तर पर नर्मदा परिक्रमा यात्रा निकाल कर जनता और कांग्रेस समर्थकों के बीच में फिर से पार्टी और अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। इसमें खास बात यह थी कि संकल्प के अनुरूप दिग्विजय सिंह पूरी यात्रा में राजनैतिक और विवादपूर्ण विषयों से बचते रहे। लेकिन करीब लगभग 130 विधानसभा क्षेत्र की नर्मदा परिक्रमा में कांग्रेस नेता ने भाजपा के प्रति असंतुष्टों को स्वर दिए।

उनकी यात्रा में कई भाजपाई और संघ के नेताओं ने भी शिरकत की। आम जनता से घुलने मिलने और कार्यकतार्ओं के दुख दर्द पूछने के कारण 14 साल फिर दिग्विजय सिंह नर्मदा परिक्रमा के साथ एक दिल जीतने वाले नेता के रूप में शामिल होने लगे। इसके बाद पिछले दिनों उनकी कार्यकतार्ओं को सक्रिय करने की यात्रा ने जनता के बीच में उन्हें पुन: सक्रिय कर दिया। राजा की बढ़ती ताकत से भाजपा परेशान तो थी ही तभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के इस बयान ने कि – दिग्विजय सिंह देशद्रोही की श्रेणी में आते हैैं ने एक तरफ से आग में घी का काम कर दिया।

मुद्दों को पकड़ने वाले दिग्विजय सिंह ने तुरंत ही इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि अगर वे देशद्रोही की श्रेणी में आते हैैं तो फिर सरकार उन्हें गिरफ्तार करे और उसके लिये उन्होंने अपने आपको भोपाल के टी.टी. नगर थाने में प्रस्तुत किया। उनके अचानक हुए हमले की उम्मीद न तो भाजपा को थी और न तो कांग्रेस उनके शुभचिंतकों को। सबकुछ यकायक हुआ और कोई भी इसमें न न कर सका। भाजपा उनके इस कदम पर नजर रख रही थी कि वे कितना समर्थन हासिल कर पाते हैैं। 10 साल मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह नर्मदा यात्रा के दौरान अपने समर्थक और संपर्कों को पहले ही पुनजीर्वित कर चुके थे। और संगठन की दृष्टि से कार्यकतार्ओं के बीच पिछले दिनों हो रही उनकी बैठकों ने सोने पर सुहागे का काम किया।

इसलिए शॉर्ट नोटिस पर भी वे भोपाल में बड़ी संख्या में कांग्रेस को लाने में सफल हो पाए। अक्सर यह काम संगठन के लिहाज से भाजपा में संगठन मंत्री करते रहे हैैं। कार्यकतार्ओं के बीच जाना और उनकी बाते सुनना, प्रवास के दौरान उनके साथ खाना खाना और कार्यकतार्ओं के हित में लड?े मरने के वादे करना। यह सारे काम पिछले दिनों दिग्विजय सिंह कर रहे हैैं। 26 जुलाई को आये हुए कार्यकर्ता उनकी कोशिशों का परीक्षा थे। जिसके शुरूआती दौर में वे सफल दिखे। 15 साल विपक्ष में कार्यकर्ता भी सो रही कांग्रेस में एक बार फिर कार्यकतार्ओं की भीड़ देखी गई। असल में यही भीड़ भाजपा की चिंता का विषय है।

कांग्रेस में कमलनाथ जैसे मैनेजर के रूप में एक अनुभवी अध्यक्ष मिला तब यह लग रहा था कि कार्यकतार्ओं को संगठित कौन करेगा यह कमी दिग्विजय ने काफी हद तक दूर की। कार्यकताओं के बीच से मिल रहे समर्थन से कांग्रेस के भीतर दिग्विजय को एक चुनौती माना जा रहा है। बस यही चीज भाजपा में उम्मीद जगाती है कि कांग्रेस जैसे जैसे चुनाव के निकट पहुंचेगी उसके भीतर दिग्विजय चुनौती गुटबाजी बनकर उभरेगी। भाजपा के रणनीतिकार मानते हैैं कि मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा कांग्रेस के नेताओं को गुटों में बांट देगी।

कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिय और दिग्विजय सिंह के रिकार्ड ने कांग्रेस में यह त्रिकोण गुटबाजी में बदला तो भाजपा के लिये चुनाव जीतना आसान होगा। हालांकि अभी टिकट बंटने में वक्त है। भाजपा में कहा जा रहा है कि लगभग सौ विधायकों के टिकट काटे जाएंगे। अगर टिकिट काटे जाने के बाद एंटी एकंबेंसी के साथ भाजपा में घबराहट का यह प्रतीक है। जबिक कांग्रेस आरपार की लड़ाई लड़ रही है इसलिये उसके पास खोने को ज्यादा कुछ नहीं है। कुल मिलाकर कमलनाथ और सिंधिया के साथ पूरी कांग्रेस दिग्विजय सिंह के संगठनात्मक शक्ति पर टिकी हुई दिखती है।

कुल मिलाकर कमलनाथ का प्रबंधन ज्योतिरादित्य का आकर्षण और दिग्विजय सिंह की संगठनात्मक क्षमता इस चुनाव में अहम रोल प्ले करने वाली है। अभी हम लोग विधानसभा पत्रकार दीर्घा समिति की अध्ययन दौरे पर केरल और कर्नाटक की यात्रा पर हैैं। इस दौरान हमें जो सूचना और संकेत मिले वो कांग्रेस के लिए खुश करने वाले हैैं और भाजपा के लिये अपनी रणनीति पर फिर से गौर करने वाले हैैं। हालांकि इन दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी जनआशीर्वाद यात्रा के भी खूब चर्चें हैैं। मुख्यमंत्री की यात्रा में शामिल होने वाले आम आदमी और किसानों की बाडी लैंग्वेज पर पार्टी भी गहराई से अध्ययन कर रही है।

आने वाले दिनों में इस अध्ययन के निष्कर्ष भी सामने आयेंगे और उसी आधार पर अगले फैसले लिए जाएंगे। फिलहाल सब खामोशी से शिवराज की जनआशीर्वाद यात्रा और और दिग्विजय सिंह संगठन यात्रा को काफी ध्यान से देख, सुन समझ रहे हैं। सोशल मीडिया पर 26 जुलाई के बाद दिग्विजय सिंह को लेकर एक बात खूब चली, कि लोग दिग्विजय सिंह से नफरत कर सकते हैं, उनसे प्यार कर सकते हैं, लेकिन उन्हें इग्नोर नहीं कर सकते और यही बात भाजपा के समर्थक शिवराज सिंह चौहान के बारे में कहते हैं।

लेखक IND24 के प्रबंध संपादक हैं